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निर्मला सीतारमण की बैंकों को नसीहत, Deposit बढ़ाने के लिए लाएं आकर्षक प्रोडक्ट

Deposit: आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ब्याज दरें नियंत्रणमुक्त हैं. बैंक अक्सर धन आकर्षित करने के लिए डिपॉजिट रेट बढ़ाते हैं. बैंक ब्याज दर पर फैसला लेने के लिए आजाद हैं.

Deposit: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को देश के सरकारी और प्राइवेट बैंकों को नसीहत देते हुए कहा कि उन्हें डिपॉजिट बढ़ाने के लिए अनोखी और आकर्षक योजनाएं लानी चाहिए. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के केंद्रीय निदेशक मंडल की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि डिपॉजिट और लोन एक गाड़ी के दो पहिए हैं. इसमें डिपॉजिट धीरे-धीरे घट रही है.

अपने मुख्य कारोबार पर फोकस करें बैंक

निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैंकों को कोर बैंकिग यानी मुख्य कारोबार पर फोकस करने की जरूरत है. इसमें डिपॉजिट अमाउंट जुटाना और फंड के जरूरतमंद लोगों को लोन देना शामिल है. उन्होंने बैंकों से डिपॉजिट और लोन के बीच के अंतर को पाटने के लिए लोगों से रकम जुटाने के लिए अनोखी और आकर्षक योजना लाने की बात कही.

डिपॉजिट और लोन के बीच के अंतर पर आरबीआई चिंतित

इस दौरान आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ब्याज दरें नियंत्रणमुक्त हैं. बैंक अक्सर धन आकर्षित करने के लिए डिपॉजिट रेट बढ़ाते हैं. उन्होंने कहा कि बैंक ब्याज दर पर फैसला लेने के लिए आजाद हैं. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने 8 अगस्त 2024 को ही द्विमासिक मौद्रिक नीति पेश करते हुए बैंकों में डिपॉजिट और लोन के के बीच बढ़ते अंतर पर चिंता जताई थी.

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शॉर्ट-टर्म नॉन-रिटेल डिपॉजिट से पैदा सकता है नकदी संकट

गुरुवार को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने देश के बैंकों से कहा था कि वे अपने बड़े शाखा के नेटवर्क का लाभ उठाते हुए इनोवेटिव प्रोडक्ट्स और सर्विसेज के जरिए डिपॉजिट बढ़ाने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि बैंक बढ़ती लोन डिमांड को पूरा करने के लिए शॉर्ट-टर्म नॉन-रिटेल डिपॉजिट और लिएबिलिटी जैसे साधनों का अधिक सहारा ले रहे हैं. जैसा कि मैंने जोर दिया है, इससे बैंकिंग प्रणाली में संरचनात्मक नकदी संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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