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आधा भारत नहीं जानता कौन कंपनी बनाती है ब्रह्मोस का ब्रेन? जान जाएगा तो तान देगा पाकिस्तान पर तोप

BrahMos missile: ब्रह्मोस मिसाइल भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गई है. हालिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में इसके सफल इस्तेमाल ने इसकी सटीकता और घातकता साबित की. इस मिसाइल के निर्माण में Data Patterns, Solar Industries, Jindal Stainless जैसी कई भारतीय कंपनियों का महत्वपूर्ण योगदान है. इन कंपनियों ने मिसाइल के विभिन्न हिस्सों जैसे इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, विस्फोटक, स्टील प्लेट्स, लॉन्चर और सुपरअलॉय पार्ट्स का स्वदेशी निर्माण कर भारत की रक्षा शक्ति को और मजबूत किया है.

BrahMos missile: अभी हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के एयरबेस को टारगेट करने के लिए ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल किया. यह मिसाइल न सिर्फ अपनी रफ्तार और सटीकता के लिए नहीं, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ की मिसाल बनने के लिए भी चर्चा में है. आज BrahMos केवल एक हथियार नहीं, बल्कि भारत की रक्षा तकनीक और स्वदेशी निर्माण शक्ति का प्रतीक बन गया है. इसके निर्माण में कई भारतीय कंपनियों का अहम योगदान है, जो इसे विदेशी निर्भरता से मुक्त कर रही हैं. लेकिन, आधा भारत के लोग यह नहीं जानते कि ब्रह्मोस मिसाइल का ब्रेन कौन कंपनी बनाती है. आइए, इसके निर्माण के बारे में जानते हैं.

Data Patterns: आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स का निर्माण

  • चेन्नई की यह कंपनी ब्रह्मोस के लिए एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम बनाती है.
  • यह वही उपकरण भारत में बना रही है, जो पहले रूस से तीन गुना कीमत में खरीदे जाते थे.
  • हाल ही में कंपनी ने एक नया ‘सीकर सिस्टम’ भी सफलतापूर्वक टेस्ट किया है, जो टारगेट को पहचानने और ट्रैक करने में मदद करता है.
  • इसने 1.5 अरब रुपये का निवेश कर नई तकनीकों पर काम शुरू किया है.

Solar Industries और Premier Explosives: घातक विस्फोटक और ईंधन का निर्माण

  • Solar Industries की सब्सिडियरी Economic Explosives Limited ने ब्रह्मोस के लिए HEMEX विस्फोटक बनाया है.
  • यह TNT से 50% अधिक शक्तिशाली है.
  • इससे मिसाइल के टारगेट डैमेज की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है.
  • Premier Explosives ब्रह्मोस के लिए प्रोपेलेंट (ईंधन) और बूस्टर असेंबली बनाती है.
  • हाल ही में इस कंपनी को 26.4 करोड़ रुपये का अनुबंध भी प्राप्त हुआ है.

Jindal Stainless: स्पेशल स्टील से हुआ आत्मनिर्भर निर्माण

  • Jindal Stainless अब ब्रह्मोस के लिए विशेष स्टील और प्लेट्स भारत में ही बना रही है.
  • इससे रूस पर स्टील संबंधी निर्भरता समाप्त हो गई है.
  • यह स्टील मिसाइल बॉडी के मजबूत ढांचे के निर्माण में उपयोग होती है.

NIBE Limited: लॉन्चिंग सिस्टम में सशक्त योगदान

  • NIBE Limited ब्रह्मोस के लिए कैनिस्टर, मोबाइल लॉन्चर स्ट्रक्चर और डिफेंस स्ट्रक्चरल कंपोनेंट्स बनाती है.
  • यह मिसाइल के लॉन्ग-टर्म प्रदर्शन को सुनिश्चित करती है.

PTC Industries: टाइटेनियम और सुपरएल्यॉय कास्टिंग्स में अग्रणी

  • लखनऊ स्थित PTC Industries अपने प्लांट से सुपरएल्यॉय और टाइटेनियम पार्ट्स बना रही है.
  • इसके माध्यम से ‘Aerolloy Technologies’ के जरिए उन्नत धातु उपकरण सप्लाई हो रहे हैं.

Goodluck India: भारी फोर्जिंग और मोटर पार्ट्स का निर्माण

  • Goodluck India ब्रह्मोस मिसाइल के लिए शाफ्ट, गियर रिंग्स, फ्लैंजेस जैसे फोर्ज्ड पार्ट्स बनाती है.
  • साथ ही रॉकेट मोटर के जरूरी कंपोनेंट्स भी सप्लाई करती है.

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ब्रह्मोस, भारत की तकनीकी क्रांति का प्रतीक

ब्रह्मोस मिसाइल सिर्फ भारत की सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि घरेलू कंपनियों की तकनीकी और औद्योगिक क्षमता का प्रमाण है. इन कंपनियों के सहयोग से भारत अब हथियारों के निर्माण में आत्मनिर्भर बन रहा है. हर नई उड़ान के साथ ब्रह्मोस, ‘मेक इन इंडिया’ की सफलता को और ऊंचाई दे रहा है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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