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आधा भारत नहीं जानता कि 12 लाख तक की कमाई पर टैक्स नहीं तो फिर 4-8 लाख पर 5% टैक्स क्यों?

Income Tax: नए इनकम स्लैब के अनुसार, 4-8 लाख रुपये की आमदनी पर 5% कर लागू होता है, लेकिन धारा 87ए के तहत मिलने वाली रिबेट के कारण 12 लाख रुपये तक की आमदनी वाले व्यक्तियों को वास्तविक रूप में कोई कर नहीं देना पड़ता. इसका उद्देश्य मिडिल क्लास को टैक्स राहत प्रदान करना और उनकी क्रय शक्ति में बढ़ोतरी करना है.

Income Tax: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को बजट में पेश सालाना आम बजट में मध्यम वर्ग के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है. उनकी घोषणा के अनुसार, अब 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. हालांकि, नए इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार, 0-4 लाख रुपये की कमाई पर 0% टैक्स, 4-8 लाख रुपये पर 5% टैक्स और 8-12 लाख रुपये पर 10% टैक्स निर्धारित किया गया है. आधा भारत के लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि जब 12 लाख रुपये तक की कमाई टैक्स फ्री है, तो 4-8 लाख रुपये की आय पर 5% कर क्यों लगाया गया है? इस कारण लोगों को समझ में नहीं आ रहा है. आइए, जानते हैं कि सरकार ने ऐसा क्यों किया?

इनकम टैक्स स्लैब और टैक्स का कैलकुलेशन

सरकार ने इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव करते हुए नई दरें लागू की हैं.

  • 0-4 लाख रुपये: कोई टैक्स नहीं
  • 4-8 लाख रुपये: 5% टैक्स
  • 8-12 लाख रुपये: 10% टैक्स
  • 12-16 लाख रुपये: 15% टैक्स
  • 16-20 लाख रुपये: 20% टैक्स
  • 20-24 लाख रुपये: 25% टैक्स
  • 24 लाख रुपये से अधिक: 30% कर

समझने वाली बात यह है कि इन टैक्स स्लैब्स के अनुसार, प्रत्येक आय वर्ग पर निर्धारित कर दर लागू होती है. उदाहरण के लिए मान लीजिए कि अगर किसी व्यक्ति की सालाना कमाई 10 लाख रुपये है, तो टैक्स का कैलकुलेशन कुछ इस प्रकार होगा.

  • 0-4 लाख रुपये: कोई टैक्स नहीं
  • 4-8 लाख रुपये: 4 लाख रुपये पर 5% = 20,000 रुपये
  • 8-10 लाख रुपये: 2 लाख रुपये पर 10% = 20,000 रुपये
  • कुल कर देय: 20,000 + 20,000 = 40,000 रुपये

धारा 87ए के तहत टैक्स रिबेट

सरकार ने धारा 87ए के तहत टैक्स रिबेट की सीमा बढ़ाकर 12 लाख रुपये तक कर दी है. इसका मतलब है कि अगर आपकी कुल कमाई 12 लाख रुपये या उससे कम है, तो आपके द्वारा देय कर राशि पर अधिकतम 60,000 रुपये तक की छूट मिलेगी. इस प्रकार, 12 लाख रुपये तक की कमाई पर टैक्स की जो भी राशि बनती है, वह पूरी तरह से रिबेट के माध्यम से समाप्त हो जाती है, जिससे आपको कोई कर नहीं देना पड़ता.

0-4 लाख के बाद अतिरिक्त 4 लाख की आमदनी टैक्स फ्री

उदाहरण के लिए आपकी सालाना आमदनी 8 लाख रुपये है, तो टैक्स कैलकुलेशन के हिसाब से 0-4 लाख रुपये की आमदनी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन 4 से 8 लाख रुपये तक की आमदनी में से 4 लाख 1 रुपये से 8 लाख के के बाद वाली 4 लाख रुपये की आमदनी पर 5% के हिसाब से आपको 20,000 रुपये टैक्स के तौर पर देना होगा. लेकिन इनकम टैक्स की धारा 87ए के अनुसार, आपको 20,000 रुपये का टैक्स रिबेट भी मिल जाता है. इसका मतलब यह हुआ कि 4 लाख रुपये की आमदनी पर एक पैसे का भी टैक्स नहीं लगा.

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8 लाख के बाद अतिरिक्त 4 लाख या 12 लाख की आमदनी टैक्स फ्री

उदाहरण के लिए जान लीजिए कि 0-4 लाख रुपये की सालाना आमदनी कोई टैक्स नहीं लगता है, जबकि 4-8 लाख रुपये के बाद 4 लाख रुपये पर 5% के हिसाब 20,000 रुपये और 8 से 12 लाख रुपये के बीच 4 लाख रुपये पर 10% के हिसाब 40,000 रुपये टैक्स देना होगा. यानी कुल मिलाकर कर आपको 20,000 + 40,000 = 60,000 रुपये टैक्स देना चाहिए. लेकिन नहीं. इनकम टैक्स की धारा 87ए के तहत 60,000 रुपये की टैक्स रिबेट मिलने के बाद कुल देने वाला टैक्स 60,000 – 60,000 यानी 0 रुपये हो जाएगा. अब आप ही बताइए कि 12 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी टैक्स फ्री हुई या कि नहीं?

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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