Ratan Tata: टाटा परिवार का नाम सुनते ही लोगों के जेहन में सबसे पहले रतन टाटा का नाम आता है. इसके बाद रतन टाटा द्वारा खड़ा किया गया टाटा ग्रुप बिजनेस, इनोवेशन और समाज सेवा का खाका उभरता है. लेकिन, बहुत कम लोग ही रतन टाटा के छोटे भाई के बारे में जानते हैं. रतन टाटा के साथ-साथ उनके छोटे भाई भी अविवाहित रह गए. इस प्रतिष्ठित परिवार का एक सदस्य ऐसा भी है, जो तमाम चमक-धमक और कॉर्पोरेट लाइमलाइट से दूर सादा और शांत जीवन जीता है. उनका नाम जिमी टाटा है, जो रतन टाटा के अपने सगे छोटे भाई हैं. आइए, उनकी सादगी भरे जीवन के बारे में जानते हैं.
ना कारोबारी पद, ना खबरों में जगह
जिमी टाटा अगर चाहते, तो टाटा ग्रुप में एक शीर्ष पद पर काम कर सकते थे. लेकिन, उन्होंने कॉर्पोरेट जीवन की आपाधापी को ठुकराकर एक निजी, शांत और लो-प्रोफाइल जिंदगी चुनी. आज भी वे मुंबई के कोलाबा में एक साधारण दो बेडरूम फ्लैट में रहते हैं और बेहद सीमित लोगों से मिलते-जुलते हैं.
मोबाइल नहीं, सोशल मीडिया से दूरी
जिमी टाटा तकनीक से काफी हद तक दूरी बनाए हुए हैं. उनके पास मोबाइल फोन नहीं है और वे सोशल मीडिया पर भी मौजूद नहीं हैं. वे समाचारों और जानकारी के लिए अब भी अखबार और किताबों पर निर्भर रहते हैं. उनका जीवन एक ऐसे युग की झलक देता है, जहां सादगी और आत्मिक शांति को महत्व दिया जाता है.
धन की कमी नहीं, पर दिखावे से परहेज
जिमी टाटा भले ही सादा जीवन जीते हैं, लेकिन वे किसी भी तरह से आर्थिक रूप से कमजोर नहीं हैं. टाटा संस, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टीसीएस, टाटा पावर, और इंडियन होटल्स जैसी कई टाटा कंपनियों में उनकी हिस्सेदारी है. इसके बावजूद उन्होंने कभी भी अपनी संपत्ति का प्रदर्शन नहीं किया और न ही किसी और व्यवसाय में रुचि ली.
परिवार से जुड़े, लेकिन लाइमलाइट से दूर
रतन टाटा के पिता नवल टाटा ने दो शादियां की थीं. पहली पत्नी से रतन और जिमी टाटा हुए और दूसरी पत्नी से नोएल टाटा. रतन टाटा और जिमी टाटा के संबंध हमेशा बेहद घनिष्ठ रहे. रतन टाटा ने एक बार इंस्टाग्राम पर जिमी के साथ 1945 की एक पुरानी तस्वीर शेयर करते हुए लिखा था, “वे खुशनुमा दिन थे. हमारे बीच कुछ भी नहीं आया.”
स्क्वैश के बेहतरीन खिलाड़ी
कॉर्पोरेट दुनिया से भले ही जिमी टाटा ने दूरी बना रखी हो, लेकिन खेलों में उनकी गहरी रुचि रही है. वे स्क्वैश के बेहतरीन खिलाड़ी रहे हैं और युवावस्था में कई मुकाबलों में हिस्सा ले चुके हैं. यह एक ऐसा गुण था, जो उनके बड़े भाई रतन टाटा में नहीं था.
सर रतन टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी
हालांकि, उन्होंने कभी सक्रिय रूप से टाटा ग्रुप के कारोबार में हिस्सा नहीं लिया. फिर भी, जिमी टाटा का योगदान कम नहीं है. 1989 में पिता नवल टाटा के निधन के बाद उन्हें सर रतन टाटा ट्रस्ट का ट्रस्टी नियुक्त किया गया. यह संस्था टाटा ग्रुप की परोपकारी गतिविधियों का केंद्र है.
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सादगी में है असली शांति
83 वर्षीय जिमी टाटा आज भी उसी तरह के साधारण और शांत जीवन के पक्षधर हैं, जैसे वे दशकों से जीते आए हैं. उनकी जीवनशैली आज के दौर में एक मिसाल है, जहां लोग भौतिक सुखों की बजाय आत्मिक संतोष को प्राथमिकता देते हैं. वे दिखाते हैं कि बड़े नाम और बड़ी संपत्ति के बावजूद एक इंसान विनम्रता, सादगी और निजता के साथ जी सकता है.
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