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NSE: आईपीओ लाने में एनएसई एशिया में टॉप, रकम जुटाने के मामले में दुनिया को पछाड़ा

NSE: एनएसई ने 2024 में आईपीओ के माध्यम से 70 बिलियन डॉलर (लगभग 5.8 लाख करोड़ रुपये) की पूंजी जुटाई. यह आंकड़ा भारत को वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा फंड जुटाने वाले देशों में पहले स्थान पर ले आया.

NSE: भारत के शेयर बाजारों में प्रमुख नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने साल 2024 में आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) पेश करने के मामले में एशिया में नंबर वन बन गया है. आईपीओ से पैसा जुटाने के मामले में एनएसई ने दुनिया को पीछे छोड़ दिया है. मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने एशिया के आईपीओ बाजार में बड़ा रिकॉर्ड बनाया. एनएसई पर 268 आईपीओ सूचीबद्ध हुए, जिनमें से 90 मेनबोर्ड और 178 एसएमई सेगमेंट में थे. इसने एशिया में सबसे ज्यादा आईपीओ लाने का खिताब हासिल किया.

आईपीओ के जरिए जुटाई गई 5.8 लाख करोड़ रुपये पूंजी

एनएसई ने 2024 में आईपीओ के माध्यम से 70 बिलियन डॉलर (लगभग 5.8 लाख करोड़ रुपये) की पूंजी जुटाई. यह आंकड़ा भारत को वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा फंड जुटाने वाले देशों में पहले स्थान पर ले आया. भारत ने आईपीओ की संख्या और जुटाए गए फंड के मामले में अमेरिका और यूरोप जैसे बड़े बाजारों को पीछे छोड़ दिया. अमेरिका में केवल 205 और यूरोप में 64 आईपीओ सूचीबद्ध हुए.

भारत के आईपीओ बाजार की सफलता के कारण

  • मजबूत अर्थव्यवस्था: भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था ने निवेशकों को आकर्षित किया.
  • घरेलू निवेशकों की भागीदारी: रिटेल निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी ने आईपीओ को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया.
  • स्टार्टअप और नए सेक्टर्स का योगदान: तकनीक, फार्मा और ऊर्जा सेक्टर्स से जुड़े आईपीओ ने बड़ा योगदान दिया.

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आईपीओ लीडर बनने की तैयारी में भारत

विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 में भारत आईपीओ बाजार में 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की पूंजी जुटा सकता है. यह भारत को ग्लोबल आईपीओ लीडर के रूप में और मजबूत करेगा. एनएसई की सफलता भारत की आर्थिक प्रगति और पूंजी बाजार की ताकत को दर्शाती है. यह रिकॉर्ड निवेशकों और कंपनियों दोनों के लिए भारत को एक भरोसेमंद बाजार के रूप में स्थापित करता है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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