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मिलिए, पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना के नाती से, जो भारत में टाटा-अंबानी को दे रहे टक्कर

Nusli Wadia: नुस्ली वाडिया पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के नाती और भारत के प्रमुख उद्योगपतियों में से एक हैं. वे वाडिया ग्रुप के चेयरमैन हैं, जिसमें बॉम्बे डाइंग, ब्रिटानिया और गोएयर जैसी कंपनियां शामिल हैं. जिन्ना की बेटी दीना वाडिया के पुत्र नुस्ली वाडिया टाटा और अंबानी जैसे दिग्गजों को व्यवसायिक रूप से टक्कर दे रहे हैं.

Nusli Wadia: पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव के बीच कई चौंकाने वाले तथ्य निकलकर सामने आ रहे हैं. एक तथ्य ऐसा भी निकलकर सामने आया है कि 1947 में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के नाती भारत के नामी-गिरामी दिग्गज उद्योगपतियों में से एक हैं, जो टाटा ग्रुप और मुकेश अंबानी के रिलायंस ग्रुप को टक्कर दे रहे हैं. उनका नाम नुस्ली वाडिया है और वे फिलहाल वाडिया ग्रुप के चेयरमैन हैं. हालांकि, नुस्ली वाडिया पारसी कारोबारी नेविल वाडिया के बेटे हैं, लेकिन उनकी मां पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की इकलौती संतान थीं. आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

दीना वाडिया और जिन्ना का रिश्ता

एनडीटीवी और टाइम्स नाउ की एक रिपोर्ट के अनुसार, दीना वाडिया मोहम्मद अली जिन्ना की इकलौती संतान थीं. उनका जन्म 15 अगस्त 1919 को लंदन में हुआ था. जिन्नी पत्नी और दीना वाडिया की मां रतनबाई पेटिट (रुटी जिन्ना) थीं, जो एक प्रमुख पारसी परिवार से थीं. जिन्ना ने 1918 में रतनबाई पेटिट से शादी की थी, जो उस समय विवादास्पद थी. इसका कारण यह था कि रतनबाई ने इस्लाम कबूल किया था.

दीना का विवाह और जिन्ना के साथ तनाव

रिपोर्ट में कहा गया है कि दीना वाडिया ने साल 1938 में एक प्रमुख पारसी व्यवसायी नेविल वाडिया से शादी की. यह शादी जिन्ना की इच्छा के खिलाफ थी. जिन्ना नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी एक गैर-मुस्लिम से शादी करे. दीना वाडिया ने अपने पिता के विरोध के बावजूद यह शादी की, जिससे उनके रिश्ते में तनाव आ गया. दीना ने जिन्ना से कहा था, “पिताजी, आपने भी तो एक पारसी (रतनबाई) से शादी की थी.” इसके जवाब में जिन्ना ने कहा, “वह मुस्लिम बन गई थीं.” इस विवाह के बाद दीना और जिन्ना का रिश्ता औपचारिक हो गया. 1947 में बंटवारे के समय दीना वाडिया पाकिस्तान जाने के बजाय भारत में ही रहना पसंद किया. मोहम्मद अली जिन्ना के निधन के समय वे केवल एक बार पाकिस्तान गई थीं.

नुस्ली वाडिया का जन्म

दीना वाडिया और नेविल वाडिया के बेटे नुस्ली वाडिया का जन्म 15 फरवरी 1944 को बॉम्बे (अब मुंबई) में हुआ. चूंकि दीना वाडिया मोहम्मद अली जिन्ना की बेटी थीं. इस हिसाब से नुस्ली वाडिया उनके नाती हुए. नुस्ली के पिता नेविल वाडिया वाडिया ग्रुप के एक प्रमुख व्यवसायी थे और बाद में नुस्ली ने इस ग्रुप की कमान संभाली.

नुस्ली को विरासत में मिला वाडिया ग्रुप

नुस्ली वाडिया वाडिया ग्रुप के चेयरमैन हैं, जो बॉम्बे डाइंग, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज और गोएयर जैसी कंपनियों के लिए जाना जाता है. उनकी मां दीना ने भारत में रहने का फैसला किया और बाद में न्यूयॉर्क चली गईं. लेकिन, नुस्ली भारत में ही रहे और वाडिया परिवार की व्यावसायिक विरासत को आगे बढ़ाया. भारत में इस समय जिन्ना परिवार के सदस्यों में नुस्ली वाडिया और उनके बेटे नेस वाडिया और जहांगीर वाडिया एकमात्र जीवित प्रत्यक्ष वंशज हैं. दीना वाडिया की 2017 में निधन हो गया.

नुस्ली वाडिया 1977 में वाडिया ग्रुप के बने अध्यक्ष

नुस्ली वाडिया ने अपनी मां, बहन, दोस्तों और जेआरडी टाटा की मदद से कंपनी में 11% हिस्सेदारी हासिल की. ​​उन्होंने कर्मचारियों को अपनी बचत का निवेश करने और कंपनी को बिकने से बचाने के लिए शेयर खरीदने के लिए भी राजी किया. इसके बाद नुस्ली लंदन चले गए. यहां उनके पिता एक सौदे पर बातचीत कर रहे थे. उन्होंने उन्हें कंपनी न बेचने या विदेश न जाने के लिए राजी किया. 1977 में नुस्ली वाडिया अपने पिता के बाद कंपनी के अध्यक्ष बने.

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नुस्ली वाडिया की संपत्ति

नुस्ली वाडिया की शादी मॉरीन वाडिया से हुई, जो पहले एयर होस्टेस थीं. मॉरीन वाडिया ग्लैडरैग्स पत्रिका की प्रमुख हैं और मिसेज इंडिया सौंदर्य प्रतियोगिता की आयोजकों में से एक हैं. उनके दो बेटे नेस वाडिया और जहांगीर वाडिया हैं. नुस्ली वाडिया के बेटे नेस वाडिया भी काफी मशहूर हैं. उन्हें खेल और व्यापार दोनों ही दुनिया में जाना जाता है. नेस वाडिया आईपीएल टीम किंग्स इलेवन पंजाब के को-ऑनर हैं, जिसे अब पंजाब किंग्स के नाम से जाना जाता है. नुस्ली वाडिया की रियल-टाइम नेटवर्थ 5.6 बिलियन डॉलर (करीब 47,837 करोड़ रुपये) है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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