Masaledar Golgappa: दिल्ली के एक स्पेशल कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर शनिवार को ब्रिटेन में रह रहे हथियार डीलर संजय भंडारी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया है. कोर्ट ने ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018’ के तहत भंडारी को भगोड़ा घोषित किया. ईडी के अनुसार, भंडारी साल 2016 में भारत से ब्रिटेन भाग गया था. ब्रिटेन की एक अदालत ने भंडारी के प्रत्यर्पण के भारत के अनुरोध को हाल ही में ठुकरा दिया था. तब से वह भारत लौटने से बचता रहा है.
ब्रिटेन से प्रत्यर्पण की कोशिशें और भारत को झटका
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने संजय भंडारी को वापस लाने के लिए दो बार प्रत्यर्पण अनुरोध भेजे थे. पहला अनुरोध धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के तहत और दूसरा काले धन (अघोषित विदेशी संपत्तियों) से जुड़ा था. हालांकि, फरवरी 2025 में लंदन हाईकोर्ट ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया और भारत प्रत्यर्पित करने से इनकार कर दिया.
तिहाड़ जेल को बताया ‘अमानवीय’
संजय भंडारी ने ब्रिटेन की अदालत में यह दलील दी कि भारत में तिहाड़ जेल में उसे हिंसा, जबरन वसूली और यातना का सामना करना पड़ सकता है. उसने यूरोपीय मानवाधिकार संधि के अनुच्छेद 3 और 6 का हवाला देते हुए कहा कि भारत में उसे निष्पक्ष सुनवाई की गारंटी नहीं है. ब्रिटिश जजों ने इन दलीलों से सहमति जताई और उसे प्रत्यर्पण से छूट दे दी.
कौन है संजय भंडारी?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 62 वर्षीय संजय भंडारी ब्रिटेन में बसे एक डिफेंस डीलर है, जो पहले भारत में कर उद्देश्यों के लिए निवासी थे. वह अपनी फर्म “ऑफसेट इंडिया सॉल्यूशंस” के जरिए रक्षा निर्माताओं को सरकारी अनुबंधों के लिए परामर्श सेवाएं देता था. भारत में रहते हुए उस पर आरोप लगा कि उसने अघोषित विदेशी संपत्तियां छिपाई, बैकडेटेड दस्तावेजों का इस्तेमाल किया और भारतीय कर अधिकारियों को गुमराह किया.
ईडी और आयकर विभाग की कार्रवाई
आयकर विभाग ने भंडारी के खिलाफ काला धन रोधी अधिनियम, 2015 के तहत आरोप लगाए थे. इसके बाद ईडी ने फरवरी 2017 में मनी लॉन्ड्रिंग का आपराधिक मामला दर्ज किया और 2020 में आरोपपत्र दायर किया गया. हालांकि, अब तक उसे भारत लाना संभव नहीं हो पाया है.
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भारत के लिए चुनौती बना संजय भंडारी
संजय भंडारी का मामला भारत के प्रवर्तन तंत्र और अंतरराष्ट्रीय न्याय प्रणाली के बीच टकराव की एक बानगी बन गया है. जहां एक ओर भारत उसे आर्थिक अपराधों के लिए सजा दिलाने की कोशिश कर रहा है, वहीं ब्रिटिश अदालतों ने उसे मानवाधिकार उल्लंघन की आशंका के आधार पर सुरक्षित कर लिया है.
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