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Ayushman Bharat : 5 लाख रुपये तक इलाज के लिए 30 रुपये में आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड, ऐसे करें ऑनलाइन आवेदन

पहले जहां गंभीर बीमारियों के इलाज करवाने में गरीब नागरिकों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था. अब आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत कोई भी गरीब नागरिक 5 लाख रुपये तक का इलाज आसानी से करवा सकता है.

Ayushman Bharat Golden Card : भारत में गरीबों के इलाज के लिए सरकार ने आयुष्मान भारत योजना चला रखी है. सरकार की इस योजना के तहत गंभीर बीमारी के इलाज के लिए गरीबों को करीब 5 लाख रुपये दिए जाते हैं. सरकार की ओर से वित्त वर्ष 2018 के बजट में आयुष्मान भारत की घोषणा की गई थी. सरकार की इस योजना के तहत देश में एक लाख हेल्‍थ एंड वेलनेस सेंटर्स स्‍थापित करना एवं 10 करोड़ परिवारों को 5 लाख रुपये प्रतिवर्ष के स्‍वास्‍थ्‍य बीमा कवच से जोड़ना शामिल है. इस बीमा योजना को वृहद स्तर पर लागू किया गया है. इस बीमा योजना के अंतर्गत देश में करीब 50 करोड़ से अधिक नागरिकों को लाभ प्राप्त होगा. गरीबों के इलाज के लिए 30 रुपये में आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड बनाए जा रहे हैं. आइए, जानते हैं कि इसके लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे किया जाएगा.

किन बीमारियों के इलाज के लिए मिलेगा लाभ

पहले जहां गंभीर बीमारियों के इलाज करवाने में गरीब नागरिकों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था. अब आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत कोई भी गरीब नागरिक 5 लाख रुपये तक का इलाज आसानी से करवा सकता है. आयुष्मान बीमा योजना के अंतर्गत कैंसर, दिल की बीमारी, किडनी, लीवर डायबिटीज समेत करीब 1300 से अधिक बीमारियों का इलाज करवाया जा सकता है. इस योजना का लाभ किसी भी सरकारी अथवा रजिस्टर्ड प्राइवेट हॉस्पिटल से प्राप्त किया जा सकता है.

आयुष्मान गोल्डन कार्ड क्या है

आयुष्मान भारत योजना को प्रभावी ढंग से देश में लागू करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा आयुष्मान गोल्डन कार्ड बनाकर दिए जा रहे हैं, ताकि नागरिकों को लाभ प्राप्त करने में किसी प्रकार की दिक्कत का सामना ना करना पड़े और सही समय पर सही लाभ प्राप्त कर सकें. आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत बनाए जा रहे आयुष्मान गोल्डन कार्ड के लिए आप ऑनलाइन भी आवेदन कर सकते हैं.

कैसे और कहां बनवाएं आयुष्मान कार्ड

  • अपने साथ एक पहचान पत्र (आधार कार्ड, पेन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी, सरकारी पहचान पत्र) ले जाएं.

  • कॉमन सर्विस सेंटर, लोक सेवा केंद्र, यूटीआई-आईटीएसएल केंद्र पर जाकर पात्रता जांच कराएं और आयुष्मान कार्ड बनवाएं.

  • चिह्नित ग्राम रोजगार सहायक और वार्ड इंचार्ज के सहयोग से भी आयुष्मान कार्ड बनाए जा सकते हैं.

  • योजना से संबद्ध अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में आयुष्मान मित्र के माध्यम से नि:शुल्क कार्ड बनवाए जा सकते हैं.

  • भर्ती के समय अस्पताल में आयुष्मान कार्ड दिखाएं और नि:शुल्क उपचार का लाभ उठाएं.

कहां बनेगा आयुष्मान गोल्डन कार्ड

आयुष्मान योजना के अंतर्गत गोल्डन कार्ड बनवाने के लिए आपको अपनी नजदीकी जन सेवा केंद्र पर अपना आधार कार्ड, राशन कार्ड और मोबाइल के साथ विजिट करना होगा. जन सेवा केंद्र पर आपको निर्धारित शुल्क 30 रुपये का भुगतान करना होगा. हालांकि, यदि आप अपना आयुष्मान गोल्डन कार्ड पीवीसी कार्ड पर प्रिंट आउट निकलवाएंगे, तो इसका अलग से चार्ज देना पड़ेगा, जो 50 से लेकर 100 रुपये के बीच में अलग-अलग जनसेवा केंद्र पर अलग-अलग शुल्क वसूल किया जाता है.

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आयुष्मान योजना के परिवारों की पात्रता

  • सामाजिक आर्थिक एवं जातिगत जनगणना वर्ष 2011 में सूचीबद्ध परिवार (एसईसीसी डाटा डी-1 से डी-7 तक, डी-6 को छोड़कर)

  • संबल योजना में शामिल परिवार

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत खाद्य पर्ची धारक परिवार

  • इसके अलावा, कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ईएसआईएस) और केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) के लाभार्थी और सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (सीएपीएफ) के कर्मचारियों को चिह्नित अस्पतालों में नियमानुसार योजना के तहत नि:शुल्क उपचार की सुविधा दी जाती है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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