India Poverty Rate 2025 Report: भारत अब दुनिया के सबसे अधिक समानता वाले समाजों में से एक बन गया है. वर्ल्ड बैंक के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत का Gini Index स्कोर 25.5 है, जो कि ग्लोबली चौथा सबसे अच्छा स्कोर है. इससे ऊपर केवल स्लोवाक रिपब्लिक, स्लोवेनिया और बेलारूस हैं. यह स्कोर चीन (35.7), अमेरिका (41.8) और सभी G7 और G20 देशों से बेहतर है. Gini Index किसी देश में आय वितरण को दर्शाता है. जहां 0 पूर्ण समानता और 100 अधिकतम असमानता को दर्शाता है.
भारत में समानता का यह स्तर कैसे आया
भारत सरकार की नीतियों ने इस बदलाव को संभव बनाया है. सामाजिक कल्याण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार “भारत की आर्थिक तरक्की अब सभी वर्गों तक समान रूप से पहुँच रही है. इसके पीछे गरीबी उन्मूलन, वित्तीय समावेशन और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर जैसी योजनाओं की अहम भूमिका है.”
2011 से अब तक हुआ बड़ा बदलाव
- वर्ष 2011 में भारत का Gini स्कोर 28.8 था, जो अब घटकर 25.5 हो गया है. यह विकास में समानता का स्पष्ट संकेत है.
- 2011 से 2023 के बीच 17.1 करोड़ भारतीयों ने चरम गरीबी से बाहर निकलने में सफलता पाई.
- इस दौरान गरीबी दर 16.2% से घटकर सिर्फ 2.3% हो गई है (विश्व बैंक द्वारा निर्धारित $2.15 प्रतिदिन की वैश्विक गरीबी रेखा के अनुसार).
ये सरकारी योजनाएं बनीं गेमचेंजर
भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं ने आर्थिक समानता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के तहत अब तक 55 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए, जिससे गरीब और ग्रामीण वर्ग को वित्तीय प्रणाली से जोड़ा गया. इसके साथ ही, आधार कार्ड प्रणाली ने 142 करोड़ से अधिक नागरिकों को कवर किया है, जिसके माध्यम से सरकारी लाभ सीधे लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर हो रहे हैं और इससे 3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है.
स्वास्थ्य क्षेत्र में आयुष्मान भारत योजना ने बड़ी भूमिका निभाई है, जिसके तहत 5 लाख रुपये तक की हेल्थ कवर योजना दी गई है और 41 करोड़ से अधिक कार्ड जारी किए जा चुके हैं, जिससे गरीबों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो सकी हैं. वहीं, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के माध्यम से 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन प्रदान किया गया, जिसने महामारी और महंगाई के समय में बड़ी राहत पहुंचाई.
स्टैंड अप इंडिया योजना के अंतर्गत SC/ST और महिलाओं को स्वरोजगार के लिए कम ब्याज पर लोन और ट्रेनिंग दी गई, जिससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला. साथ ही, प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना ने पारंपरिक कारीगरों और हस्तशिल्पकारों को ट्रेनिंग और ऋण मुहैया कराकर ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को मजबूत किया है. ये सभी योजनाएं मिलकर भारत को एक अधिक समान, समावेशी और सशक्त समाज की ओर ले जा रही हैं.
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