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Freebies: मुफ्त की योजनाओं पर नारायण मूर्ति का तीखा बयान, सरकारों पर साधा निशाना

Freebies: मुफ्त की योजनाओं पर इन्फोसिस के सह-संस्थापक ने बयान दिया है. नारायणमूर्ति का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब मुफ्त योजनाओं और उनकी लागत को लेकर बहस चल रही है. उनका यह कहना है कि रोजगार सृजन और नवोन्मेषी उद्यमिता ही गरीबी के खिलाफ सबसे प्रभावी उपाय हैं.

Freebies: इन्फोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति (NR Narayana Murthy) ने मुफ्त योजनाओं को लेकर सरकारों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उनका मानना है कि मुफ्त चीजों से गरीबी दूर नहीं हो सकती. इस विषय पर उन्होंने मुंबई-2025 के टाइकॉन कार्यक्रम में कहा कि गरीबी का समाधान इनोवेटिव उद्यमियों (Innovative Entrepreneurs) के रोजगार सृजन से ही संभव है, न कि मुफ्त उपहारों से.

मुफ्त योजनाओं का नहीं है भविष्य: नारायण मूर्ति

एनआर नारायण मूर्ति ने कहा कि अगर देश नवोन्मेषी उद्यमों (Innovative Enterprises) की ओर बढ़े, तो गरीबी महज एक धुंधली याद बन जाएगी. उनका कहना है, ‘‘मुझे पूरा विश्वास है कि आप में से हर कोई सैकड़ों-हजारों नौकरियां पैदा करेगा और इस तरह गरीबी की समस्या का समाधान होगा. मुफ्त के उपहारों से इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता. ऐसा कोई देश सफल नहीं हुआ है.’’

एआई और मुफ्त बिजली पर नारायणमूर्ति की राय

नारायण मूर्ति ने आगे कहा कि आजकल बेचे जाने वाले अधिकांश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) समाधान पुराने और अप्रचलित कार्यक्रम हैं, जिन्हें भविष्य के काम के रूप में प्रचारित किया जा रहा है. इसके अलावा, उन्होंने मुफ्त बिजली योजनाओं का उदाहरण देते हुए यह सुझाव दिया कि राज्य सरकारें उन घरों में छह महीने बाद सर्वेक्षण करें और देखें कि क्या इन योजनाओं से बच्चों का शैक्षिक स्तर बेहतर हुआ है या नहीं.

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नीतिगत सुधार की आवश्यकता

नारायणमूर्ति ने यह भी कहा कि मुफ्त योजनाओं को लाभ के बदले में एक सुधार के रूप में लागू किया जाना चाहिए. उनका मानना है कि नीतिगत दृष्टिकोण से हमें सुधार की दिशा में काम करना चाहिए, ताकि योजनाओं का असर वास्तविक रूप से गरीबों पर दिखे.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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