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भारत में डीजल की खपत बढ़ी, अमेरिका और चीन में इस वजह से गिरी मांग!

Fuel Demand in India: भारत में डीजल की खपत में वृद्धि दर्ज हुई है. वहीं, अमेरिका और चीन में थोक परिवहन ईंधन की मांग में कमी आई है.

Fuel Demand in India: भारत में डीजल की खपत में वृद्धि हुई है. वहीं, दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन में थोक परिवहन ईंधन की मांग में कमी आई है. पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में भारत में हाई-स्पीड डीजल की कुल खपत 12 प्रतिशत बढ़कर 85.9 मिलियन टन हो गई है.

भारत में डीजल की बिक्री पर मंदी का नहीं पड़ा असर

वहीं, एविएशन टर्बाइन फ्यूल सबसे 47 प्रतिशत बढ़कर 7.37 मिलियन टन हो गया है. जबकि, गैसोलीन 13.4 फीसदी बढ़कर 35 मिलियन टन और एलपीजी की मांग साल-दर-साल 8.7 फीसदी बढ़कर 28.5 मिलियन टन हो गई है. केपीएमजी के ऊर्जा, प्राकृतिक संसाधन और रसायन (ईएनआरसी) के वैश्विक प्रमुख अनीश डे ने कहा कि भारत में कई क्षेत्रों में कुछ मंदी है, लेकिन इसका भारत में डीजल की बिक्री पर कोई खास असर नहीं पड़ा है. हालांकि, अगर अमेरिका में मंदी बनी रहती है तो संभावना है कि अगले चार-छह महीनों में भारत पर इसका प्रभाव दिख सकता है, लेकिन प्रभाव चीन की तरह प्रत्यक्ष नहीं होगा.

भारत उत्पादित डीजल का 25-30% हिस्सा इन देशों को करता है निर्यात

भारत देश में उत्पादित डीजल का 25-30 फीसदी हिस्सा यूएस, यूरोप और अफ्रीकी देशों को निर्यात करता है. डेलॉयट इंडिया के पार्टनर अश्विन जैकब ने कहा, जहां तक अमेरिका से मांग में कमी का सवाल है, यह यूरोपीय देशों और एशिया एवं अफ्रीका के अन्य हिस्सों में भी स्थानांतरित हो सकता है. जैकब ने कहा, भारत संसाधित रूसी कच्चे तेल का यूरोप को निर्यात करना जारी रख सकता है.

अमेरिका और यूरोप में मंदी के प्रभाव को लेकर सामने आई ये बात

चीन में राजमार्गों पर चलने वाले ट्रकों की संख्या हाल के सप्ताहों में उल्लेखनीय रूप से कम हुई है. ब्लूमबर्ग के अनुसार, यूरोप में क्रूड फ्यूचर्स के लिए डीजल का प्रीमियम हाल ही में एक साल से भी अधिक समय में सबसे निचले स्तर पर आ गया है. 2020 को छोड़कर, जब अर्थव्यवस्था का अधिकांश हिस्सा कुछ समय के लिए ठप हो गया, तब 2 फीसदी की गिरावट अमेरिका के डीजल उपयोग में सबसे बड़ी गिरावट होगी. एस एंड पी ने कहा कि इस साल के अंत में चीन की रिकवरी एशिया-प्रशांत क्षेत्र पर अमेरिका और यूरोप में मंदी के प्रभाव को पूरी तरह से दूर नहीं करेगी, लेकिन यह इसे कम कर देगी.

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Samir Kumar
Samir Kumar
More than 15 years of professional experience in the field of media industry after M.A. in Journalism From MCRPV Noida in 2005

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