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वंचितों की आत्मनिर्भरता के लिए महत्वपूर्ण परियोजना है ‘सक्षम’: निर्मला सीतारमण

Employment: केंद्रीय वित्त मंत्री वित्त मंत्री ने कहा, “सक्षम परियोजना न केवल रोजगार सृजन का माध्यम बनेगी, बल्कि समाज के वंचित वर्गों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित होगी. सरकार ऐसे प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है.”

Employment: केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने दरभंगा के राज मैदान में सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ ट्रेडिशन एंड सिस्टमस (सीएसटीएस) की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘सक्षम: जीविका के माध्यम से सशक्तिकरण’ का शुभारंभ किया. इस परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में दिव्यांगजनों, महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराना है. सीएसटीएस ने राज्य की प्रतिभाओं के पलायन को रोककर रोजगार का अवसर उपलब्ध कराने के लिए बैटरी चालित आटा चक्की को विकसित किया है. सीएसटीएस ने अपनी इस रोजगारपरक पहल को दूर-दराज के गांव देहात के लोगों तक पहुंचाने के लिए ‘सक्षम’ नामक प्रोजेक्ट तैयार किया है.

वंचितों की आत्मनिर्भरता के लिए महत्वपूर्ण कदम

इस अवसर पर केंद्रीय वित्त मंत्री वित्त मंत्री ने कहा, “सक्षम परियोजना न केवल रोजगार सृजन का माध्यम बनेगी, बल्कि समाज के वंचित वर्गों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित होगी. सरकार ऐसे प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है.” वित्त मंत्री ने शुभारंभ समारोह के दौरान 10 लाभार्थियों को इन ट्राइसाइकिल आधारित बैटरी से चलने वाली आटा चक्कियों का वितरण किया. यह पायलट कार्यक्रम सिडबी के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) कार्यक्रम के सहयोग से संभव हो सका है।.

ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका का सशक्त साधन बनेगी सक्षम

‘सक्षम’ परियोजना ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के साथ सामाजिक सशक्तिकरण का पर्याय बनेगी. वित्त मंत्री ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इस परियोजना के अंतर्गत विशेष रूप से डिजाइन की गई बैटरी-चालित आटा चक्कियां गांवों में घर-घर सेवाएं प्रदान करेंगी. इसे ट्राइसाइकिल पर माउंट की गई हैं.

घर-घर सेवाएं प्रदान करेगी सक्षम

सीएसटीएस की फाउंडर सविता झा ने कहा, ”हमारी संस्था का उद्देश्य ‘सक्षम: जीविका के माध्यम से सशक्तिकरण’ की पहल के माध्यम से दूर-दराज गांव-देहात के दिव्यांगजनों, महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार के व्यापक अवसर सृजित करना है. इस परियोजना के तहत हमने विशेष रूप से तैयार किए गए डिजाइन के आधार पर बैटरी-चालित आटा चक्की सिस्टम विकसित की है. इस आटा चक्की को ट्राइसाइकिल पर स्थापित किया गया है. यह सिस्टम गांवों में घर-घर सेवाएं प्रदान करेगा. ये चक्कियां आटा, प्रोटीन-युक्त सत्तू और ताजे मसाले तैयार करेंगी. इससे न केवल रोजगार के अवसर पैदा होंगे, बल्कि क्षेत्र के उपभोक्ताओं को स्वस्थ खाद्य विकल्प भी उपलब्ध होंगे.

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सक्षम मिथिला मोबाइल ऐप लॉन्च

सीएसटीएस ने इस परियोजना के लिए ‘सक्षम मिथिला’ नामक एक मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया है. मिथिला स्टैक के फाउंडर अरविंद झा ने कहा कि यह ऐप उपभोक्ताओं को उनके निकटतम मोबाइल चक्की की सेवाएं बुक करने की सुविधा प्रदान करेगा. साथ ही इच्छुक व्यक्ति इस ऐप के माध्यम से इन मोबाइल यूनिट्स को संचालित करने के लिए पंजीकरण कर सकते हैं. यह ऐप मिथिला स्टैक, दरभंगा की एक आईटी/आईटीईएस समाधान कंपनी, के सहयोग से विकसित किया गया है. इस पहल से 1000 से अधिक मोबाइल यूनिट्स स्थापित होने की संभावना है, जो प्रत्येक सेवा प्रदाता को 5000-8000 प्रति माह की आय का अवसर प्रदान करेगी. सीएसटीएस विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों और महिलाओं के लिए सीएसआर कार्यक्रमों के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करेगा. इसके साथ ही, युवाओं को बैंकों और माइक्रोफाइनेंस संस्थानों के माध्यम से मदद उपलब्ध कराई जाएगी.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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