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GDP Growth: भारत की जीडीपी वृद्धि 6.5% रहने का अनुमान, विश्व बैंक ने दिए अहम सुझाव

GDP Growth: भारत की जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 में 6.5% रहने का अनुमान है, लेकिन 2047 तक हाई इनकम वाला देश बनने के लिए 7.8% की निरंतर वृद्धि आवश्यक होगी. विश्व बैंक ने सुझाव दिया है कि भारत को भूमि, श्रम और वित्तीय क्षेत्र में सुधारों को प्राथमिकता देनी होगी.

GDP Growth: भारत की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में मुख्य रूप से विनिर्माण और खनन क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन के कारण घटकर 6.2% रह गई है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था ने अक्टूबर-दिसंबर 2024 तिमाही में 6.2% की वृद्धि दर्ज की, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 9.5% थी. इसके अलावा, चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 5.6% रही थी.

एनएसओ ने राष्ट्रीय खातों के अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में चालू वित्त वर्ष के लिए देश की वृद्धि दर 6.5% रहने की बात कही है. जनवरी 2025 में जारी पहले अग्रिम अनुमान में यह दर 6.4% थी. एनएसओ ने पिछले वित्त वर्ष (2023-24) के लिए जीडीपी वृद्धि दर को संशोधित कर 9.2% कर दिया, जो पहले 8.2% बताई गई थी।

हाई इनकम वाला देश बनने के लिए 7.8% की वृद्धि जरूरी

विश्व बैंक ने अपनी ‘एक पीढ़ी में हाई इनकम वाली अर्थव्यवस्था बनना’ रिपोर्ट में कहा है कि भारत को वर्ष 2047 तक हाई इनकम वाला देश बनने के लिए औसतन 7.8% की दर से वृद्धि करनी होगी. यह लक्ष्य प्राप्त करने के लिए वित्तीय क्षेत्र के साथ-साथ भूमि एवं श्रम बाजारों में सुधार करने की आवश्यकता होगी. रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2000 से 2024 के बीच भारत की औसत वृद्धि दर 6.3% रही है. हालांकि, 2047 तक हाई इनकम वाली अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) को वर्तमान स्तरों से लगभग आठ गुना बढ़ाना होगा.

सुधारों की गति बढ़ाने की जरूरत

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को मौजूदा वैश्विक आर्थिक माहौल को ध्यान में रखते हुए सुधारों की गति और तीव्रता को बढ़ाने की जरूरत होगी. विश्व बैंक के अनुसार, पिछले दशकों में भारत ने जिस पैमाने और गति से आर्थिक विकास किया है, वह इसकी भविष्य की महत्वाकांक्षाओं के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है.

तेजी से आर्थिक सुधार की आवश्यकता

विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को 2047 तक हाई इनकम वाली अर्थव्यवस्था बनने के लिए कई स्ट्रक्चरल सुधारों को लागू करना होगा. रिपोर्ट में कुछ क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता बताई गई है.

  • विनिर्माण और औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा देना: भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की दिशा में तेजी से कार्य करना होगा.
  • बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स में सुधार: सड़क, परिवहन और डिजिटल कनेक्टिविटी को सशक्त बनाना होगा.
  • मानव संसाधन विकास: शिक्षा और कौशल विकास पर अधिक ध्यान देना आवश्यक है.
  • डिजिटलीकरण और टेक्नोलॉजी का अधिकतम इस्तेमाल: डिजिटल इंडिया अभियान को और आगे बढ़ाना होगा.
  • भूमि और श्रम सुधार: व्यापार और निवेश को आसान बनाने के लिए भूमि और श्रम कानूनों में बदलाव करने होंगे.

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भारत की अर्थव्यवस्था के लिए आगे का रास्ता

भारत को दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए विनिर्माण और निर्यात क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की जरूरत है. साथ ही, सरकार को वैश्विक मंदी और बाहरी आर्थिक झटकों से बचने के लिए मजबूत रणनीति अपनानी होगी. विश्व बैंक के भारत में निदेशक ऑगस्त तानो कुआमे ने कहा कि चिली, दक्षिण कोरिया और पोलैंड जैसे देशों से मिले सबक भारत के लिए उपयोगी हो सकते हैं. इन देशों ने मध्यम आय से उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था में सफलतापूर्वक परिवर्तन किया है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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