ONGC Protest: ओएनजीसी की असम एसेट से जुड़े कर्मचारियों के धरने को अब एक हफ्ता होने वाला है. कर्मचारी संघ ने भर्ती प्रक्रिया शुरू करने, फरवरी 2025 में हटाए गए ओवरटाइम भत्ते को बहाल करने और फील्ड ऑपरेटर साथ ही पैरामेडिकल कर्मचारियों को नियमित करने की मांग की है. पूर्वांचल कर्मचारी संघ जनरल सेक्रेटरी जीव बरुआ का कहना है कि निजीकरण के चलते स्थानीय युवाओं को नौकरी के अवसर नहीं मिल पा रहे हैं. प्रबंधन की चुप्पी के बीच यूनियन अब भूख हड़ताल की चेतावनी दे चुकी है.
मांगे न मानने पर तेज हुआ आंदोलन
ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) की असम एसेट में हालात सामान्य नहीं हैं. पूर्वांचल कर्मचारी संघ द्वारा 21 मई से नाजिरा स्थित ओएनजीसी मुख्यालय के सामने अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया गया था, जो अब एक हफ्ते से भी अधिक समय से जारी है. धरने की शुरुआत कर्मचारियों द्वारा काली पट्टी बांधकर शांतिपूर्ण विरोध से हुई थी, लेकिन जब मांगे नहीं सुनी गईं तो आंदोलन को और तेज किया गया.
भूख हड़ताल का दिया अल्टीमेटम
संघ का कहना है कि ओएनजीसी ने 2023 से नई भर्तियां रोक दी हैं, जिससे असम के कई युवा रोजगार के अवसर से वंचित हो गए हैं. जनरल सेक्रेटरी संजीव बरुआ के अनुसार, “सारा काम अब निजी कंपनियों को दिया जा रहा है. इससे स्थानीय प्रतिभा को नुकसान हो रहा है और परिचालन पर भी असर पड़ रहा है. ” बरुआ ने यह भी बताया कि ओएनजीसी मुख्यालय से एक टीम ने 29 अप्रैल को बातचीत की थी, लेकिन कोई ठोस हल नहीं निकला. इस स्थिति से असंतुष्ट होकर अब संघ ने भूख हड़ताल का अल्टीमेटम दिया है, और यदि इसके बावजूद मांगें नहीं मानी गईं तो काम बंद हड़ताल की घोषणा की जाएगी.
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अधिकारियों ने रफा-दफा किया मामला
एक अन्य अहम मुद्दा तीन घंटे के ओवरटाइम भत्ते को लेकर है, जिसे फरवरी 2025 में अचानक बंद कर दिया गया था. इसके अलावा, लंबे समय से सेवा दे रहे फील्ड ऑपरेटर और पैरामेडिकल कर्मचारियों को भी नियमित नहीं किया गया है, जिससे असंतोष और गहरा है. जब ओएनजीसी असम एसेट के एक वरिष्ठ अधिकारी से इस विषय पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने इसे कर्मचारी संघ और प्रबंधन के बीच का “आंतरिक मामला” कहकर इस पर बात करने से इनकार कर दिया.
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