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टाटा ग्रुप को तोड़ने की कोशिश में थे साइरस मिस्त्री, Ratan Tata ने ऐसे बदली तस्वीर

Ratan Tata: टाटा ग्रुप के दिग्गजों के हवाले से थॉमस मैथ्यू ने कहा कि उनका कहना था कि उनकी टाटा समूह को तोड़ने की कोशिश अभी नहीं की गई है, लेकिन यह मकसद हो सकता है. जब उनसे पूछा गया कि क्या रतन टाटा को भी दूसरे दिग्गजों जैसी ही आशंकाएं थीं? तब, उन्होंने कहा कि रतन टाटा बहुत ही मितभाषी व्यक्ति थे.

Ratan Tata: शपूर पलोनजी मिस्त्री के दिवंगत बेटे साइरस मिस्त्री क्या सही मायने में टाटा ग्रुप को तोड़ने की कोशिश में जुटे हुए थे? यह सवाल इसलिए पैदा हो रहा है कि टाटा संस के पूर्व मानद चेयरमैन रतन टाटा के निधन के बाद उनकी जीवनी ‘रतन टाटा ए लाइफ’ में इस प्रकार के कई खुलासे किए गए हैं. इन खुलासों के बाद रतन टाटा और साइरस मिस्त्री के आपसी संबंधों पर चर्चा का बाजार गर्म है. इसी दौरान रतन टाटा की जीवनी पर पुस्तक लिखने वाले थॉमस मैथ्यू ने अभी हाल ही में समाचार एजेंसी पीटीआई वीडियो को एक इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होंने टाटा ग्रुप को लेकर कई दावे किए गए हैं.

टाटा ग्रुप के दिग्गजों को साइरस मिस्त्री पर था शक

इंटरव्यू में ‘रतन टाटा ए लाइफ’ के लेखक थॉमस मैथ्यू ने दावा किया है कि टाटा ग्रुप को तोड़ने की साइरस मिस्री की कथित कोशिश संबंधी आशंकाओं के बारे में पूछे जाने पर रतन टाटा की ‘कोई टिप्पणी नहीं’वाला बयान किसी दूसरे वक्तव्य से अधिक प्रभावी साबित हुआ था. टाटा ग्रुप के कुछ दिग्गजों को आशंका थी कि साइरस मिस्त्री ग्रुप को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.

साइरस मिस्त्री को उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे रतन टाटा

थॉमस मैथ्यू ने अपने इंटरव्यू में यह दावा भी किया है कि रतन टाटा ने 2012 में अपने उत्तराधिकारी के रूप में दिवंगत साइरस मिस्त्री का पूरी तरह से समर्थन किया था, जबकि मनोनीत चेयरमैन साइरस मिस्री के साथ समानांतर संचालन कर रहे रतन टाटा ने पहले साल के अंत में उनकी उपयुक्तता पर पुनर्विचार किया था. उन्होंने बताया कि 2016 में टाटा संस के चेयरमैन के रूप में साइरस मिस्री को हटाने का फैसला ‘आचार और नैतिक मुद्दे’ के साथ-साथ उनके प्रदर्शन के कारण हुआ था.

शेयरों के अधिग्रहण से खुला भेद

रतन टाटा की जीवनी ‘रतन टाटा ए लाइफ’ में टाटा ग्रुप के कुछ दिग्गजों के हवाले से कहा गया है कि उन्हें आशंका थी कि साइरस मिस्त्री नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक के कारोबार वाले ग्रुप को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने यह आशंका चेयरमैन के रूप में साइरस मिस्त्री की कार्यशैली और शापूरजी पालोनजी (एसपी) ग्रुप द्वारा टाटा संस में शेयरों के अधिग्रहण के पिछले रिकॉर्ड के आधार पर जताई थी. इस मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर पूर्व नौकरशाह ने कहा कि इस बारे में दो विचारधाराएं हैं. टाटा ग्रुप के कुछ दिग्गजों का कहना है कि जिस तरह से एसपी ग्रुप ने टाटा संस के शेयर प्राप्त किये, वह अच्छा संकेत नहीं था.

