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बिहार में बैटरी वाली आटा चक्की से होगी कमाई, निर्मला सीतारमण करेंगी शुभारंभ

Employment: सीएसटीएस ने ‘सक्षम मिथिला’ नामक एक ऐप भी विकसित किया है, जो यूजर्स को उनके नजदीकी मोबाइल चक्की की सेवाएं बुक करने में मदद करेगा. यह ऐप पूरी तरह से स्वच्छता का ध्यान रखते हुए घर बैठे सुविधाएं प्रदान करता है.

Employment: बिहार में बैटरी से चलने वाली आटा चक्की से लोगों की कमाई होगी. राज्य की प्रतिभाओं के पलायन को रोककर रोजगार का अवसर उपलब्ध कराने के लिए बैटरी चालित इस आटा चक्की को सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ ट्रेडिशन एंड सिस्टमस (सीएसटीएस) ने विकसित किया है. सीएसटीएस ने अपनी इस रोजगारपरक पहल को दूर-दराज के गांव देहात के लोगों तक पहुंचाने के लिए ‘सक्षम’ नामक प्रोजेक्ट तैयार किया है. 29 नवंबर 2024 को सीएसटीएस के प्रोजेक्ट ‘सक्षम: जीविका के माध्यम से सशक्तिकरण’ का उद्घाटन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी.

बिहार के गांव-देहात में रोजगार पैदा करेगी बैटरी वाली आटा चक्की

प्रभात खबर डॉट कॉम से बातचीत के दौरान सीएसटीएस की फाउंडर सविता झा ने कहा, ”हमारी संस्था का उद्देश्य ‘सक्षम: जीविका के माध्यम से सशक्तिकरण’ की पहल के माध्यम से दूर-दराज गांव-देहात के दिव्यांगजनों, महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार के व्यापक अवसर सृजित करना है. इस परियोजना के तहत हमने विशेष रूप से तैयार किए गए डिजाइन के आधार पर बैटरी-चालित आटा चक्की सिस्टम विकसित की है. इस आटा चक्की को ट्राइसाइकिल पर स्थापित किया गया है. यह सिस्टम गांवों में घर-घर सेवाएं प्रदान करेगा. ये चक्कियां आटा, प्रोटीन-युक्त सत्तू और ताजे मसाले तैयार करेंगी. इससे न केवल रोजगार के अवसर पैदा होंगे, बल्कि क्षेत्र के उपभोक्ताओं को स्वस्थ खाद्य विकल्प भी उपलब्ध होंगे.

10 लाभार्थियों को बैटरी वाली आटा चक्की बांटेंगी निर्मला सीतारमण

सीएसटीएस की फाउंडर सविता झा ने आगे कहा कि ‘सक्षम’ प्रोजेक्ट के शुभारंभ के अवसर पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 10 विशेष रूप से सक्षम लाभार्थियों को ट्राइसाइकिल आधारित बैटरी से चलने वाली चक्कियों को वितरित करेंगी. सीएसटीएस का यह पायलट प्रोग्राम सरकार की आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देने प्रतिबद्ध है. यह प्रयास भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) कार्यक्रम के सहयोग से संभव हुआ है.

मोबाइल ऐप के जरिए होगी बुकिंग

मिथिला स्टैक के फाउंडर अरविंद झा ने कहा कि सीएसटीएस ने ‘सक्षम मिथिला’ नामक एक ऐप भी विकसित किया है, जो यूजर्स को उनके नजदीकी मोबाइल चक्की की सेवाएं बुक करने में मदद करेगा. यह ऐप पूरी तरह से स्वच्छता का ध्यान रखते हुए घर बैठे सुविधाएं प्रदान करता है. इच्छुक यूजर्स ऐप के माध्यम से इन मोबाइल यूनिट्स को संचालित करने के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. ऐप को मिथिला स्टैक, दरभंगा की एक आईटी/आईटीईएस समाधान कंपनी, के सहयोग से विकसित किया गया है.

हर महीने 5 से 8 हजार की कमाई

इस पहल के तहत सीएसटीएस का अनुमान है कि इस प्रकार के 1000 से अधिक मोबाइल यूनिट्स क्षेत्र में स्थापित किए जा सकते हैं, जिससे सेवा प्रदाताओं को हर महीने 5000-8000 रुपये की आमदनी हो सकेगी. विशेष रूप से सक्षम और महिलाओं के लिए CSR कार्यक्रमों के सहयोग से तथा युवाओं के लिए बैंकों और माइक्रोफाइनेंस संस्थानों के साथ साझेदारी के माध्यम से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी.

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वंचित वर्ग के लोगों की आवाज बुलंद करता है सीएसटीएस

सविता झा ने कहा कि सीएसटीएस एक गैर-लाभकारी ट्रस्ट है, जो हाशिए पर खड़ी समुदायों के विकास और संवाद के लिए कार्य करता है. यह संगठन परंपरा की गतिशील संभावनाओं में विश्वास करता है और वंचित वर्गों को उनकी आवाज को बुलंद के लिए एक मंच प्रदान करता है. ‘सक्षम’ परियोजना नवाचार, समुदाय समर्थन और सामाजिक उत्तरदायित्व के संयुक्त प्रयास के माध्यम से वंचित समुदायों के लिए स्थायी विकास के समाधान प्रस्तुत करने की दिशा में एक सार्थक कदम है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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