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सलमान खान को धमकाने वाले लॉरेंस बिश्नोई के पास कितना है पैसा, कहां करता है खर्च

Lawrence Bishnoi Net Worth: लॉरेंस बिश्नोई गिरोह हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा है, जिस तरह से दाऊद इब्राहिम ने 1990 के दशक में अपना आपराधिक नेटवर्क बनाया था. माना जाता है कि गिरोह में 700 से अधिक शूटर हैं, जिनमें से 300 पंजाब में सक्रिय हैं.

Lawrence Bishnoi Net Worth: बॉलीवुड के सुपरस्टार सलमान खान को लगातार धमकी देने वाला लॉरेंस बिश्नोई इन दिनों गुजरात के साबरमती जेल में बंद है. जेल में कैद रहने के बावजूद वह अपना सिंडिकेट चला रहा है. अभी हाल के दिनों में नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के लीडर बाबा सिद्दीकी की हत्या की सुपारी देने वाले लॉरेंस बिश्नोई को लेकर उसके परिवार वालों ने चौंकाने वाला खुलासा किया. इनमें से एक उसकी संपत्ति को लेकर भी किया गया खुलासा शामिल है. आइए, जानते हैं कि सलमान खान को धमकी देने वाले गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के पास कितनी संपत्ति है?

लॉरेंस के पिता के पास 110 एकड़ जमीन

अंग्रेजी की वेबसाइट बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, लॉरेंस बिश्नोई के परिवार ने जेल में कैद रहने के दौरान उसकी जान की सलामती, ऐशो-आराम और केस की सुनवाई पर सालाना 40 से 50 लाख रुपये खर्च करता है. इस बात का खुलासा उसके चचेरे भाई रमेश बिश्नोई ने किया. लॉरेंस बिश्नोई के 50 वर्षीय चचेरे भाई रमेश बिश्नोई के अनुसार, परिवार ने कभी नहीं सोचा था कि पंजाब विश्वविद्यालय से लॉ ग्रेजुएट की पढ़ाई करने वाला 31 वर्षीय लॉरेंस बिश्नोई अपराध की ओर रुख करेगा. उन्होंने कहा कि लॉरेंस एक अमीर परिवार से आता है और परिवार उस पर सालाना लगभग 35-40 लाख रुपये खर्च करता है. रमेश ने कहा कि हम हमेशा आर्थिक रूप से संपन्न रहे हैं. लॉरेंस के पिता हरियाणा पुलिस में कांस्टेबल थे और हमारे गांव में उनकी 110 एकड़ जमीन है.

लॉरेंस बिश्नोई पर सालाना 35-40 लाख खर्च करता है परिवार

रमेश बिश्नोई ने डेली गार्जियन को बताया कि लॉरेंस बिश्नोई हमेशा महंगे कपड़े और जूते पहनता था. अब भी जब वह जेल में है, तो परिवार हर साल उस पर करीब 35-40 लाख रुपये खर्च करता है. उन्होंने बताया कि उसने लॉरेंस को आखिरी बार करीब 10 साल पहले कोर्ट की सुनवाई के दौरान देखा था. लॉरेंस बिश्नोई के जन्म का नाम बालकरण बरार है और फिलहाल वह गुजरात की साबरमती सेंट्रल जेल में बंद है. कई मामलों में वह आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच के दायरे में है.

लॉरेंस बिश्नोई गिरोह ने ली बाबा सिद्दीकी की हत्या की जिम्मेदारी

रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की उनके बेटे के कार्यालय के बाहर गोली मारकर हत्या की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई गिरोह ने ली. शुभम लोनकर ने सोशल मीडिया पोस्ट में सार्वजनिक रूप से हमले का दावा किया था. बाद में जांच में पता चला कि शुरुआत में यह काम बिश्नोई गिरोह की महाराष्ट्र शाखा को दिया गया था. उसने इस काम के लिए 50 लाख रुपये मांगे थे, लेकिन भुगतान पर असहमति और एनसीपी नेता के प्रभाव के बारे में चिंताओं के कारण आखिर पीछे हट गया.

डी-कंपनी की तरह तेजी से बढ़ा बिश्नोई गिरोह

एनआईए के अनुसार, लॉरेंस बिश्नोई गिरोह हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा है, जिस तरह से दाऊद इब्राहिम ने 1990 के दशक में अपना आपराधिक नेटवर्क बनाया था. माना जाता है कि गिरोह में 700 से अधिक शूटर हैं, जिनमें से 300 पंजाब में सक्रिय हैं. एनआईए ने लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बरार सहित 16 गैंगस्टरों पर यूएपीए के तहत आरोप लगाए हैं. अपने आरोपपत्र में एनआईए ने लॉरेंस बिश्नोई गिरोह और दाऊद इब्राहिम की डी-कंपनी के बीच समानताओं को उजागर किया. दाऊद ने छोटे पैमाने के अपराधों से शुरुआत की, लेकिन ड्रग तस्करी, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग और जबरन वसूली के माध्यम से अपने प्रभाव का विस्तार किया और आखिरकार शक्तिशाली डी-कंपनी की स्थापना की. इसी तरह, लॉरेंस बिश्नोई गिरोह ने भी इसी तरह का पैटर्न अपनाया है, जिसने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहुंच और प्रभाव का विस्तार किया है.

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लॉरेंस बिश्नोई ने जबरन वसूली से कमाए करोड़ों रुपये

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 तक लॉरेंस बिश्नोई गिरोह ने जबरन वसूली के जरिए करोड़ों रुपये कमाए, जिसमें से पैसे हवाला चैनलों के जरिए विदेश भेजे गए. अधिकारियों ने यह भी पाया है कि गिरोह खुद को बढ़ावा देने और युवा सदस्यों को आकर्षित करने के लिए फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करता है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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