Britain London: दुनिया के अमीरों की सबसे पसंदीदा जगह ब्रिटेन कई लोग छोड़ कर जा रहे है. खासकर लंदन से कई करोड़पतियों का पलायन शुरू हो गया है. इसका कारण है सरकार की ओर से लगाए गए नए टैक्स कानून, जिसकी वजह से UK अब दुनिया के सबसे मंहगे देशों में शामिल हो गया है.
दरअसल ब्रिटेन में लंबे समय से ‘नॉन-डॉम स्टेटस’ नाम की एक टैक्स छूट मिलती थी. इसमें विदेशों से कमाई करने वाले अमीर लोग ब्रिटेन में सिर्फ वही टैक्स देते थे जो पैसा यहां लाया जाता था लेकिन अब इस स्टेटस को खत्म कर दिया गया है.
लेबर सरकार की नई चांसलर रशेल रीव्स ने इसे पूरी तरह खत्म करते हुए तय कर दिया कि अब इन अमीरों की विदेशों में रखी गई संपत्तियों पर भी 40% इनहेरिटेंस टैक्स (विरासत टैक्स) लगेगा. इसका मतलब अगर कोई ब्रिटेन में रहकर दुनिया के किसी भी हिस्से में संपत्ति रखता है, तो उसकी मौत पर उसकी पूरी संपत्ति पर भारी टैक्स लगाया जाएगा.
कितने अमीर छोड़ चुके हैं ब्रिटेन?
सरकारी आंकड़े तो अभी निकलकर सामने नहीं आए हैं, लेकिन कुछ रिपोर्टस में पजा चला है कि साल 2024 में 10,800 करोड़पति ब्रिटेन छोड़ चुके हैं. माना जा रहा है 2025 में यह संख्या 16,500 तक पहुंच सकती है, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है.
कई बड़े नाम है शामिल
इनमें कई बड़े नाम शामिल हैं जैसे गोल्डमैन सैक्स के वाइस चेयरमैन रिचर्ड ग्नोडे, मिस्र के सबसे अमीर व्यक्ति नसेफ सावीरीस. इसके साथ ही भारतीय मूल के अरबपति लक्ष्मी मित्तल भी ब्रिटिश टैक्स रेजिडेंसी छोड़ने की सोच रहे हैं.
ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर क्या हो रहा है असर
ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर ये असर सिर्फ टैक्स कलेक्शन तक सीमित नहीं रह गया है. इन अमीरों के जाने की वजह से हॉस्पिटैलिटी, रिटेल, लीगल सर्विसेस और लग्जरी गुड्स सेक्टर पर भी मार पड़ी है. कई चैरिटी और कल्चर संस्थान भी इनके डोनेशन पर निर्भर थे, जिन पर भी बूरा असर देखने को मिल सकता है.
दूसरे देश दे रहे लालच
एक तरफ ब्रिटेन टैक्स कस रहा है, तो दूसरी तरफ कई देश ऑफर दे रहे है. इटली अमीर विदेशियों को सालाना सिर्फ €200,000 देकर विदेश संपत्तियों पर टैक्स से छूट देता है.
दुनिया का सबसे पसंदीदा ठिकाना यूएई को माना जा रहा है, साल 2025 में लगभग 9,800 अमीरों के बसने का अनुमान है.
सरकार को चिंता हो रही
अमीरों के देश छोड़ने के बाद अब ब्रिटिश सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं. ब्रिटिश सरकार को पता चला गया है कि जो चला गया, उसे वापस लाना मुश्किल है. ऐसे में अगर सरकार चाहे तो offshore trusts पर विरासत कर में राहत देकर और लोगों को जाने से रोक सकती है. हालांकि लेबर सरकार के वोटर टैक्स में ढील के खिलाफ हैं इसलिए कोई भी कदम सरकार की साख पर सवाल खड़े कर सकता है.
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