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ना 90…ना 70 घंटे, सिर्फ 47.5 घंटे काम! इस कंपनी के सीईओ का एलएंडटी के चेयरमैन को जवाब

Work Hours: काम के घंटे को लेकर अश्विन यार्डी का बयान उन कर्मचारियों के लिए राहत की खबर है, जो वर्क और लाइफ के बीच बैलेंस चाहते हैं. आईटी सेक्टर में काम के घंटे को लेकर बढ़ती बहस के बीच कैपजेमिनी का यह विजन एक नई दिशा दिखाता है.

Work Hours: लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन की ओर से सप्ताह में 90 घंटे काम की बात पर छिड़ी बहस थमने का नाम नहीं ले रही है. उनके इस बयान के बाद इन्फोसिस के सह-संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति ने 70 घंटे काम करने का सुझाव दिया था. अब सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवा कंपनी कैपजेमिनी इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अश्विन यार्डी ने सप्ताह में 47.5 घंटे काम करने करने की वकालत की है. उन्होंने वीकेंड में कर्मचारियों को ईमेल न भेजने की भी बात कही है.

सप्ताह में 47.5 घंटे काम करना सही समय

मंगलवार को नैसकॉम टेक्नोलॉजी एंड लीडरशिप फोरम (NTLF) में अश्विन यार्डी ने कहा, “47.5 घंटे काम का समय आदर्श है, जो प्रति दिन करीब नौ घंटे और सप्ताह में पांच दिन का होता है.” उन्होंने कहा कि यह न केवल कर्मचारियों की उत्पादकता बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि उनके व्यक्तिगत जीवन को भी संतुलित रखता है.

वीकेंड में ईमेल भेजने के खिलाफ

अश्विन यार्डी ने कहा कि वह पिछले चार सालों से वीकेंड में कर्मचारियों को ईमेल भेजने से बचते हैं, जब तक कि बहुत जरूरी न हो. उन्होंने माना कि कभी-कभी वह खुद वीकेंड में काम करते हैं, लेकिन टीम पर अतिरिक्त दबाव नहीं डालते.

70 और 90 घंटे काम की वकालत करने वालों को जवाब

हाल ही में आईटी जगत में इन्फोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने 70 घंटे के वर्क वीक का सुझाव दिया था, जबकि लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने 90 घंटे के कार्य सप्ताह की वकालत की थी. इस पर यार्डी ने अप्रत्यक्ष रूप से अपनी राय रखते हुए कहा कि परिणाम अधिक मायने रखते हैं, न कि लंबे समय तक काम करना.

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आईटी इंडस्ट्री में बैलेंस्ड वर्क कल्चर की जरूरत

नैसकॉम की चेयरपर्सन सिंधु गंगाधरन ने भी इस चर्चा में अपनी राय रखते हुए कहा, “वर्क प्लेस पर उत्पादकता और परिणाम सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं, न कि केवल कार्य के घंटे.”

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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