India-US Trade Deal: अमेरिका ने शुक्रवार को भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक व्यापक व्यापार समझौता करने की वकालत की. अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में कहा कि अमेरिका केवल चुनिंदा उत्पादों पर समझौता करने के बजाय एक बड़ा और व्यापक व्यापार समझौता चाहता है.
भारत को खोलना होगा कृषि बाजार
हॉवर्ड लुटनिक ने भारत को अपने कृषि बाजार को खोलने पर जोर दिया और कहा कि जब भारत अपने सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार के साथ बातचीत कर रहा है, तो इसे चर्चा से बाहर नहीं रखा जा सकता. उन्होंने कहा, “भारत बहुत विशाल है और अमेरिका भी बहुत विशाल है. इसलिए व्यापार समझौते को व्यापक तरीके से करना होगा, और हमें लगता है कि हम इसे कर सकते हैं.”
भारत-अमेरिका के बीच बड़ा व्यापार समझौते का वक्त
अमेरिकी वाणिज्य मंत्री ने कहा कि अब कुछ बड़ा और प्रभावशाली करने का समय है. उन्होंने कहा, “हमें एक ऐसा व्यापार समझौता करना चाहिए जो भारत और अमेरिका को एक साथ लाए, लेकिन इसे केवल चुनिंदा उत्पादों के आधार पर नहीं, बल्कि व्यापक स्तर पर लागू किया जाना चाहिए.”
भारत की शुल्क नीति को कम करने की अपील
हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि अमेरिका चाहता है कि भारत अपनी शुल्क नीति को कम करे ताकि व्यापार के अवसर बढ़ें. उन्होंने कहा, “आइए, अमेरिका के लिए भारत की शुल्क नीति को कम करें, जिससे व्यापारिक संबंध और मजबूत हो सकें.”
व्यापारिक नीति में कोटा और सीमाओं का सुझाव
लुटनिक ने कहा कि व्यापार समझौते को समझदारी से किया जाना चाहिए और इसमें कोटा या सीमाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्होंने कहा, “अब, आप यह कैसे करेंगे? शायद इसे तिमाहियों में लागू किया जाएगा या सीमाएं तय की जाएंगी. लेकिन, जब आपका सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार आपसे बात कर रहा है, तो इस पर चर्चा होनी चाहिए.”
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व्यापारिक संबंधों को नया आयाम देने की दिशा में प्रयास
अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंध पहले से ही मजबूत हैं, लेकिन अमेरिका इसे एक नया आयाम देना चाहता है. हॉवर्ड लुटनिक ने जोर देकर कहा कि व्यापार को सुचारू और कुशल बनाने के लिए समझदारी से फैसले लेने होंगे. उन्होंने कहा कि दोनों देशों को व्यापारिक अवरोधों को दूर करके व्यापक व्यापार समझौते की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए. भारत-अमेरिका व्यापारिक वार्ता में यह नया दृष्टिकोण व्यापार के लिए संभावनाओं को और बढ़ा सकता है, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को लाभ मिलेगा.
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