British Raj Loot From India: अंग्रेजो ने भारत को काफी लूटा है और एक मिथ फैला दी है कि उन्होंने भारत को अपने शासन के दौरान विकसित किया. अंग्रेज ऐसा दावा करते हैं कि उन्होंने भारत में अपनी राज के दौरान ट्रेन, रोड, स्वास्थ्य और शिक्षा पर काम किया. लेकिन ऑक्सफैम की एक रिपोर्ट बताती है कि इसमें कोई सच्चाई नही है.
आज 2025 में 10 सबसे शीर्ष देश की अर्थव्यस्था के पास जितना पैसा होगा, उतना 135 साल के अंदर अग्रंजों ने भारत को लूट लिया था.
जनता की समस्याओं पर केवल 3%
रिपोर्टस के अनुसार, भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन काल में सेना पर कुल खर्च लगभग 75% किया गया और जनता की समस्याओं पर केवल 3% हिस्सा खर्च किया गया.
East India Company
रिपोर्टस के मुताबिक, East India Company के अधिकारी सिंचाई व्यवस्था की मरम्मत करने में विफल रहे थे, जिसके चलते खेती में समस्या आईं और भारत में अकाल पड़े, समस्या गंभीर होती गई. ऑक्सफैम की रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है कि जब गुलाम बनाए गए देशों को आजादी मिली तो भी सत्ता ऐसे लोगों को सौंप दी गई, जो कि उन्हीं के चुने हुए लोग थे.
₹5525 लाख करोड़ लूट लिए
साल 1765 से 1900 के बीच, भारत से इंग्लैंड वालें $64.82 ट्रिलियन यानी लगभग ₹5525 लाख करोड़ लूट लिए. भारत से लूटी गई ये ₹5525 लाख करोड़ आज अमेरिका के जीडीपी से दोगुना और ब्रिटेन के जीडीपी से 17 गुना ज्यादा है. इस संपत्ति का आधा से अधिक हिस्सा 34 ट्रिलियन डॉलर दुनिया के 10% अमीर अंग्रेजों के पास चला गया. 32% पैसा इंग्लैंड के मिडिल क्लास के पास चला गया.
रिपोर्टस के अनुसार, जितना पैसा लूटा गया उतने में लंदन शहर में 50 पाउंड के नोटो की 4 कालीन बिछाई जा सकती है. बता दें कि लंदन का क्षेत्रफल 1572 स्क्वायर किलोमीटर है.
भारत को अग्रेजों ने लूटा
2023 की तुलना में 2024 में अरबपतियों की संपत्ति में तीन गुना तेज़ी से वृद्धि हुई और ये अरबपति ज्यादातर अमीर देशों में रहते हैं जो दुनिया की आबादी का सिर्फ पांचवां हिस्सा हैं. इसके बाद भी ये देश वैश्विक संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा रखते हैं. ऐसे में आप खुद सोचिए कि किस हद तक भारत को अग्रेजों ने लूटा है.
East India Company के शासन के दौरान, भारतीय सामान मुफ्त में निर्यात किए जाते थे. जब ब्रिटिश क्राउन ने सत्ता संभाली, तो विदेशी खरीदारों ने सोने या ब्रिटिश मुद्रा में भुगतान करना शुरू किया. लेकिन, भारतीय निर्यातकों को अभी भी भारतीय करों का उपयोग करके भुगतान किया जाता था, मतलब कि भारत की निर्यात आय कभी भी देश में नहीं रही है. भारत में उद्योग या बुनियादी ढांचे के विकास के लिए इस्तेमाल किए जाने के बजाय, इस पैसे का इस्तेमाल ब्रिटेन के वैश्विक विस्तार, अमेरिका और यूरोप में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए किया गया.
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