Tariff War: अमेरिका की ओर से भारत पर जवाबी शुल्क के बाद निर्यातकों की मदद के लिए सरकार आगे आ गई है. डोनाल्ड ट्रंप की ओर से टैरिफ में बढ़ोतरी किए जाने के ऐलान के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पैदा हुए माहौल में सरकार ने यह कदम उठाया है. बताया जा रहा है कि सरकार ने चीन, वियतनाम और थाइलैंड जैसे देशों से आयात पर टैरिफ में संभावित बढ़ोतरी पर नजर बनाए रखने के लिए अंतर-मंत्रालयी समूह का गठन भी कर दिया है.
इलेक्ट्रॉनिक्स, केमिकल और स्टील में बढ़ोतरी
समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि सरकार ने यह कदम इन देशों पर अमेरिका की तरफ से हाइएस्ट सीमा शुल्क लगाए जाने के बाद भारत में वहां से आयात में संभावित उछाल को देखते हुए उठाया है. आशंका है कि भारत में उपभोक्ता सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स, केमिकल और स्टील श्रेणियों के आयात में तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है. सूत्रों के मुताबिक, आयात में इस संभावित बढ़ोतरी के स्पष्ट संकेत जून से जुलाई के बीच दिखाई दे सकते हैं.
आयात निगरानी समूह में ये होंगे शामिल
सरकारी की ओर से नवगठित ‘आयात निगरानी समूह’ में वाणिज्य विभाग, राजस्व विभाग और उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे. निगरानी समूह को संबंधित मंत्रालयों और उद्योग संघों से आयात में संभावित बढ़ोतरी और इसके घरेलू उद्योग पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों के बारे में विस्तृत जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
निगरानी का क्या है उद्देश्य
सूत्रों ने कहा कि सरकार की ओर से की जाने वाली इस निगरानी का पहला उद्देश्य इन आयात पर कड़ी नजर रखना और किसी प्रकार के हस्तक्षेप या नीतिगत उपायों की जरूरत का आकलन करना है. यह समूह हवाई और समुद्री मार्गों सहित सभी संभावित डेटा प्वाइंट्स पर गहन विश्लेषण करेगा. भारत के प्रतिस्पर्धी देश चीन, थाइलैंड, वियतनाम और मलेशिया पर हाइएस्ट टैरिफ लगाए जाने से उनके उत्पाद अमेरिकी बाजार में अपेक्षाकृत महंगे हो गए हैं. ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इन देशों से माल का प्रवाह आने वाले महीनों में भारत जैसे दूसरे बाजारों की ओर मुड़ सकता है.
अमेरिका ने भारत पर लगाया 26% टैरिफ
अमेरिका ने भारत पर भी अतिरिक्त 26% आयात शुल्क लगाया है, लेकिन यह शुल्क उसके कई प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में कम है. अमेरिकी प्रशासन ने वियतनाम पर 46%, चीन पर 34%, इंडोनेशिया पर 32% और थाइलैंड पर 36% सीमा शुल्क लगाया है.
नए बाजार की तलाश में निर्यातकों को मदद करेगी सरकार
एक सूत्र ने यह भी कहा कि सरकार निर्यातकों के लिए नए बाजारों की खोज में मदद करने के प्रयासों को तेज करने में जुट गई है. वाणिज्य मंत्रालय निर्यातकों को सस्ती दरों पर कर्ज देने में समर्थन करने के लिए अपने निर्यात संवर्धन मिशन की शुरुआत में भी तेजी ला रहा है. इसके अलावा यूरोपीय संघ, ओमान, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को लेकर बातचीत भी जारी है.
20 देशों के साथ होंगी धड़ाधड़ बैठकें
मंत्रालय ने संबंधित अधिकारियों को भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन और फ्रांस जैसे 20 चिह्नित देशों के साथ द्विपक्षीय बैठकों की एक सीरीज आयोजित करने का निर्देश भी दिया है. निर्यात प्रोत्साहन के लिए चिह्नित देशों में ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, बांग्लादेश, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, नीदरलैंड, रूस, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, दक्षिण कोरिया, तुर्किये, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, अमेरिका और वियतनाम शामिल हैं. भारतीय निर्यातकों के लिए इन देशों में अपार संभावनाएं हैं.
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एमएसएमई निर्यातकों को आसान शर्तों पर कर्ज
इसके साथ ही, सरकार एमएसएमई निर्यातकों को आसान शर्तों पर ऋण प्रदान करने, उनके लिए फैक्टरिंग सेवाओं को मजबूत करके वैकल्पिक वित्तपोषण साधनों को बढ़ावा देने और दूसरे देशों के गैर-शुल्क कदमों से निपटने के लिए सहायता प्रदान करने के लिए योजनाएं तैयार कर रही है. इन योजनाओं पर वाणिज्य, सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) और वित्त मंत्रालय काम कर रहे हैं. इन योजनाओं को वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में घोषित निर्यात संवर्धन मिशन के तहत तैयार किया जा रहा है. सरकार ने बजट में देश के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 2,250 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एक निर्यात संवर्धन मिशन शुरू करने की घोषणा की थी.
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