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ट्रंप की टैरिफ से भारत को मिलेगी राहत या बढ़ेगा शुल्क? द्विपक्षीय व्यापार वार्ता आज से शुरू

Trump Tariff: भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) को लेकर वाणिज्य मंत्रालय का दल वाशिंगटन में चार दिवसीय वार्ता कर रहा है. भारत ने कृषि और डेयरी उत्पादों पर शुल्क रियायत से इनकार किया है, जबकि अमेरिका ने अतिरिक्त शुल्क की समयसीमा 1 अगस्त तक बढ़ा दी है. नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, चीन और अन्य देशों पर अमेरिकी शुल्क के कारण भारत को निर्यात में प्रतिस्पर्धी लाभ मिल सकता है. व्यापार समझौता सितंबर-अक्टूबर तक पूरा होने की उम्मीद है.

Trump Tariff: भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर बातचीत का एक नया दौर शुरू हो चुका है. भारत का वाणिज्य मंत्रालय इस सिलसिले में अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में चार दिवसीय वार्ता में भाग ले रहा है, जो सोमवार से शुरू होकर गुरुवार तक चलेगी. भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार के तौर पर वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल बुधवार को इस दल में शामिल होंगे. इस वार्ता का मकसद द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देना है, जिसे दोनों पक्ष सितंबर-अक्टूबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य बना चुके हैं. इससे पहले एक अंतरिम व्यापार समझौते पर बातचीत की जा रही है.

भारत ने डेयरी और कृषि क्षेत्र पर दिखाई सख्ती

अमेरिका लगातार भारत से डेयरी और कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क में रियायत देने की मांग कर रहा है. हालांकि भारत ने इस पर अपना रुख सख्त रखा है. भारत ने अब तक किसी भी मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में डेयरी क्षेत्र में शुल्क रियायत नहीं दी है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र में भारतीय किसानों और उत्पादकों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए यह कदम जरूरी है.

वाहन, इस्पात और एल्युमीनियम पर राहत मांग रहा भारत

भारत ने अमेरिका से इस्पात (50%), एल्युमीनियम, और मोटर वाहन (25%) पर लगे अतिरिक्त शुल्क में छूट देने की मांग की है. ये शुल्क ट्रंप प्रशासन के दौरान लगाए गए थे. भारत का कहना है कि अगर ये शुल्क नहीं हटे, तो वह विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के तहत जवाबी शुल्क का विकल्प सुरक्षित रखेगा. अमेरिका ने हाल ही में इन रेसिप्रोकल टैरिफ को 1 अगस्त 2025 तक के लिए स्थगित कर दिया है, जिससे यह बातचीत और अधिक संवेदनशील हो गई है.

चीन पर अमेरिकी शुल्क भारत के लिए अवसर: नीति आयोग

उधर, नीति आयोग ने अपनी एक तिमाही रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि अमेरिका की ओर से चीन, कनाडा और मेक्सिको पर लगाए गए हाई टैरिफ भारत के लिए बड़ा निर्यात अवसर बन सकते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के शीर्ष 30 उत्पाद श्रेणियों में से 22 में भारत को प्रतिस्पर्धी लाभ मिलने की उम्मीद है. इन श्रेणियों का अमेरिकी बाजार मूल्य लगभग 2,285 अरब डॉलर है. इनमें खनिज, परिधान, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, फर्नीचर और समुद्री उत्पाद शामिल हैं. इन श्रेणियों में भारत को चीन की तुलना में शुल्क में बड़ा अंतर मिलेगा, जिससे भारत अमेरिकी बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी हो सकता है.

भारत-अमेरिका व्यापार आंकड़े

वित्त वर्ष 2025-26 की अप्रैल-मई अवधि में भारत का अमेरिका को निर्यात 21.78% बढ़कर 17.25 अरब डॉलर हो गया है, जबकि आयात 25.8% बढ़कर 8.87 अरब डॉलर रहा. यह स्पष्ट संकेत है कि दोनों देशों के बीच व्यापार संबंध मजबूत हो रहे हैं.

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द्विपक्षीय व्यापार समझौता और शुल्क नीति से भविष्य निर्धारित

भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौता न केवल शुल्क ढांचे को संतुलित कर सकता है, बल्कि निर्यात में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त और व्यापार संतुलन का रास्ता भी साफ कर सकता है. भारत जहां अपने संवेदनशील क्षेत्रों की रक्षा करना चाहता है, वहीं अमेरिका अपने घरेलू हितों को साधना चाहता है. इस बीच, नीति आयोग की रिपोर्ट भारतीय उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में नई ऊर्जा दे रही है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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