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यूट्यूब और इंस्टाग्राम के इन्फ्लूएंसर्स को पैसा देगी सरकार! बनाया अरबों रुपये का फंड

Content Creators Fund: भारत सरकार ने कंटेंट क्रिएटर्स को एक बिलियन डॉलर का फंड देने की घोषणा की है, ताकि उन्हें वैश्विक स्तर पर सफलता पाने के लिए वित्तीय, कौशल और तकनीकी सहायता मिल सके. इसके साथ ही, भारत को एक डिजिटल कंटेंट निर्यातक के रूप में स्थापित करने की योजना है, जिससे युवा क्रिएटर्स को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और भारतीय संस्कृति और ज्ञान को दुनिया के सामने पेश किया जा सकेगा.

Content Creators Fund: भारत में यूट्यूब और इंस्टाग्राम समेत तमाम सोशल मीडिया मंचों के लिए कंटेंट क्रिएट करने वाले इन्फ्लूएंसर्स के लिए एक महत्वपूर्ण खबर है. वह यह है कि कंटेंट क्रिएटर्स को सरकार पैसा देने वाली है. इसके लिए सरकार ने अरबों रुपये का फंड बनाने का ऐलान भी कर दिया है. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में क्रिएटर इकोनॉमी काफी तेजी से बढ़ रही है. इस वृद्धि को और बढ़ावा देने के लिए सरकार ने हाल ही में कंटेंट क्रिएटर्स के लिए 1 बिलियन डॉलर (करीब 83 हजार करोड़ रुपये) के फंड की घोषणा की है. केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने वर्ल्ड ऑडियो-विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (WAVES) 2025 के दौरान इस फंड की जानकारी दी. इस कदम से भारत के डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स को ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर पहचान और अवसर मिलने की उम्मीद है.

भारत में क्रिएटर इकोनॉमी का बढ़ता प्रभाव

भारत में सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स जैसे YouTube, Instagram, X और Facebook ने कंटेंट क्रिएटर्स के लिए एक नया करियर विकल्प खोला है. अब लाखों युवा इन प्लेटफॉर्म्स पर एंटरटेनमेंट, शिक्षा और इंफ्लुएंसर मार्केटिंग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कंटेंट बना रहे हैं. सरकार का उद्देश्य इन क्रिएटर्स को वित्तीय और तकनीकी सहायता देकर ग्लोबल लेवल पर बढ़ावा देना है.

1 बिलियन डॉलर का फंड क्यों जरूरी है?

सरकार का कहना है कि इस फंड का उद्देश्य भारत के कंटेंट क्रिएटर्स को पूंजी, कौशल और वैश्विक बाजार में अवसर मुहैया कराना है. डिजिटल कंटेंट क्रिएट करना अब सिर्फ मनोरंजन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ब्रांड पार्टनरशिप और मार्केटिंग के लिए भी एक प्रभावी औजार बन चुका है. इसके अलावा, इस फंड से कंटेंट क्रिएटर्स को नई तकनीकों और एडवांस इक्विपमेंट तक पहुंच मिलेगी, जिससे वे अपने उत्पादन स्तर को बढ़ा सकेंगे.

आईआईसीटी की स्थापना करेगी सरकार

इसके अलावा, सरकार ने भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान (IICT) की स्थापना के लिए 391 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं. यह संस्थान मुंबई के फिल्म सिटी में स्थापित होगा और इसमें कंटेंट क्रिएटर्स को डिजिटल प्रौद्योगिकी और रचनात्मकता में विशेषज्ञता हासिल करने के अवसर मिलेंगे.

सरकार का क्या है उद्देश्य

भारत सरकार का यह कदम केवल राष्ट्रीय स्तर पर नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी डिजिटल कंटेंट के निर्यात को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण है. WAVES बाजार जैसे वैश्विक प्लेटफार्मों के माध्यम से भारत के क्रिएटर्स को अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जोड़ा जाएगा, जिससे उनके लिए नए अवसर खुलेंगे.

क्रिएटर इकोनॉमी का भविष्य

भारत में कंटेंट क्रिएटर्स की संख्या 4 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है, जो कि पिछले चार वर्षों में 322% की वृद्धि को दर्शाता है. इसके साथ ही, कई क्षेत्रों जैसे फैशन, फिटनेस, ट्रेवल और गेमिंग में इन क्रिएटर्स की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है. भारत के युवा अब सिर्फ उपभोक्ता नहीं, बल्कि वैश्विक डिजिटल सामग्री निर्माताओं के रूप में भी उभर रहे हैं.

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ब्रांड और इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग का भविष्य

इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और ब्रांड्स अब अपने उत्पादों को प्रचारित करने के लिए कंटेंट क्रिएटर्स के साथ रणनीतिक साझेदारी कर रहे हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, 2024 तक इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग में 25% तक की वृद्धि की उम्मीद है और 2026 तक यह 3,375 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है. इसलिए सरकार की इस पहल का उद्देश्य केवल क्रिएटर्स को आर्थिक मदद नहीं, बल्कि उन्हें डिजिटल दुनिया में एक वैश्विक ताकत बनाने का है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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