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खत्म होने वाला है 63 साल का पुराना इनकम टैक्स एक्ट, जाने नया बिल पुराने से कितना होगा अलग

New Income Tax Bill: नया इनकम टैक्स बिल भारत की बदलती अर्थव्यवस्था, डिजिटल युग और करदाताओं की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा. अगर यह कर अनुपालन को आसान बनाता है और पारदर्शिता बढ़ाता है, तो यह व्यापारियों, मध्यम वर्ग और निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

New Income Tax Bill: भारत में 1961 में लागू हुआ इनकम टैक्स एक्ट अब बदलाव की दहलीज पर है. 2025 में सरकार नया इनकम टैक्स बिल लाने की तैयारी कर रही है, जिससे मौजूदा कर ढांचे में बड़ा सुधार हो सकता है. यह बदलाव टैक्सपेयर्स के लिए क्या नया लाएगा और पुराने कानून से कैसे अलग होगा? आइए जानते हैं.

क्यों आ रहा है नया इनकम टैक्स बिल?

1961 का इनकम टैक्स एक्ट 63 साल पुराना हो चुका है और इसमें समय के साथ करीब 7000 संशोधन किए गए हैं. मौजूदा कानून जटिल और कठिन है, जिससे व्यापारियों, निवेशकों और आम करदाताओं को परेशानी होती है. सरकार इसे सरल, डिजिटल-फ्रेंडली और कम विवाद वाला बनाना चाहती है. आधुनिक अर्थव्यवस्था और डिजिटल इंडिया को ध्यान में रखकर नए बिल को तैयार किया जा रहा है.

कैसे अलग होगा नया इनकम टैक्स बिल?

  • सरल और स्पष्ट प्रावधान: नए बिल में कम शब्दों में ज्यादा स्पष्टता होगी, जिससे करदाताओं और सीए (चार्टर्ड अकाउंटेंट) को कानून समझने में आसानी होगी.
  • डिजिटल और AI-आधारित टैक्स सिस्टम: ई-फाइलिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का ज्यादा उपयोग होगा, जिससे टैक्स असेसमेंट में मानवीय दखल कम होगा.
  • टैक्स स्लैब में बदलाव संभव: नए बिल में टैक्स स्लैब को तर्कसंगत बनाने की बात हो रही है, जिससे मध्यम वर्ग को राहत मिल सकती है.
  • टैक्स विवादों में कमी: वर्तमान में हजारों केस टैक्स अपील्स और कोर्ट में पेंडिंग हैं. नया कानून इन्हें तेजी से निपटाने के लिए एक नया फ्रेमवर्क ला सकता है.
  • छोटे व्यापारियों और स्टार्टअप्स के लिए सहूलियत: स्टार्टअप्स, एमएसएमई और छोटे व्यापारियों के लिए सरल टैक्स अनुपालन और कम टैक्स दरों की उम्मीद है.
  • ब्लैक मनी और टैक्स चोरी पर सख्ती: नए कानून में बेनामी संपत्ति और विदेशों में जमा काले धन पर सख्त प्रावधान हो सकते हैं.

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पुराने इनकम टैक्स एक्ट 1961 और नए बिल में मुख्य अंतर

  • भाषा और जटिलता: 1961 का इनकम टैक्स एक्ट कानूनी और तकनीकी शब्दों में लिखा गया था, जिससे आम करदाताओं के लिए इसे समझना मुश्किल था. नया इनकम टैक्स बिल सरल और स्पष्ट भाषा में तैयार किया जाएगा, जिससे आम लोग भी इसे आसानी से समझ सकें.
  • संशोधन और अपडेट्स: पिछले 63 सालों में इनकम टैक्स एक्ट 1961 में 7000 से अधिक संशोधन किए जा चुके हैं, जिससे यह कानून अत्यधिक जटिल हो गया है. नया कानून समय के अनुसार अपडेटेड और स्पष्ट प्रावधानों के साथ आएगा, जिससे अनावश्यक संशोधनों की जरूरत कम होगी.
  • टेक्नोलॉजी और डिजिटल सिस्टम: पुराना कानून मैनुअल प्रोसेसिंग पर आधारित था, जबकि नया बिल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और डिजिटल टैक्स सिस्टम को अधिक बढ़ावा देगा, जिससे कर निर्धारण में पारदर्शिता आएगी और इंसानी हस्तक्षेप कम होगा.
  • टैक्स विवाद और समाधान प्रक्रिया: वर्तमान में हजारों टैक्स विवाद अदालतों में लंबित हैं, जिससे करदाताओं और सरकार दोनों को परेशानी होती है. नए कानून में तेजी से विवाद निपटाने के लिए एक नया फ्रेमवर्क लाया जाएगा, जिससे कानूनी मामलों में लगने वाला समय कम हो सके.
  • टैक्स स्लैब और दरों में संभावित बदलाव: 1961 के कानून के अनुसार समय-समय पर टैक्स स्लैब बदले गए, लेकिन यह अभी भी जटिल है. नए बिल में टैक्स स्लैब को तर्कसंगत और सरल बनाने की संभावनाएं हैं, जिससे मध्यम वर्ग को ज्यादा राहत मिल सकती है.
  • छोटे व्यापारियों और स्टार्टअप्स के लिए सहूलियत: पुराने टैक्स सिस्टम में छोटे व्यापारियों और स्टार्टअप्स के लिए कर अनुपालन काफी जटिल था. नए बिल में छोटे कारोबारियों, एमएसएमई और स्टार्टअप्स के लिए कर प्रणाली को आसान और सुविधाजनक बनाने पर जोर दिया जाएगा.
  • ब्लैक मनी और टैक्स चोरी पर नियंत्रण: पुराने कानून में काले धन और टैक्स चोरी से निपटने के लिए प्रावधान थे, लेकिन उनका प्रभाव सीमित रहा. नया इनकम टैक्स बिल बेनामी संपत्ति और विदेशी काले धन पर और भी सख्त प्रावधान लेकर आ सकता है, जिससे टैक्स चोरी पर लगाम लगाई जा सके.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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