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PM Awas: घर बनाने के नहीं हैं पैसे, तो सरकार देगी लोन, ऐसे करें अप्लाई

PM Awaas: पीएम आवास योजना के तहत बेघर परिवार लोग सरकार की ओर से वित्तीय सहायता हासिल कर सकते हैं. इसके अलावा, कच्चे मकानों में रहने वाले और पुराने मकानों की मरम्मत कराने के लिए भी इस योजना के तहत आवेदन किया जा सकता है.

PM Awas: आपके पास घर नहीं है या घर है भी तो वह मिट्टी का है या फिर कच्चा है. हो सकता है कि आप किराए के मकान में रह रहे हों और घर बनाना चाहते हों. ऐसा भी हो सकता है कि आपका घर दादा-परदादा के जमाने का है और वह जर्जर हो गया हो. आप उसे मरम्मत कराना चाहते हैं, लेकिन आपके पास पैसे नहीं हैं. इन सभी परिस्थितियों में भला एक आदमी क्या कर सकता है? या तो पैसा आने का इंतजार करेगा या फिर बैंकों से ऊंची ब्याज दरों पर लोन लेगा. बैंक से लोन भी वही ले सकता है, जिसके पास निश्चित आमदनी का जरिया हो. लेकिन, जिनके पास आमदनी का निश्चित जरिया नहीं है और वह गरीब है, तो वे क्या करेंगे? आपको बता दें कि सरकार ने ऐसे ही गरीब लोगों को घर मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की है. इस योजना का लाभ उठाकर ग्रामीण और शहरी इलाकों में घर बनाया जा सकता है. आइए, इस योजना के बारे में जानते हैं.

पीएम आवास योजना क्या है?

सरकार ने 1 अप्रैल 2016 को प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण की शुरुआत की थी. यह ग्रामीण विकास मंत्रालय का प्रमुख मिशन है. इसे आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय क्रियान्वित करता है. प्रधानमंत्री आवास योजना भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में घर की कमी को पूरा करता है. इस योजना के तहत घरों का कम से कम 25 वर्ग मीटर में घर बनाने के लिए सरकार की ओर से लोन दिया जाता है. 27 सितंबर 2022 तक भारत के ग्रामीण इलाकों में 2 करोड़ मकानों का निर्माण कराया जा चुका है. हालांकि, सरकार का लक्ष्य 2.72 करोड़ घर बनाने का था. सरकार ने साल 2024 में इस योजना का विस्तार किया है.

पीएम आवास योजना का उद्देश्य क्या है?

प्रधानमंत्री आवास योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में सभी बेघर और कच्चे या जर्जर मकानों में रहने वाले परिवारों को पक्का घर उपलब्ध कराना है. इस योजना के तहत ग्रामीणों को घर बनाने के लिए सरकार की ओर से पैसा उपलब्ध कराया जाता है.

पीएम आवास योजना से कितना कर्ज मिलता है?

पीएम आवास योजना के तहत मैदानी इलाकों में घर बनाने के लिए 1.20 लाख रुपये और पहाड़ी-दुर्गम क्षेत्रों और आईएपी जिलों जैसे हिमालयी राज्य, पूर्वोत्तर राज्य, जम्मू-कश्मीर के और केंद्र शासित प्रदेशों में घर बनाने के लिए 1.30 लाख रुपये प्रदान किया जाता है. इसके अलावा, पक्का मकान बनाने के लिए 3% कम ब्याज दर पर 70,000 रुपये तक का कर्ज भी लिया जा सकता है. 2 लाख रुपये से अधिक लागत आने पर सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जाती है. इसके अलावा, घर में शौचालय बनाने के लिए सरकार की ओर से स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण (एसबीएम-जी) के तहत 12,000 रुपये दिए जाते हैं.

पीएम आवास योजना के तहत कौन घर बना सकता है?

पीएम आवास योजना के तहत बेघर परिवार लोग सरकार की ओर से वित्तीय सहायता हासिल कर सकते हैं. इसके अलावा, कच्चे मकानों में रहने वाले और पुराने मकानों की मरम्मत कराने के लिए भी इस योजना के तहत आवेदन किया जा सकता है. सरकार की ओर से दिए गए दिशा-निर्देश के अनुसार, बिना आश्रय वाले परिवार, निराश्रित या भिक्षा पर आश्रित रहने वाले, सफाई करने वाले, आदिम जनजातीय समूह और कानूनी रूप से रिहा किए गए बंधुआ मजदूर भी इस योजना के तहत घर बनाने के लिए आवेदन कर सकते हैं.

पीएम आवास योजना के लिए आवेदन कैसे करेंगे?

पीएम आवास योजना का लाभ पाने के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन किया जा सकता है. इसके लिए सरकार की आधिकारिक वेबसाइट https://pmayg.nic.in/netiayHome/Document/Document-PMAYG-Registratio-Manual.pdf पर विजिट करके आवेदन फॉर्म डॉउनलोड करना होगा. इसमें व्यक्तिगत ब्योरा, बैंक खाता नंबर, आधार नंबर और अन्य जरूरी दस्तावेजों का ब्योरा देना होगा. वहीं, ऑनलाइन आवेदन करने के लिए PMAY-G में लॉगइन करने के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा. यहां पर व्यक्तिगत जानकारियों में आपका नाम, लिंग, मोबाइल नंबर, आधार नंबर आदि दर्ज करना होगा.

पीएम आवास योजना के लिए कितने दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है?

पीएम आवास योजना का लाभ पाने के लिए दस्तावेज के तौर पर आधार नंबर, सेल्फ अटेस्टेड आधार कार्ड की कॉपी (यदि आवेदक पढ़ा-लिखा नहीं है, तो अंगूठे के निशान से भी काम चलेगा) जॉब कार्ड (मनरेगा के साथ रजिस्टर्ड) बैंक खाते का ब्योरा और स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) संख्या की जरूरत पड़ती है. इसके अलावा, एक हलफनामा देना पड़ता है, जिसमें कहा गया हो कि लाभार्थी या उनके परिवार के सदस्यों के पास पक्का घर नहीं है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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