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एलआईसी को मिला जीएसटी का डिमांड नोटिस, कंपनी ने आईटीसी का गलत लाभ उठाया

LIC GST Notice: एलआईसी को मिला यह 479.88 करोड़ रुपये का जीएसटी नोटिस निवेशकों के लिए चिंता का विषय हो सकता है. लेकिन, कंपनी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इससे उसके व्यवसाय पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा. यह देखना दिलचस्प होगा कि LIC इस मामले को कैसे सुलझाती है और क्या यह निवेशकों की धारणा पर असर डालता है.

LIC GST Notice: सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए वस्तु एवं सेवा कर (GST) के कम भुगतान को लेकर 479.88 करोड़ रुपये का डिमांड नोटिस मिला है. कंपनी ने 29 फरवरी को शेयर बाजारों को इस बारे में जानकारी दी है. एलआईसी को यह नोटिस मुंबई स्थित महाराष्ट्र राज्य कर उपायुक्त की ओर से जारी किया गया है. कंपनी को भेजे गए जीएसटी नोटिस में ब्याज और जुर्माना भी शामिल है.

जीएसटी डिमांड नोटिस का पूरा ब्योरा

एलआईसी को 27 फरवरी 2025 को यह आदेश प्राप्त हुआ, जिसमें कहा गया है कि कंपनी ने इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का गलत लाभ उठाया, जिससे कर देयता में कमी आई. इस मांग में 242.23 करोड़ रुपये जीएसटी, 213.43 करोड़ रुपये ब्याज, और 24.22 करोड़ रुपये जुर्माना शामिल है.

नोटिस पर एलआईसी की प्रतिक्रिया

एलआईसी ने स्पष्ट किया कि इस आदेश के संबंध में वह राज्य कर (अपील), मुंबई के संयुक्त आयुक्त के समक्ष अपील कर सकती है. इसके साथ ही, कंपनी ने यह भी कहा कि इस नोटिस से उसकी वित्तीय स्थिति, संचालन या अन्य गतिविधियों पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा.

LIC और निवेशकों पर असर

  • एलआईसी भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है, इसलिए इस नोटिस का शेयर बाजार में निवेशकों की धारणा पर असर पड़ सकता है.
  • कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन पर इसका सीधा प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन इससे उसकी कर अनुपालन प्रक्रियाओं पर सवाल उठ सकते हैं.
  • LIC इस मुद्दे को जल्द हल करने के लिए कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करेगी.

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एलआईसी और जीएसटी विवाद

पिछले कुछ वर्षों में कई कंपनियों को जीएसटी से जुड़े नोटिस मिले हैं, जिनमें कर नियमों के अनुपालन में चूक और इनपुट टैक्स क्रेडिट के गलत दावों को लेकर विवाद रहे हैं. एलआईसी का यह मामला भी इसी श्रेणी में आता है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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