24.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

कभी प्राचीन व्यापारिक मार्ग था यह हिमालयन दर्रा, आज भारत-पाकिस्तान की किलेबंदी का बन गया केंद्र

78th Independence Day: 1971 के युद्ध के समय हिमालयी गांव हुंदरमन में भगदड़ मच गई. भगदड़ के दौरान इस गांव के परिवार इधर से उधर बंट गए. कुछ पाकिस्तान चले गए, तो कुछ यहीं रह गए.

78th Independence Day: केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के कारगिल जिले में बसा हुंदरमन गांव कभी भारत का प्राचीन व्यापारिक मार्ग था, मगर कश्मीर पर पड़ोसी देश की बुरी नजर और आतंकवादी हमलों की वजह से अब यह भारत-पाकिस्तान की किलेबंदी और चाक-चौकसी का अहम हिस्सा बन गया है. पुराने जमाने में लद्दाख का यह गांव हिमालय के हुंदरमन दर्रा के रूप में जाना जाता था. इस रास्ते से भारत के व्यापारी पश्चिमी और एशिया के पड़ोसी देशों में कारोबार करने के लिए जाते थे. वे इस रास्ते से न केवल कारोबारी सामान लाते ले जाते थे, बल्कि कई देशों से सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत को भी साथ में ढोकर साथ लाते थे. पाकिस्तान की कुनीति और कुदृष्टि की वजह से आज यह प्रमुख व्यापारिक मार्ग सामरिक रणनीति का हिस्सा बनकर रह गया है.

1971 के युद्ध के बाद भारत का हिस्सा बना हुंदरमन

ट्रैवल सेतु की एक रिपोर्ट के अनुसार, हुंदरमन गांव भारत-पाकिस्तान की नियंत्रण रेखा के पास स्थित है. यह केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के कारगिल जिले में पड़ता है. यह ऐतिहासिक गांव हिमालय के बीहड़ इलाकों में बसा है और अपने रणनीतिक स्थान और अतीत के संघर्षों द्वारा आकार लिए गए जीवन की एक अनूठी झलक पेश करता है. वर्ष 1971 के युद्ध तक यह गांव कभी पाकिस्तान के नियंत्रण में था. इसके बाद यह भारत का हिस्सा बन गया. हुंदरमन अपनी सांस्कृतिक समृद्धि, सुरम्य परिदृश्य और अपने निवासियों की देहाती जीवन शैली के लिए जाना जाता है. यहां के लोग मुख्य रूप से खेती और पशुपालन करते हैं. गांव में खंडहर भी हैं, जो इसके अतीत की कहानियां बताते हैं. इसमें कई ऐसे पुराने घर और एक संग्रहालय हैं, जिसमें भारत-पाक युद्धों की कलाकृतियों को प्रदर्शित किया है.

1971 का दंश अभी भी झेल रहा हुंदरमन गांव

समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में भारत के खुबानी किसान 66 वर्षीय गुलाम अहमद ने बताया कि भारत-पाकिस्तान के बीस वर्ष 1971 में हुए युद्ध का दंश आज तक झेल रहे हैं. जिस समय दोनों देशों के बीच युद्ध हो रहा था, तब वे किशोर थे और किशोरावस्था में ही अपने माता-पिता से बिछड़ गए थे. युद्ध के बाद हुंदरमन गांव का नियंत्रण पाकिस्तान से छिन गया और यह भारत का अभिन्न हिस्सा बन गया. अब वे अपनी मां की कब्र को देखना चाहते हैं.

