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व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम में अमीरी की शेखी बघारे, तो रेड मार देगा इनकम टैक्स

Income Tax: व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम पर दिखावे की अमीरी अब टैक्स अफसरों की नजर में रहेगी. नए इनकम टैक्स बिल 2025 के तहत सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की जांच से बेनामी संपत्ति और कर चोरी पर शिकंजा कसा जाएगा. अगर इनकम टैक्स अफसरों की नजर में आप अवैध लेनदेन या टैक्स की चोरी करते पाए गए, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकता है. जरूरत पड़ी तो गूगल मैम्प्स का इस्तेमाल करते हुए आपके घर पर रेड भी मार सकता है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने करीब 250 करोड़ की ऐसी संपत्ति का पता लगाने में कामयाबी हासिल की है.

Income Tax: व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपनी अमीरी की शेखी बघारने वाले सावधान हो जाएं. इनकम टैक्स अफसर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की हरेक एक्टिविटी पर इनकम टैक्स अफसर नजर बनाए रखेंगे. केंद्र की मोदी सरकारी ऐसी योजना तैयार कर रही है कि आपकी डिजिटल एक्टिविटी पर इनकम टैक्स अफसरों की नजर होगी. सरकार की ओर से तैयार किए गए आयकर बिल 2025 के तहत डिजिटल दुनिया में मौजूद “बेनामी” संपत्तियों और टैक्स चोरी पर शिकंजा कसने के लिए खास नियमों को जोड़ा जा रहा है.

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए अवैध लेनदेन के मिले सबूत

अभी हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद को बताया कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने व्हाट्सएप चैट और इंस्टाग्राम अकाउंट्स की जांच के जरिए 250 करोड़ रुपये की बेहिसाबी संपत्ति का पता लगाया है. उन्होंने बताया कि इन एनक्रिप्टेड मैसेजेस और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की मदद से टैक्स चोरी और अवैध लेनदेन के सबूत मिले हैं.​

व्हाट्सएप चैट से टैक्स चोरी का खुलासा

हिंदी की वेबसाइट नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद को बताया कि व्हाट्सएप मैसेजेस को डिकोड करके 90 करोड़ रुपये के क्रिप्टो एसेट्स और उससे जुड़े नेटवर्क का पता लगाया गया है. इसके अलावा, व्हाट्सएप पर हुई बातचीत से 200 करोड़ रुपये के फर्जी बिल और इस फर्जीवाड़े में शामिल लोगों की पहचान करने में मदद मिली.

इंस्टाग्राम अकाउंट्स से बेनामी संपत्ति का पता

उन्होंने बताया कि इंस्टाग्राम अकाउंट्स की जांच के जरिए महंगी गाड़ियों के असली मालिकों का पता चला, जिससे बेनामी संपत्ति के मामलों में कार्रवाई संभव हुई. इसके अलावा, गूगल मैप्स की हिस्ट्री से उन स्थानों का पता चला, जहां लोग अवैध नकदी छुपाते थे.​

नए इनकम टैक्स बिल 2025 का प्रस्ताव

इन घटनाओं के मद्देनजर सरकार ने इनकम टैक्स एक्ट 2025 में संशोधन का प्रस्ताव रखा है. इस नए बिल में “वर्चुअल डिजिटल स्पेस” की परिभाषा को विस्तारित किया गया है, जिसमें ईमेल सर्वर, सोशल मीडिया अकाउंट्स, ऑनलाइन निवेश और ट्रेडिंग अकाउंट्स, क्लाउड स्टोरेज और डिजिटल कम्युनिकेशन प्लेटफ़ॉर्म्स जैसे व्हाट्सएप और टेलीग्राम शामिल हैं. बिल के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अपने डिजिटल अकाउंट्स का एक्सेस टैक्स अधिकारियों को नहीं देता है, तो अधिकारी सुरक्षा उपायों को बायपास करके डेटा तक पहुंच बना सकते हैं.

निजता और प्राइवेसी पर चिंता

हालांकि, इस प्रस्तावित बिल को लेकर निजता और प्राइवेसी के उल्लंघन की चिंताएं उठ रही हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रावधान सरकार को जरूरत से ज्यादा अधिकार दे सकता है, जिससे निजता के अधिकार का हनन हो सकता है. बिल में यह स्पष्ट नहीं है कि टैक्स अधिकारी कब और कैसे डिजिटल डेटा तक पहुंच सकते हैं, जिससे मनमानी जांच और सरकारी दखलंदाजी का खतरा बढ़ सकता है.

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सरकार का उद्देश्य

इनकम टैक्स बिल 2025 में नए नियमों को जोड़ने के पीछे सरकार का उद्देश्य टैक्स चोरी और अवैध लेनदेन को रोकना है, जिसके लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की जांच आवश्यक हो सकती है. हालांकि, इस प्रक्रिया में नागरिकों की निजता और प्राइवेसी का सम्मान भी महत्वपूर्ण है. इसलिए, नए इनकम टैक्स बिल 2025 में ऐसे प्रावधानों की आवश्यकता है, जो दोनों पक्षों के हितों का संतुलन बनाए रखें.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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