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Indian Railways: ट्रेन में नहीं मिलेगा लोअर बर्थ, रेलवे का बदला नियम

Indian Railways: भारतीय रेलवे ने लोअर बर्थ नियमों में बदलाव करते हुए बुज़ुर्गों, दिव्यांगों और 45 साल से ऊपर की महिलाओं को प्राथमिकता दी है. अब ट्रेन में हर किसी को नीचे की सीट नहीं मिलेगी. स्लीपर, एसी 2 और 3 टियर में सीमित लोअर बर्थ आरक्षित की गई हैं. आम यात्रियों को यह सुविधा तभी मिलेगी जब बची हुई सीटें उपलब्ध होंगी.

Indian Railways: भारतीय रेलवे लगातार अपनी सेवाओं को बेहतर और सुविधाजनक बनाने की दिशा में काम कर रहा है. इसी कड़ी में रेलवे ने लोअर बर्थ (निचली सीट) को लेकर एक अहम बदलाव किया है, जो लाखों यात्रियों पर असर डालेगा. अब ट्रेन में सफर करने वाले हर यात्री को लोअर बर्थ नहीं मिलेगी, क्योंकि रेलवे ने इसे कुछ खास श्रेणियों के लिए आरक्षित कर दिया है. आइए जानते हैं कि लोअर बर्थ लेने का क्या है नया नियम, किसे मिलेगा फायदा और आम यात्रियों को क्या करना चाहिए?

लोअर बर्थ अब हर किसी के लिए नहीं

पहले ट्रेन टिकट बुक करते समय यात्री अपनी पसंद के अनुसार लोअर, मिडिल या अपर बर्थ का बर्थ प्रेफरेंस डाल सकते थे. लेकिन, अब रेलवे ने यह स्पष्ट कर दिया है कि लोअर बर्थ की सीमित संख्या को कुछ विशेष वर्गों के लिए आरक्षित किया गया है. यानी अगर आप सीनियर सिटीजन, दिव्यांग या 45 वर्ष से ऊपर की महिला नहीं हैं, तो आपको लोअर बर्थ पहले जैसा मिलना आसान नहीं होगा.

कौन-कौन लोग आएंगे इस नियम के दायरे में?

भारतीय रेलवे ने लोअर बर्थ को तीन विशेष वर्गों के लिए आरक्षित किया है.

  • सीनियर सिटीजन (60 वर्ष या उससे अधिक साल का पुरुश, 58 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिला)
  • 45 साल से ऊपर की महिलाएं (प्रूफ जरूरी नहीं, उम्र टिकट बुकिंग के समय दर्ज होनी चाहिए)
  • दिव्यांग यात्री (वैलिड सर्टिफिकेट जरूरी)
    इन तीनों श्रेणियों को रेलवे की ऑटोमैटिक सीट अलॉटमेंट प्रणाली के माध्यम से प्राथमिकता दी जाएगी, भले ही उन्होंने बर्थ प्रेफरेंस में लोअर सीट न भी चुनी हो.

कितनी लोअर बर्थ होंगी आरक्षित?

रेलवे की ओर से क्लास-वार आरक्षित लोअर बर्थ की संख्या तय की गई है.

  • स्लीपर क्लास: 6–7 लोअर बर्थ
  • एसी 3 टियर: 4–5 लोअर बर्थ
  • एसी 2 टियर: 3–4 लोअर बर्थ

ये बर्थ सिर्फ उन्हीं यात्रियों को अलॉट होंगी, जो उपरोक्त कैटेगरी में आते हैं.

रेलवे ने क्यों लिया यह फैसला?

भारतीय रेलवे ने कहा है कि बुज़ुर्गों को ऊपर की सीट तक पहुंचना मुश्किल होता है. दिव्यांग यात्रियों के लिए अपर बर्थ पर चढ़ना लगभग असंभव है और अकेली यात्रा करने वाली महिलाओं के लिए लोअर बर्थ ज्यादा सुरक्षित और सुविधाजनक होता है. पहले इन यात्रियों को ऊपर की सीट मिलने पर टीटी से सीट बदलवाने की जरूरत पड़ती थी, जिससे असुविधा होती थी. नया नियम इस समस्या को जड़ से खत्म करने की दिशा में एक कदम है.

आम यात्रियों को कैसे मिलेगा लोअर बर्थ?

अगर आप किसी आरक्षित श्रेणी में नहीं आते हैं, तो भी कुछ उपाय हैं जिनसे आपको लोअर बर्थ मिल सकती है. इसके लिए आपको जल्दी टिकट बुक करना होगा. रेलवे के नियम के अनुसार, लोअर बर्थ की सीटें पहले-आओ-पहले-पाओ के आधार पर भी अलॉट होती हैं. दूसरा, बर्थ प्रेफरेंस में लोअर बर्थ जरूर चुनें. तीसरा यह कि आरक्षित लोअर बर्थ बचने पर सामान्य यात्रियों को भी मिल सकती है. लेकिन, यह गारंटी नहीं है कि आपको लोअर बर्थ ही मिलेगी. रेलवे की प्राथमिकता अब उन्हीं यात्रियों को है, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है.

कैसे करें सुविधा का लाभ?

अगर आप पात्र हैं (सीनियर सिटीजन, महिला 45+, या दिव्यांग), तो टिकट बुकिंग के समय सही उम्र दर्ज करें. अगर आप दिव्यांग हैं, तो अपने साथ प्रमाण पत्र रखें. बर्थ प्रेफरेंस न भी डालें, तो भी सिस्टम ऑटोमैटिक लोअर बर्थ देगा. किसी असुविधा की स्थिति में रेलवे हेल्पलाइन 139 या स्टेशन हेल्प डेस्क से संपर्क कर सकते हैं.

भविष्य में और भी बदलाव संभव

रेलवे की यह पहल स्मार्ट और सहानुभूति आधारित रिजर्वेशन सिस्टम की दिशा में एक कदम है. इसके साथ ही, रेलवे क्यूआर कोड आधारित बोर्डिंग, एआई आधारित सीट अलॉटमेंट और डिजिटल टिकटिंग जैसी सुविधाएं लागू कर रहा है. रेलवे का फोकस अब यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा पर है, न कि सिर्फ बर्थ उपलब्धता पर.

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समझदारी से करें टिकट बुकिंग

अगर आप ट्रेन में लोअर बर्थ की उम्मीद करते हैं, तो अब पहले से बेहतर प्लानिंग करनी होगी. जिन लोगों को लोअर बर्थ की असली जरूरत है, उन्हें यह सुविधा पहले मिलेगी. यह एक स्वागतयोग्य कदम है. बाकी यात्रियों को समय पर बुकिंग और सही प्रेफरेंस डालने से ही यह सुविधा मिल सकेगी.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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