GDP: भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) की चौथी तिमाही में बेहतर गति से आगे बढ़ने की उम्मीद है. सेंटरम (Centrum) की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस वृद्धि को सरकार के मजबूत पूंजीगत खर्च, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार और निजी निवेश में संभावित वृद्धि का समर्थन मिलेगा. इसके अलावा, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा दरों में कटौती भी आर्थिक सुधार में मदद कर सकती है.
India's GDP to grow at faster pace in Q4; RBI rate cut and businesses at Mahakumbh could aid recovery: Report
— ANI Digital (@ani_digital) March 3, 2025
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FY25 में 6.5% जीडीपी वृद्धि का अनुमान
रिपोर्ट में बताया गया है कि FY25 में भारत की जीडीपी (GDP) वृद्धि 6.5% रहने का अनुमान है. खासकर चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ने की उम्मीद है. इस वृद्धि को निम्नलिखित कारक समर्थन दे सकते हैं:
- सरकार का पूंजीगत खर्च बढ़ना
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था का उभरना
- निजी निवेश में संभावित वृद्धि
- RBI द्वारा ब्याज दरों में कटौती
तीसरी तिमाही (Q3FY25) में भारत की अर्थव्यवस्था 6.2% की दर से बढ़ी, जो दूसरी तिमाही (Q2FY25) की 5.58% वृद्धि दर से अधिक थी. हालांकि, यह वृद्धि अनुमानित 6.3% की उम्मीद से थोड़ी कम रही.
निजी उपभोग व्यय ने बढ़ाई अर्थव्यवस्था की रफ्तार
FY25 की तीसरी तिमाही में निजी उपभोग व्यय (Private Consumption Expenditure) 6.9% बढ़ा. यह Q3FY24 की तुलना में 122 बेसिस पॉइंट्स अधिक और Q2FY25 से 102 बेसिस पॉइंट्स अधिक है. इससे संकेत मिलता है कि खपत मांग (Consumption Demand) में सुधार हो रहा है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के कारण लोगों की क्रय शक्ति बढ़ी है, जिससे आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हो रही है. हालांकि, रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि शहरी मांग में गिरावट देखी जा रही है, जो Q3 के कॉर्पोरेट आय (Corporate Earnings) में दिखाई दे रही है. यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो आने वाली तिमाहियों में यह आर्थिक वृद्धि के लिए चुनौती बन सकती है.
महाकुंभ 2025 का प्रभाव भी दिख सकता है
रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि महाकुंभ 2025 के दौरान होने वाले बड़े खर्च से उपभोग मांग (Consumption Demand) को सकारात्मक प्रभाव मिल सकता है. इस ऐतिहासिक आयोजन के कारण पर्यटन, होटल, परिवहन और स्थानीय कारोबारों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ सकती है.
वैश्विक अनिश्चितताओं से बनी हुई हैं चुनौतियां
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, हालांकि भारत की आर्थिक संभावनाएँ मजबूत हैं, लेकिन कुछ बाहरी जोखिम भी मौजूद हैं, जो विकास को प्रभावित कर सकते हैं. इनमें शामिल हैं:
- वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता
- भू-राजनीतिक तनाव (Geopolitical Tensions)
- चालू व्यापार युद्ध (Tariff War) का प्रभाव
यदि इन चुनौतियों को नियंत्रण में नहीं रखा गया, तो भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
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