No Spend Challenge: आज के दौर में सोशल मीडिया पर एक नया ट्रेंड तेजी से वायरल हो रहा है “नो स्पेंड चैलेंज”. यह ट्रेंड दुनियाभर के लोग अपना रहे हैं और इसे एक तरह का “स्पेंडिंग फास्ट” यानी खर्च न करने का उपवास कहा जा सकता है. इस चैलेंज का उद्देश्य है गैर-जरूरी खर्चों से पूरी तरह परहेज करना और केवल जरूरत की चीजों पर ही पैसे खर्च करना.
क्या है No Spend Challenge?
“नो स्पेंड चैलेंज” के तहत व्यक्ति खुद से यह संकल्प लेता है कि वह तय तक कोई भी अनावश्यक खरीदारी नहीं करेगा. इसका मतलब है बाहर खाना खाने, नए कपड़े खरीदने या शौक के नाम पर खर्च करने जैसे छोटे-मोटे खर्चों को पूरी तरह बंद कर देना. इस दौरान केवल आवश्यक चीजो जैसे किराना, दवाइयां या बिलों का भुगतान ही किया जाता है.
नो स्पेंड चैलेंज के लाभ
बचत में वृद्धि: इस चैलेंज का सबसे बड़ा फायदा है कि यह आपकी बचत को बढ़ाता है. जब आप अनावश्यक खर्च बंद कर देते हैं, तो आपकी वित्तीय स्थिति में सुधार होता है.
आपातकालीन फंड तैयार करना: वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, हर किसी के पास कम से कम 3 से 6 महीनों की सैलरी के बराबर का एक आपातकालीन फंड होना चाहिए. नो स्पेंड चैलेंज के जरिए आप इस फंड को जल्दी इकट्ठा कर सकते हैं.
रिटायरमेंट के लिए तैयारी: अगर आप हर महीने ₹1,000-2,000 की भी बचत करके उसे SIP (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) में लगाते हैं, तो कंपाउंड इंटरेस्ट का फायदा उठाकर आप लंबे समय में एक अच्छा रिटायरमेंट फंड बना सकते हैं.
छोटे लक्ष्यों की पूर्ति: अगर आप किसी ट्रिप पर जाना चाहते हैं या कोई छोटा सपना पूरा करना चाहते हैं, तो नो स्पेंड चैलेंज के जरिए की गई बचत से होटल बुकिंग, फ्लाइट टिकट आदि जैसे खर्च आसानी से पूरे हो सकते हैं.
बजट बनाने की आदत: इस चैलेंज के दौरान जब आप अपने खर्चों पर नियंत्रण रखते हैं, तो आपको यह पता चलता है कि किस क्षेत्र में आप ज़्यादा खर्च कर रहे थे. इससे आपको प्रभावी बजट बनाने की आदत पड़ती है, जो आर्थिक स्थिरता की ओर एक बड़ा कदम है.
क्या रखें ध्यान?
स्पष्ट लक्ष्य तय करें: यह जानना जरूरी है कि आप क्यों यह चैलेंज कर रहे हैं. बचत के लिए, कर्ज चुकाने के लिए या किसी खास लक्ष्य के लिए.
समय सीमा तय करें: यह चैलेंज कब शुरू और कब खत्म होगा, इसकी एक निश्चित समयावधि रखें.
“रिवेंज स्पेंडिंग” से बचें: जैसे कुछ लोग उपवास खत्म होते ही अधिक खा लेते हैं, वैसे ही कुछ लोग इस चैलेंज के बाद जरूरत से अधिक खर्च कर बैठते हैं. इसे “रिवेंज स्पेंडिंग” कहा जाता है, जो इस पूरी मेहनत को बेकार कर सकता है.
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