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सरकार ने इन छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें बढ़ाईं, जानिए किसे कितना होगा फायदा

नवीनतम ब्याज दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद थी, क्योंकि सरकारी बॉन्ड यील्ड बढ़ी है. छोटी बचत दरें समान परिपक्वता के सरकारी बॉन्ड प्रतिफल से जुड़ी होती हैं और हर तिमाही में रीसेट की जाती हैं.

नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार ने करीब चार साल बाद कुछ छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है. वित्त मंत्रालय द्वारा 29 सितंबर यानी गुरुवार को जारी एक सर्कुलर के अनुसार, अक्टूबर-दिसंबर 2022 तिमाही के लिए दो छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में 20 आधार अंक यानी 0.2 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है. बता दें कि ब्याज दरों के मामले में एक फीसदी की बढ़ोतरी करीब 100 आधार अंकों के बराबर होगी है.

पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि योजना में बदलाव नहीं

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार की ओर से वरिष्ठ नागरिक बचत योजना की ब्याज दर में 20 आधार अंक यानी 0.2 बढ़ाकर 7.6 फीसदी और किसान विकास पत्र की ब्याज दर को बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया गया है. पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि योजना जैसी बाकी छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

किस बचत योजना पर कितनी ब्याज दर
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पिछली बार दरों में बढ़ोतरी 2018 में अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए की गई थी. नवीनतम ब्याज दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद थी, क्योंकि सरकारी बॉन्ड यील्ड बढ़ी है. छोटी बचत दरें समान परिपक्वता के सरकारी बॉन्ड प्रतिफल से जुड़ी होती हैं और हर तिमाही में रीसेट की जाती हैं. राजनीतिक मजबूरियों की बदौलत भले ही FD जैसे फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स की ब्याज दरों में कटौती की गई हो. सरकार ने छोटी बचत योजनाओं की दरों को अपरिवर्तित रखा. मॉल की बचत दरें समान परिपक्वता के सरकारी बॉन्ड प्रतिफल से जुड़ी होती हैं और हर तिमाही में रीसेट की जाती हैं. 2020-21 के दौरान बॉन्ड यील्ड में लगातार गिरावट आई है. अगर आपको याद हो, तो अप्रैल 2021 में सार्वजनिक हंगामे के बाद छोटी बचत योजनाओं में 60-70 आधार दर में भारी कटौती को जल्दबाजी में वापस ले लिया गया था. अब जबकि बांड प्रतिफल में तेजी से वृद्धि हुई है, लघु बचत दरों को ऊपर की ओर संशोधित किया गया है.

एफडी में निवेशकों के लिए अच्छी खबर

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मई 2022 से रेपो रेट में लगातार वृद्धि कर रहा है. केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति समिति की चार बैठकों में रेपो रेट में 140 बीपीएस की वृद्धि की है. इस वजह से बैंक सावधि जमा (एफडी) पर ब्याज दरों में वृद्धि कर रहे हैं, जो कि दशकों से कम ब्याज दरों के साथ बैठे एफडी निवेशकों के लिए अच्छी खबर है.

एफडी, बैंक सेविंग अकाउंट या स्मॉल सेविंग स्कीम

भले ही, बैंकों ने एफडी ब्याज दरों में बढ़ोतरी शुरू कर दी हो, लेकिन कई छोटी बचत योजनाओं पर अभी भी ज्यादा ब्याज दर मिल रही है. 18 अगस्त, 2022 तक 1 से 10 साल की अवधि में एसबीआई की एफडी पर 5.45 से 5.65 फीसदी तक ब्याज दर मिल रहा है. वहीं, वरिष्ठ नागरिकों को इन अवधियों के लिए 0.5 फीसदी अधिक 5.95 से 6.45 फीसदी तक ब्याज मिलेगा. सावधि जमा के अलावा कुछ बड़े बैंकों द्वारा दी जाने वाली बचत खातों पर ब्याज दर भी डाकघर बचत खाते पर ब्याज दर से कम है. डाकघर बचत खाता में फिलहाल 4 फीसदी सालाना की पेशकश कर रहा है, जबकि एसबीआई अपने बचत खाते पर 2.70 फीसदी सालाना ब्याज दर की पेशकश कर रहा है. इसी तरह, आईसीआईसीआई बैंक सालाना 3 से 3.5 फीसदी की पेशकश कर रहा है.

Also Read: छोटी बचत पर नहीं घटेगा ब्याज दर, सरकार ने वापस लिया कटौती का फैसला, जानिए सुकन्या योजना में कितना पड़ा फर्क कैसे निर्धारित की जाती हैं छोटी बचत योजनाओं के लिए ब्याज दरें

सरकार द्वारा हर तिमाही में छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों की समीक्षा की जाती है. छोटी बचत योजना के लिए ब्याज दरों पर आने का फार्मूला श्यामला गोपीनाथ समिति ने दिया था. समिति ने सुझाव दिया था कि विभिन्न योजनाओं की ब्याज दरें समान परिपक्वता वाले सरकारी बॉन्ड की प्रतिफल की तुलना में 25-100 बीपीएस अधिक होनी चाहिए.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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