Income Tax e Filing : आयकर विभाग ने इस बार आयकर रिटर्न (ITR) की प्रोसेसिंग और रिफंड को लेकर नई रणनीति अपनाई है. अब तब तक किसी भी टैक्सपेयर्स को रिफंड नहीं मिलेगा, जब तक पुराने आयकर रिटर्न और लंबित असेसमेंट की पूरी जांच नहीं हो जाती. यह कदम फर्जी रिफंड क्लेम को रोकने के लिए उठाया गया है. वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ITR फाइलिंग की प्रक्रिया मई 2025 के अंत में शुरू हुई थी, जो पहले की तुलना में लगभग एक महीने देरी से शुरू हुई.
अब तक कितने रिटर्न भरे और वेरिफाई हुए हैं?
अब तक 75 लाख से अधिक ITR दाखिल हो चुके हैं, जिनमें से 71.1 लाख से ज्यादा रिटर्न ई-वेरिफाई हो चुके हैं. हालांकि, आयकर विभाग की वेबसाइट पर पहले प्रोसेस किए गए रिटर्न की संख्या भी दिखाई देती थी, लेकिन अब वह सेक्शन खाली कर दिया गया है. इससे करदाताओं में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. टैक्स विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार विभाग ने फैसला किया है कि जब तक सभी पुराने ITR और असेसमेंट ऑर्डर की जांच पूरी नहीं होती, तब तक नए रिफंड जारी नहीं किए जाएंगे.
टैक्सपेयर्स के लिए क्या है सबसे बड़ा डर?
वरिष्ठ टैक्स कंसल्टेंट सीए सुरेश सुराना का मानना है कि यह कदम विभाग की नई रणनीति का हिस्सा है ताकि पिछली गलतियों या धोखाधड़ी की जांच की जा सके.विभाग ने यह भी निर्देश दिया है कि जिन टैक्सपेयर्स के खिलाफ पिछले वर्षों में जांच लंबित है या असेसमेंट बंद नहीं हुआ है, उनके रिफंड को फिलहाल रोका जाए. इसका असर उन ईमानदार करदाताओं पर भी पड़ सकता है जो हर साल समय से ITR फाइल करते हैं और जिनके खिलाफ कोई लंबित मामला नहीं होता. एक वरिष्ठ टैक्स सलाहकार का कहना है कि आयकर विभाग को एक पारदर्शी सिस्टम बनाना चाहिए, जिससे करदाता जान सकें कि उनके रिफंड में देरी क्यों हो रही है और प्रक्रिया पूरी होने में कितना समय लगेगा.
डेडलाइन कब तक बढ़ाई गई है? (Income Tax e Filing)
हालांकि विशेषज्ञों की राय है कि अगर आपने सही ढंग से और समय पर ITR फाइल किया है, तो घबराने की जरूरत नहीं है. रिफंड जरूर मिलेगा, लेकिन समय लग सकता है. साथ ही यह भी सलाह दी जा रही है कि करदाता अपने पुराने नोटिस और असेसमेंट स्टेटस की भी जांच करते रहें. गौरतलब है कि विभाग ने हाल ही में ITR दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दी है, जिससे नॉन-ऑडिट श्रेणी के करदाताओं को लगभग डेढ़ महीने का अतिरिक्त समय मिला है.
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