एसपी ग्रुप ने जेआरडी के भाई-बहनों तक के शेयर खरीदे

थॉमस मैथ्यू ने टाटा ग्रुप के दिग्गजों के हवाले से बताया कि जिस तरह से एसपी ग्रुप ने टाटा ग्रुप के शेयर एकत्रित किए, उससे जेआरडी टाटा नाराज थे. इसे हल्के ढंग से कहें, तो और वह बहुत, बहुत असहज थे. एक गुप्त तरीके से एसपी ग्रुप ने कमजोर पारिवारिक सदस्यों की कमजोरियों का फायदा उठाते हुए शेयर हासिल किए. किताब में कहा गया है कि एसपी ग्रुप ने टाटा संस में अपनी हिस्सेदारी धीरे-धीरे बढ़ाकर लगभग 18 फीसदी कर ली थी और कंपनी के शेयर खरीद लिए थे, जो जेआरडी ने अपने भाई-बहनों को दे दिए थे.

साइरस मिस्त्री ने टाटा ग्रुप की परंपरा तोड़ी

थॉमस मैथ्यू लंबे समय से रतन टाटा के साथ जुड़े थे. वह 1995 में जब तत्कालीन उद्योग मंत्री के सचिव थे, तब उनका संपर्क रतन टाटा से हुआ. लेखक ने कहा कि अब दूसरा सहायक विमर्श यह है कि जब रतन टाटा, टाटा संस के चेयरमैन थे, तब टाटा संस के कई निदेशक टाटा ग्रुप की बड़ी कंपनियों के भी निदेशक थे. लगभग 15-20 निदेशक पद ऐसे थे, जिनमें ये लोग टाटा ट्रस्ट, टाटा संस और टाटा कंपनियों के बीच की कड़ी थे. उन्होंने कहा कि यह (टाटा संस के निदेशकों को दूसरी टाटा कंपनियों में बोर्ड सदस्य के रूप में रखने की प्रथा) साइरस मिस्त्री के समय में काफी हद तक अनुपस्थित थी. वास्तव में, दो लोगों को छोड़कर, वे लगभग विशेष रूप से सबसे बड़ी (टाटा) कंपनियों (के बोर्ड) में थे. इसलिए उन्होंने कहा कि प्रमुख कंपनियों (बोर्ड) से टाटा समूह के दिग्गजों को बाहर रखना भी अच्छा संकेत नहीं था.

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रतन टाटा ने टिप्पणी नहीं करके डाला था प्रभाव

टाटा ग्रुप के दिग्गजों के हवाले से थॉमस मैथ्यू ने कहा कि उनका कहना था कि उनकी टाटा समूह को तोड़ने की कोशिश अभी नहीं की गई है, लेकिन यह मकसद हो सकता है. जब उनसे पूछा गया कि क्या रतन टाटा को भी दूसरे दिग्गजों जैसी ही आशंकाएं थीं, तो उन्होंने कहा कि रतन टाटा बहुत ही मितभाषी व्यक्ति थे. वे बहुत ही दयालु व्यक्ति थे. वे इस पर कोई टिप्पणी नहीं करते, लेकिन मेरे लिए उनकी टिप्पणी न करना किसी टिप्पणी से भी अधिक प्रभावी है. मैंने कहा कि सर, क्या आपको लगता है कि यह सच है? कोई टिप्पणी नहीं (टाटा ने जवाब दिया).’ मुझे लगता है कि यह उनके द्वारा कोई बयान देने से भी अधिक प्रभावशाली है.

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नोएल को बहुत पसंद करते थे रतन टाटा

अपने सौतेले भाई नोएल टाटा के साथ रतन टाटा के संबंधों और उनके उत्तराधिकारी के रूप में नोएल को न चुने जाने के बारे में पूछे जाने पर मैथ्यू ने कहा कि रतन टाटा वास्तव में नोएल टाटा को बहुत पसंद करते थे. जहां तक ​​मैं समझता हूं, उन्हें सचमुच लगता था कि नोएल के पास इस टाटा जैसे ग्रुप को चलाने का अनुभव नहीं है, लेकिन वह जानते थे कि वह बहुत ही योग्य व्यक्ति हैं.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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