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बुनियादी उद्योगों की सुस्ती जारी, दिसंबर 2024 में औद्योगिक उत्पादन गिरकर 4% पर

Industrial Production: सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों की उत्पादन वृद्धि दिसंबर में घटकर 4% रह गई, जो पिछले साल 5.1% थी. आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों का आईआईपी (औद्योगिक उत्पादन सूचकांक) में 40.27% का भारांश है. इससे यह पता चलता है कि इनकी वृद्धि दर समग्र औद्योगिक विकास पर गहरा प्रभाव डालती है.

Industrial Production: भारत के आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों की उत्पादन वृद्धि दिसंबर, 2024 में सुस्त पड़कर 4% रह गई. शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई. एक साल पहले समान महीने में आठ बुनियादी उद्योगों का उत्पादन 5.1 प्रतिशत बढ़ा था. मासिक आधार पर बुनियादी उद्योगों की वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ी है. नवंबर, 2024 में इन क्षेत्रों का उत्पादन 4.4% रहा था. दिसंबर में प्राकृतिक गैस के उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई.

बुनियादी उद्योगों की उत्पादन वृद्धि दर में गिरावट

नवंबर 2024 में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर 4.4% थी, जो दिसंबर में और घटकर 4% रह गई. मुख्य रूप से प्राकृतिक गैस उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई, जिससे औद्योगिक वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ी.

उद्योगदिसंबर 2024 (%)दिसंबर 2023 (%)
कोयला5.3%10.8%
रिफाइनरी उत्पाद2.8%4.1%
उर्वरक1.7%5.9%
इस्पात5.1%8.3%
सीमेंट4.0%
बिजली5.1%

अप्रैल-दिसंबर 2024 की औद्योगिक वृद्धि दर

चालू वित्त वर्ष (अप्रैल-दिसंबर 2024) में बुनियादी उद्योगों की औसत उत्पादन वृद्धि दर 4.2% रही. पिछले वित्त वर्ष (अप्रैल-दिसंबर 2023) में यह 8.3% थी, जिससे यह साफ होता है कि औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर धीमी हुई है.

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औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में योगदान

आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों का आईआईपी (औद्योगिक उत्पादन सूचकांक) में 40.27% का भारांश है. इससे यह पता चलता है कि इनकी वृद्धि दर समग्र औद्योगिक विकास पर गहरा प्रभाव डालती है. हालांकि, कुछ क्षेत्रों में उत्पादन वृद्धि हुई, लेकिन समग्र रूप से औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार सुस्त रही. कोयला, बिजली और सीमेंट उत्पादन में मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई, लेकिन प्राकृतिक गैस और उर्वरक उत्पादन में गिरावट चिंता का विषय बनी हुई है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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