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ये गायें हैं या हाथी? इन्हें देखकर भौंचक्के रह जाएंगे आप

Largest Cows: दुनिया की सबसे बड़ी गायों की नस्लें देखकर आप हैरान रह जाएंगे. इनका आकार इतना विशाल है कि पहली नजर में लगेगा ये गाय हैं या हाथी? फ्रांस, जर्मनी, इटली और ब्रिटेन की 7 विशालकाय गायें पायी जाती हैं, जो ताकत, दूध उत्पादन और खेती-बाड़ी में भी सबसे आगे हरती हैं. भारत की प्रमुख 50 से अधिक देसी नस्ल की गायें हमारे देश की गौरवशाली पशुधन परंपरा का हिस्सा हैं.

Largest Cows: गाय हमारे लिए जीवनदायिनी मानी जाती है. भारत में इन्हें गौमाता कहा जाता है, क्योंकि हम इनके दूध पीकर बड़े होते हैं. इसलिए इन्हें माता का दर्जा दिया गया है. हमारे देश में 50 से अधिक नस्ल की गायें पायी जाती हैं, लेकिन दुनिया भर में गायों की कई नस्लें पाई जाती हैं. इनमें कुछ इतनी विशाल होती हैं कि पहली नजर में देखकर कोई भी चौंक जाए. इन गायों का आकार इतना बड़ा होता है कि उन्हें देखकर अक्सर लोग यही सोचते हैं, “क्या ये वाकई गाय हैं या हाथी?” कई देशों में जलवायु और पालन-पोषण की पद्धति के कारण इन गायों ने असाधारण कद-काठी हासिल की है. भारत में जहां गायों को पूजनीय माना जाता है और अधिकतर नस्लें छोटे आकार की होती हैं, वहीं यूरोप और अमेरिका जैसी जगहों पर कुछ गायें वाकई में दैत्याकार नजर आती हैं. आइए, दुनिया की 7 सबसे बड़ी गायों की नस्लों के बारे में जानते हैं.

भारत मे पायी जाने वाली गायें

दुनिया की सात विशालकाय गायों के बारे में जानने से पहले अपने देश की गायों के बारे में जान लेना जरूरी है. भारत में गायों की कुल 50 से अधिक देसी नस्लें पाई जाती हैं, जिनमें से 43 नस्लों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने औपचारिक रूप से मान्यता दी है. ये नस्लें भौगोलिक क्षेत्र, जलवायु और उपयोग (दूध उत्पादन, खेती या दोनों) के अनुसार भिन्न होती हैं. इनमें पंजाब की साहीवाल, गुजरात की गिर, राजस्थान की थरपारकर, राजस्थान की राठी, गुजरात और राजस्थान की कांकरेज, मध्य प्रदेश की निमाड़ी, छत्तीसगढ़ की गौरी, कर्नाटक की हल्लीकर, कर्नाटक की अमृतमहल, महाराष्ट्र की खिल्लारी, आंध्र प्रदेश की ओंगोल, तमिलनाडु की कांगायम, मध्य प्रदेश की मालवी, प्रमुख हैं. इनके अलावा, भारत में बचौड़ी, पुलिकुलम, देवनी, बुंदेलखंडी, नगोरी, बेलाही, थोथापुरी आदि नस्लों की गायें भी पायी जाती हैं.

फ्रांस की मैने-अंजौ

फ्रांस के पश्चिमी हिस्से में पाई जाने वाली मैने-अंजो नस्ल की गायें बहुत विशाल और ताकतवर होती हैं. एक वयस्क गाय का वजन लगभग 1,400 किलोग्राम तक हो सकता है. ये गायें न सिर्फ भारी होती हैं, बल्कि बहुत ज्यादा दूध भी देती हैं. खास बात ये है कि ये कई तरह की जलवायु परिस्थितियों में खुद को आसानी से ढाल सकती हैं. इनकी प्रकृति शांत होती है और ये अपने बछड़ों की अच्छी देखभाल करती हैं.

फ्रांस की पार्थेनाइस

फ्रांस की एक और प्रमुख नस्ल पार्थेनाइस दिखने में जितनी भारी-भरकम है, स्वभाव से उतनी ही शांत होती है. इनका वजन 1,150 किलोग्राम तक हो सकता है. ये गायें हमेशा बेहतर चारे की तलाश में रहती हैं और आधुनिक कृषि में भी इनकी भूमिका महत्वपूर्ण है. यह नस्ल भी मांस उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है.

फ्रांस की मोन्टबेलियार्ड

पूर्वी फ्रांस की मोन्टबेलियार्ड नस्ल खासतौर पर अपनी ताकत, सहनशक्ति और शांत स्वभाव के लिए जानी जाती है. इनका वजन 1,200 किलो तक हो सकता है. इनके शरीर का रंग लाल-सफेद होता है और ये पहाड़ी तथा मैदानी दोनों इलाकों में पाई जाती हैं. पूरे यूरोप में ये गायें डेयरी उद्योग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं.

जर्मनी की ग्लान

ग्लान जाति की गायें मुख्य रूप से दक्षिण-पश्चिमी जर्मनी में पाई जाती है. पारंपरिक रूप से इनका उपयोग दूध और मांस उत्पादन के लिए किया जाता है. इनका शरीर मजबूत होता है और वजन 1,200 किलोग्राम तक पहुंच सकता है. अब ये नस्ल विलुप्ति के कगार पर है, इसलिए इनका संरक्षण किया जा रहा है. खेती और खेत जोतने में भी इनका उपयोग होता रहा है.

जर्मनी की एंगस गाय

जर्मन एंगस नस्ल जर्मनी की देसी गायों और स्कॉटिश एंगस का मिश्रण है. इनका वजन 1,200 किलोग्राम तक होता है. ये नस्ल पालने में आसान मानी जाती है और विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में भी खुद को ढाल सकती है. मजबूत शरीर और अच्छे दुग्ध उत्पादन की वजह से यह नस्ल किसान वर्ग में लोकप्रिय है.

इटली की चियानिना

इटली की चियानिना नस्ल को दुनिया की सबसे ऊंची और सबसे पुरानी नस्लों में गिना जाता है. इसकी ऊंचाई 2 मीटर तक होती है और वजन 1,700 किलोग्राम से अधिक हो सकता है. इनकी त्वचा काली और शरीर सफेद रंग का होता है. बेहद मजबूत मांसपेशियों वाली ये गायें गर्म जलवायु और बीमारियों का सामना अच्छी तरह करती हैं. पहले इनका उपयोग गाड़ी खींचने के लिए किया जाता था.

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ब्रिटेन की साउथ डेवॉन

ब्रिटेन की सबसे बड़ी घरेलू नस्ल मानी जाने वाली साउथ डेवॉन को ‘द जेंटल गियांट’ भी कहा जाता है. इसका वजन 2,000 किलोग्राम से ज्यादा हो सकता है. ये गायें बहुत शांत और मिलनसार होती हैं, जो हर तरह की जलवायु परिस्थितियों में भी अच्छा प्रदर्शन करती हैं. ये नस्ल डेयरी और कृषि कार्य दोनों के लिए उपयुक्त मानी जाती है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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