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एसआईपी से 1 करोड़ की कमाई पर कितना लगेगा टैक्स? जानने पर फटी रह जाएंगी आखें

SIP Withdrawal Tax: एसआईपी से 1 करोड़ रुपये की निकासी पर कैपिटल गेन टैक्स कितना लगेगा? यह आपकी होल्डिंग अवधि और फंड के प्रकार (इक्विटी या डेट) पर निर्भर करता है. इक्विटी फंड पर 1 साल से कम में 15% और 1 साल से अधिक में 1 लाख रुपयचे तक टैक्स फ्री, उसके बाद 10% LTCG टैक्स लगेगा. डेट फंड पर लाभ आपकी कुल आय में जुड़कर टैक्स स्लैब के अनुसार करयोग्य होगा.

SIP Withdrawal Tax: आज के समय में म्यूचुअल फंड निवेश करना एक प्रमुख साधन बन चुका है और एसआईपी (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिए लोग धड़ल्ले से मोटी कमाई कर रहे हैं. लेकिन, आधा भारत यह नहीं जानता कि एसआईपी से 1 करोड़ रुपये तक की कमाई करने के बाद उसकी निकासी पर कितना टैक्स लगता है? आधा भारत जिस दिन इसका हिसाब समझ लेगा, उस दिन वह अपना माथा पीट लेगा. आधा भारत का मतलब यह कि जिन लोगों ने अभी-अभी एसआईपी के जरिए मोटी कमाई करने के लिए निवेश करना शुरू किया है. वह जब एसआईपी से 1 करोड़ रुपये की निकासी करने की योजना बनाता है, तो उसे समझना बेहद जरूरी है कि इस निकासी पर कैपिटल गेन टैक्स कैसे लागू होगा?

म्यूचुअल फंड की कमाई में ऐसे लगता है टैक्स

म्यूचुअल फंड से अर्जित लाभ पर टैक्स दो बातों पर निर्भर करता है. इसमें पहला यह है कि आपने इक्विटी म्यूचुअल फंड में या डेट म्यूचुअल फंड में निवेश किया है? दूसरा यह कि आपकी होल्डिंग अवधि कितनी रही है? आइए विस्तार से समझते हैं कि एसआई से 1 करोड़ रुपये की निकासी पर कितना टैक्स लगेगा और आप इसे कम करने के लिए क्या रणनीति अपना सकते हैं?

इक्विटी म्यूचुअल फंड पर टैक्सेशन

यदि म्यूचुअल फंड में 65% या अधिक निवेश इक्विटी में है.

  • शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG): यदि निवेश अवधि 1 वर्ष या उससे कम हो, तो इस स्थिति में आपको लाभ पर 15% टैक्स लगेगा. उदाहरण के लिए, यदि आपने 1 करोड़ रुपये निकाला और इसमें 50 लाख रुपये का लाभ है, तो आपको 7.5 लाख रुपये (50 लाख रुपये × 15%) टैक्स देना होगा.
  • लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG): यदि निवेश अवधि 1 वर्ष से अधिक हो, तो पहले 1 लाख रुपये का लाभ टैक्स-फ्री होता है. उसके बाद, बचे हुए लाभ पर 10% टैक्स लगाया जाता है. उदाहरण के लिए, यदि आपने 50 लाख रुपये का लाभ कमाया, तो 1 लाख रुपया टैक्स-फ्री होगा और 49 लाख रुपये पर 10% यानी 4.9 लाख रुपये का टैक्स देना होगा.

डेट म्यूचुअल फंड पर टैक्सेशन

यदि म्यूचुअल फंड में 65% से कम निवेश इक्विटी में है.

  • शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG): यदि निवेश अवधि 3 वर्ष या उससे कम हो, तो इस स्थिति में आपका लाभ आपकी कुल आय में जुड़ जाएगा और आपकी टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा. यदि आप 30% टैक्स स्लैब में आते हैं, तो आपको 30% टैक्स देना होगा. उदाहरण के लिए यदि आपका लाभ 30 लाख रुपये का है, तो टैक्स 9 लाख रुपये (30 लाख रुपये × 30%) होगा.
  • लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG): यदि निवेश अवधि 3 वर्ष से अधिक हो, तो 1 अप्रैल 2023 से डेट फंड पर भी शॉर्ट-टर्म जैसा टैक्स लगेगा यानी लाभ को आपकी कुल आय में जोड़ा जाएगा और आपकी टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लिया जाएगा.

हाइब्रिड (Balanced) फंड पर टैक्सेशन

यदि फंड में 65% से अधिक इक्विटी है, तो इस पर इक्विटी म्यूचुअल फंड की तरह टैक्स लगेगा. वहीं, यदि 65% से कम इक्विटी है, तो इस पर डेट फंड की तरह टैक्स लगेगा.

ऐसे बचाएं टैक्स

अगर आप टैक्स कम करना चाहते हैं, तो कुछ स्मार्ट रणनीतियां अपनाई जा सकती हैं. इसमें आपको SWP (सिस्टमैटिक विड्रावल प्लान) अपनाना होगा. इसके जरिए आप एक बार में पूरी निकासी करने की बजाय हर साल धीरे-धीरे निकालें, ताकि आप LTCG छूट (1 लाख तक टैक्स-फ्री) का फायदा ले सकें.

दूसरा, आपको स्टैगर्ड विड्रावल करना होगा. यदि आपका लाभ बहुत अधिक है, तो एक ही वित्तीय वर्ष में सब कुछ निकालने की बजाय कई वर्षों में थोड़ा-थोड़ा निकालें, ताकि आप निचले टैक्स स्लैब में रहें.

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तीसरा, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) या अन्य फैमिली मेंबर के नाम निवेश करें. यदि आपके परिवार में कोई ऐसा सदस्य है जिसकी टैक्सेबल इनकम कम है, तो उनके नाम से निवेश करें और कम टैक्स दर पर निकासी करें.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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