54 साल से नहीं मिल पाए बंटे परिवार के लोग

1971 के युद्ध के समय हिमालयी गांव हुंदरमन में भगदड़ मच गई. भगदड़ के दौरान इस गांव के परिवार इधर से उधर बंट गए. कुछ पाकिस्तान चले गए, तो कुछ यहीं रह गए. आज स्थिति यह है कि आज 54 साल से इस गांव लोग एक-दूसरे से नहीं मिल पाए हैं. गुलाम अहमद ने आगे बताया कि अगर हुंदरमन दर्रे की क्रॉसिंग आज खुली होती, तो उन्हें पाकिस्तान जाने में एक दिन का समय लगता. इस रास्ते से जाने पर उन्हें 50 किलोमीटर यानी 30 मील का सफर तय करना पड़ता, लेकिन अब यहां से वीजा लेकर जाने में उन्हें कम से कम 2,500 किलोमीटर या 1,550 मील की यात्रा करनी होगी. वीजा हासिल करना उनके वश की बात नहीं है, क्योंकि इसके लिए उन्हें काफी खर्च करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अपने परिवार के लोगों से मिलने की उम्मीद में यहां कई लोग स्वर्ग सिधार गए.

कारगिल विजय का गवाह बना यह गांव

वर्ष 1999 के मई से जुलाई महीने के बीच भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ, तो कारगिल जिले का यह गांव भारत के विजय का गवाह बना. हुंदरमन गांव कारगिल के दौरान भारत-पाकिस्तान की सेना के बीच अंतिम बड़ी झड़प का स्थल भी है. गांव के लोग आज भी 1999 के 10 सप्ताह के उन भयावह संघर्ष को याद करके सिहर जाते हैं, जिसमें कम से कम 1,000 लोग मारे गए थे. इस युद्ध के दौरान गांव के लोग पहाड़ी गुफाओं में शरण लेते थे. रातें काफी कठिनाइयों में गुजरती थीं.

ओल्ड और अपर बंटा है हुंदरमन गांव

भारत-पाकिस्तान के बीच सामरिक रणनीति वाला यह गांव फिलहाल दो भागों में बंटा है. इसके एक भाग को ओल्ड हुंदरमन कहते हैं और दूसरे को अपर हुंदरमन. ओल्ड हुंदरमन गांव में विरल आबादी है और यह काफी वीरान गांव है. यहां लोग सदियों से रह रहे हैं. 1971 के युद्ध के बाद वर्ष 1974 में गांव के कुछ लोग घाटी के ऊपरी हिस्सों में एक नई बस्ती बनाकर रहने लगे. इस नई बस्ती का नाम अपर हुंदरमन दिया गया. इस नई बस्ती में बसे लोगों ने धीरे-धीरे अपने जीवन का पुनर्निर्माण किया. बाद के वर्षों में यहां के लोग भारतीय सेना में कुली के तौर पर काम करने लगे.

इसे भी पढ़ें: हिंडनबर्ग मामले में वित्त मंत्रालय ने सेबी के माथे पर फोड़ा ठीकरा, कहा- माधवी बुच के बाद बोलने को बाकी नहीं

हुंदरमन गांव में बना है अनलॉक म्यूजियम ऑफ मेमोरीज

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ओल्ड हुंदरमन गांव में अनलॉक म्यूजियम ऑफ मेमोरीज का निर्माण कराया गया है. इसकी शुरुआत वर्ष 2015 में रूट्स कलेक्टिव नामक गैर-सरकारी संगठन की ओर से की गई थी. रिपोर्ट में बताया गया है कि हुंदरमन गांव के निवासी इलियास अंसारी ने अपने पैतृक घरों को म्यूजियम में तब्दील कर दिया. इस म्यूजियम का नाम अनलॉक रखने के पीछे की भी एक रोचक कहानी है. दरअसल, गांव के प्रत्येक घरों के दरवाजे पर एक खास प्रकार का ताला लटका होता था. इसके खोलने का तरीका केवल घर का मालिक जानता था. इस विशेष किस्म की लॉकिंग सिस्टम की वजह से इसका नाम अनलॉक म्यूजियम ऑफ मेमोरीज रखा गया.

इसे भी पढ़ें: 77 बरस में भारत कितना हुआ मजबूत, जानें किस रफ्तार से बढ़ा जीडीपी

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel