ITR Filling: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की आखिरी तारीख आमतौर पर 31 जुलाई होती है. लेकिन, इस बार डेडलाइन को बढ़ा दिया गया है, 15 सितंबर कर दिया गया है. डेडलाइन करीब आती ही लोगों की टेंशन बढ़ जाती है और सबसे बड़ा सवाल जो हर किसी के मन में होता है- “मेरा कितना टैक्स बनेगा?”. इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए लोग अक्सर चार्टर्ड अकाउंटेंट के पास जाते हैं. लेकिन, आपके इस सवाल का जवाब आपकी अपनी सैलरी स्लिप में ही छिपा है?
इसके लिए आपको समझना होगा कि आपकी सैलरी के किस हिस्से पर सरकार टैक्स लेती है और किस पर आपको छूट मिलती है. अगर आपने ये समझ लिया, तो आप खुद ही अपना टैक्स कैलकुलेट कर लेंगे.
सबसे पहले हम बात करते है उन हिस्सों की, जिस पर आपको बिना किसी छूट के पूरा टैक्स देना होता है.
बेसिक सैलरी (Basic Salary)
ये आपकी सैलरी का सबसे मुख्य हिस्सा है, आपकी मेहनत की असली कमाई है, इसलिए ये पूरी तरह से टैक्सेबल होती है.
महंगाई भत्ता (Dearness Allowance – DA)
सरकार भत्ता महंगाई से लड़ने के लिए देती है, ये भी पूरी तरह से टैक्सेबल है.
अन्य भत्ते
इन सब के अलावा अगर आपको मेडिकल अलाउंस, सिटी कंपनसेटरी अलाउंस, ओवर टाइम अलाउंस या मील अलाउंस जैसा कोई भत्ता मिलता है, तो वो भी पूरी तरह से टैक्स के दायरे में आता है.
अब जानते हैं उन हिस्सों के बारे में जहां सरकार आपको थोड़ी राहत देती है.
हाउस रेंट अलाउंस (HRA)
अगर आप किराए के मकान में रहते हैं, तो कुछ शर्तों के साथ आप इस पर टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं. वहीं अगर आप अपने ही घर में रहते हैं, तो HRA की पूरी रकम टैक्सेबल हो जाएगी.
लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA)
कंपनी आपको छुट्टियों में घूमने-फिरने के लिए लीव ट्रैवल अलाउंस देती है. 4 साल में दो बार अपनी यात्रा के खर्च पर टैक्स छूट ले सकते हैं. इसमें होटल और खाने का खर्च शामिल नहीं होता.
बच्चों की पढ़ाई और हॉस्टल का भत्ता
इसके अलावा कंपनी आपके बच्चों की पढ़ाई के लिए जो भत्ता देती है, उसमें आप प्रति बच्चा ₹1200 सालाना (दो बच्चों तक ₹2400) की छूट ले सकते हैं. हॉस्टल भत्ते पर प्रति बच्चा ₹300 महीना (दो बच्चों तक ₹7200 सालाना) की छूट मिलती है. इसके ऊपर की रकम आपकी टैक्सेबल होगी.
हालांकि आपकी सैलरी में कुछ ऐसे हिस्से भी हैं जिन पर ₹1 का भी टैक्स नहीं लगता.
फोन और इंटरनेट का बिल
कंपनी अगर आपके मोबाइल और इंटरनेट का बिल चुकाती है, तो ये रकम पूरी तरह से टैक्स फ्री होती है. इसके लिए बस आपको असली बिल जमा करना होता हैं.
मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम
अगर आपकी कंपनी आपके और आपके परिवार के लिए मेडिकल इंश्योरेंस का प्रीमियम भरती है, तो उस पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होता है.
खुद बनें ‘टैक्स कैलकुलेटर’
सबसे पहले तो आप कोई भी अच्छा ऑनलाइन ‘इनकम टैक्स कैलकुलेटर’ खोलें. इसमें अपना असेसमेंट ईयर (जैसे AY 2024-25), अपनी उम्र, और अपनी टैक्सेबल सैलरी (कुल सैलरी में से HRA, LTA जैसी टैक्स-फ्री चीजों को घटाकर) डालें. अगर आपको ब्याज, किराए या किसी और सोर्स से कमाई हुई है, तो उसे भी डालें.
सबसे जरूरी बात अगर आप पुरानी टैक्स व्यवस्था चुन रहे हैं, तो सेक्शन 80C, 80D आदि के तहत किए गए अपने निवेश (जैसे PPF, ELSS, बीमा) की जानकारी डालें. नई व्यवस्था में तो कोई जरूरत नहीं पड़ती. बटन दबाते ही कैलकुलेटर आपको बता देगा कि आपकी कुल टैक्स देनदारी कितनी है.
इनकम टैक्स समझना कोई मुश्किल काम नहीं है. थोड़ी सी जानकारी और सैलरी स्लिप को ध्यान से समझेगें तो आप टैक्स खुद फाइल कर सकते है और CA को पैसे देने से बच जाएंगे.
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