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ISRO में वैज्ञानिक की नौकरी छोड़ शुरू की टैक्सी स्टार्टअप, आज कमा रहे 2 करोड़

Success Story: इसरो के पूर्व वैज्ञानिक डॉ उथया कुमार की प्रेरणादायक कहानी, जिन्होंने सांख्यिकी में पीएचडी के बाद वैज्ञानिक पद छोड़कर टैक्सी स्टार्टअप ST Cabs की शुरुआत की. आज उनकी कंपनी सालाना 2 करोड़ रुपये से अधिक कमा रही है. उन्होंने उद्यमिता, नेतृत्व और सामाजिक जिम्मेदारी के जरिये सफलता की नई मिसाल कायम की.

Success Story: आपने गरीबी से उठकर किसी व्यक्ति को शिखर पर पहुंचने की कहानी तो बहुत सुनी और पढ़ी होगी. लेकिन, क्या कभी आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का कोई वैज्ञानिक अपनी नौकरी छोड़कर टैक्सी कैब उद्यमी बन सकता है? यह सिर्फ गप नहीं, बल्कि हकीकत है कि इसरो के वैज्ञानिक अपनी नौकरी छोड़कर टैक्सी उद्यमी बन गए हैं. इसे आप उनका जुनून या कुछ और कह सकते हैं. उनकी खासियत यह है कि उनके पास जो ड्राइवर अपनी गाड़ी लेकर आता है, उसे उस गाड़ी से होने वाली कमाई की करीब 70% हिस्सेदारी तक दे देते हैं और सालाना करीब 2 करोड़ रुपये कमाते हैं. इस शख्स का नाम डॉ उथया कुमार है. आइए, जानते हैं इनकी सफलता की कहानी.

काफी फिल्मी है डॉ उथया कुमार की कहानी

द बेटर इंडिया ने सोशल मीडिया मंच लिंक्डइन पर डॉ उथया कुमार की रिपोर्ट साझा की है. रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु के एक छोटे से शहर कन्याकुमारी से निकलकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में अहम भूमिका निभाने और फिर एक सफल टैक्सी स्टार्टअप शुरू करने वाले डॉ उथया कुमार की कहानी काफी फिल्मी दिखाई देती है. यह कहानी न केवल उनके आत्मविश्वास, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व और नेतृत्व की अनूठी भावना को भी दर्शाती है.

ISRO में वैज्ञानिक की भूमिका

उथया कुमार ने सांख्यिकी में MPhil और PhD की उपाधियां प्राप्त कर अकादमिक रूप से उच्च शिखर छूए. उन्होंने इसरों में करीब सात साल तक काम किया. उनकी मेहनत तब रंग लाई, जब उन्हें ISRO में एक वैज्ञानिक के रूप में नियुक्ति मिली. वहां उन्होंने उपग्रह प्रक्षेपण में तरल ईंधन की सटीकता सुनिश्चित करने का कार्य किया. यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें एक छोटी-सी गलती भी गंभीर परिणाम ला सकती है.

उद्यमशीलता की ओर कदम

हालांकि, डॉ उथया कुमार का वैज्ञानिक जीवन काफी शानदार था, लेकिन उनके भीतर का उद्यमी उन्हें नई राह पर ले गया. साल 2017 में उन्होंने ST Cabs नामक टैक्सी सर्विस की शुरुआत की. इसका नाम उनके माता-पिता सुकुमारन और तुलसी के नाम पर रखा गया. आज उनके पास 37 गाड़ियां हैं और उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर 2 करोड़ रुपये से अधिक है.

अलग सोच, अलग रणनीति

उथया कुमार सिर्फ कुशल व्यवसायी नहीं हैं, बल्कि एक संवेदनशील और दूरदर्शी लीडर भी हैं.

  • वे ड्राइवरों को गाड़ी लाने पर 70% तक हिस्सेदारी देते हैं.
  • प्रवासी ड्राइवरों के लिए घर का निर्माण भी करवा रहे हैं.
  • अपने गांव के 4 बच्चों की शिक्षा का खर्च खुद उठाते हैं.
  • कोविड के समय उन्होंने खुद PPE किट पहनकर लंबी यात्राएं कीं, ताकि उनका व्यवसाय चलता रहे.

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डॉ उथया कुमार के 5 सबक

  • जुनून का पीछा करें, चाहे वह रास्ता परंपरागत न हो.
  • सफलता को साझा करें, केवल अपने लिए न रखें.
  • दया और जिम्मेदारी के साथ नेतृत्व करें.
  • कठिनाइयों में लचीलापन दिखाएं.
  • अपनी जड़ों से जुड़ाव बनाए रखें और समाज को लौटाएं.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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