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बांग्लादेश को भारत से दुश्मनी पड़ेगी भारी, दूध-पानी हो जाएगा बंद

Bangladesh: बांग्लादेश के लिए जल संसाधन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों का पानी बांग्लादेश के विशाल हिस्सों में पीने के पानी और सिंचाई के लिए आवश्यक है. भारत के साथ जल समझौतों पर तनाव पैदा होने पर बांग्लादेश के लिए पानी की उपलब्धता में कमी हो सकती है.

Bangladesh: भारत के पड़ोसी बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना सरकार का तख्तापलट होने के बाद से अब तक उसका कूटनीतिक संकट समाप्त नहीं हुआ है. खासकर, भारत और भारतवासियों के प्रति अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद युनूस की सरकार के रवैये में सुधार नहीं हुआ है. बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले लगातार जारी हैं. भारतीय कंपनियों के साथ समझौता अचानक समाप्त कर दिया जा रहा है. उसके इस रवैये से भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर निकट भविष्य में गहरा असर पड़ सकता है. इसका असर उसके आम जनजीवन और अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ सकता है और वहां के लोगों का दाना-पानी तक बंद हो सकता है. इसका दोनों देशों के बीच आर्थिक, व्यापारिक और जल संसाधन संबंध महत्वपूर्ण हैं. भारत बांग्लादेश को दूध, दही, पानी समेत कई आवश्यक वस्तुएं मुहैया कराता है.

बांग्लादेश का निर्यात होगा प्रभावित

भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक संबंध काफी पुराना और मजबूत है. भारत से बांग्लादेश निर्यात होने वाले प्रमुख उत्पादों में खाद्य पदार्थ, कृषि उत्पाद, औद्योगिक वस्त्र, विद्युत उपकरण, और उपभोक्ता वस्त्र शामिल हैं. यदि द्विपक्षीय संबंधों में खटास आती है, तो इन उत्पादों की आवाजाही बाधित हो सकती है. इससे बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. भारतीय बाजार तक पहुंच बांग्लादेश के लिए महत्वपूर्ण निर्यात स्रोत है. संबंधों में खटास पैदा होने पर उसका निर्यात प्रभावित हो सकता है. इससे बांग्लादेश को विदेशी मुद्रा प्राप्ति में कमी और व्यापार घाटे की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.

बांग्लादेश में पैदा हो सकता है पेयजल संकट

बांग्लादेश के लिए जल संसाधन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों का पानी बांग्लादेश के विशाल हिस्सों में पीने के पानी और सिंचाई के लिए आवश्यक है. भारत के साथ जल समझौतों पर तनाव पैदा होने पर बांग्लादेश के लिए पानी की उपलब्धता में कमी हो सकती है. विशेष रूप से गंगा-ब्रह्मपुत्र के जल प्रवाह में कोई परिवर्तन, जैसे भारत की तरफ से जल परियोजनाओं का निर्माण, बांग्लादेश को पानी की आपूर्ति में गंभीर बाधा पैदा कर सकता है. इससे बांग्लादेश में सूखे की स्थिति, कृषि उत्पादों की कमी और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की समस्या गंभीर हो सकती है.

राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

भारत के साथ बांग्लादेश दुश्मनी का असर राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भी गहरा हो सकता है. दोनों देशों के बीच संघर्ष की स्थिति में सीमा पार हिंसा और अशांति का खतरा बढ़ सकता है. इसके परिणामस्वरूप दोनों देशों में अस्थिरता, अविश्वास और आतंकवाद जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं. बांग्लादेश में धार्मिक असंतोष और कट्टरवाद भी इस स्थिति से प्रेरित हो सकता है, जो देश की आंतरिक स्थिरता को खतरे में डाल सकता है.

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बांग्लादेश के लोगों का इलाज कराना नहीं होगा आसान

भारत से स्वास्थ्य और चिकित्सा उपकरण, दवाएं और अन्य चिकित्सा आपूर्ति प्राप्त करना बांग्लादेश के लिए आसान नहीं रहेगा. किसी प्रकार की द्विपक्षीय कटौती इस देश की स्वास्थ्य प्रणाली को प्रभावित कर सकती है, जिससे स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता और उपचार की संभावना में कमी आ सकती है. महामारी के समय में जहां आपसी सहयोग और सहायता की आवश्यकता होती है, बांग्लादेश की स्थिति और भी गंभीर हो सकती है.

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भारत से बांग्लादेश जाने वाले सामान

  • खाद्य पदार्थ: चावल, मक्का, मसाले, मूंगफली का तेल, और डेयरी उत्पाद जैसे दूध, दही आदि
  • कृषि उत्पाद: गन्ना, सब्जियां, फल, और मांस
  • औद्योगिक उत्पाद: धातु उत्पाद, निर्माण सामग्री जैसे सीमेंट, प्लास्टिक, और लोहा-इस्पात
  • विद्युत उपकरण: विद्युत मशीनरी और उपकरण
  • रसायन: रसायन और पेट्रो-रसायन उत्पाद
  • उपभोक्ता उत्पाद: इलेक्ट्रॉनिक सामान, प्लास्टिक उत्पाद, और घरेलू उपकरण

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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