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IndiGo में महिला पायलट बनने का गोल्डन चांस, 1 साल में 1000 भर्ती

IndiGo: प्राइवेट एयरलाइन इंडिगो देश की आजादी के 77 साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए अपने एयरबस और एटीआर विमानों में 77 महिला पायलटों को शामिल किया. एयरलाइन के पास 31 मार्च, 2024 तक 36,860 स्थायी कर्मचारी थे, जिनमें 5,038 पायलट और 9,363 केबिन क्रू शामिल हैं.

IndiGo: भारत की प्राइवेट एयरलाइंस इंडिगो में महिला पायलट बनने का गोल्डन चांस जल्द ही मिलने वाला है. कंपनी की ओर जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि विविधता और समावेशिता को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत एयरलाइन कंपनी इंडिगो का लक्ष्य अगले एक साल में अपने कार्यबल में महिला पायलटों की संख्या को 1,000 से अधिक तक करना है. अपने बेड़े और नेटवर्क का विस्तार कर रही एयरलाइन में 800 से अधिक महिला पायलट हैं.

IndiGo की इंजीनियरिंग में महिलाओं की संख्या में वृद्धि

इंडिगो के ग्रुप चीफ ह्यूमैन रिसोर्सेज ऑफिसर सुखजीत एस पसरीचा ने कहा कि एयरलाइन इंजीनियरिंग और उड़ान कर्मचारियों सहित हर क्षेत्र में काम करके बड़े पैमाने पर समावेशिता को बढ़ावा दे रही है. उन्होंने कहा कि हर कार्य क्षेत्र में हम विविधता और समावेशिता को बढ़ावा दे रहे हैं. हम इसके लिए 360 डिग्री दृष्टिकोण अपनाते हैं. इंजीनियरिंग में महिलाओं की संख्या में कुल मिलाकर लगभग 30 फीसदी की वृद्धि हुई है.

IndiGo में फिलहाल 800 महिला पायलट

सुखजीत एस पसरीचा ने कहा कि इंडिगो में सबसे अधिक महिला पायलट हैं, जो अब 800 से ज़्यादा हैं. कंपनी में लगभग 14 फीसदी महिला पायलट हैं, जबकि वैश्विक औसत सात से नौ फीसदी महिला पायलटों का है. उन्होंने कहा कि हम एक साल में (अगस्त, 2025 तक) 1,000 महिला पायलटों की संख्या पार कर लेंगे. रोजाना 2,000 से अधिक उड़ानें संचालित करने वाली एयरलाइन के पास फिलहाल 5,000 से अधिक पायलट हैं.

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नई नियुक्ति कर आजादी का जश्न मना रही IndiGo

इंडिगो देश की आजादी के 77 साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए अपने एयरबस और एटीआर विमानों में 77 महिला पायलटों को शामिल किया. एयरलाइन के पास 31 मार्च, 2024 तक 36,860 स्थायी कर्मचारी थे, जिनमें 5,038 पायलट और 9,363 केबिन क्रू शामिल हैं. गिनती में 713 महिला पायलट शामिल थीं. इसमें एलजीबीटीक्यू वर्ग के कर्मचारी भी हैं.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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