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पासपोर्ट बनाने के लिए आपको नहीं घिसनी पड़ेंगी एड़ियां, आपके घर के पास सुविधा देगी सरकार

POPSK: विदेश जाने के लिए देश के लाखों नागरिक हर साल पासपोर्ट बनाते हैं. इस आवश्यक दस्तावेज को बनाने के लिए लोगों को काफी एड़ियां घिसनी पड़ती हैं. लोगों की परेशानी को देखते हुए सरकार अब डाकघरों में पासपोर्ट सेवा केंद्र खोलने की योजना चला रही है. विदेश मंत्रालय और डाक विभाग के आपसी गठजोड़ से डाकघरों में खुलने वाले पासपोर्ट सेवा केंद्रों की संख्या आने वाले पांच सालों में बढ़कर 600 तक पहुंच जाएगी.

POPSK: विदेश जाने के लिए अब आपको पासपोर्ट बनवाने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी. इसका कारण यह है कि सरकार अब आपके घर के पास ही पासपोर्ट सेवा केंद्र की संख्या बढ़ाने जा रही है. यह पासपोर्ट सेवा केंद्र आपके घर के पास स्थित डाकघर में स्थापित किए जाएंगे. हालांकि, देश के 442 डाकघरों में पहले पासपोर्ट सेवा केंद्र खुले हुए हैं, लेकिन इनकी संख्या बढ़कर 600 हो जाएगी.

डाक विभाग का विदेश मंत्रालय के साथ गठजोड़

सरकार की ओर से जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि सरकार की योजना अगले पांच वर्षों में डाकघरों के जरिये पासपोर्ट सेवा केंद्रों की संख्या को मौजूदा 442 से बढ़ाकर 600 करने की है. विदेश मंत्रालय और डाक विभाग ने डाकघरों के जरिये पासपोर्ट सेवाओं को पांच साल तक जारी रखने के लिए अपने गठजोड़ को आगे बढ़ाया है.

एमओयू को पांच साल के लिए किया गया रिन्यू

सरकारी बयान में कहा गया कि डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्रों (पीओपीएसके) के जरिये पासपोर्ट सेवाओं की लगातार पहुंच के लिए विदेश मंत्रालय (एमईए) और डाक विभाग के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) को पांच साल के लिए रिन्यू किया गया है. एमओयू पर डाक विभाग के व्यापार विकास निदेशालय की महाप्रबंधक मनीषा बंसल बादल और विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पीएसपी और सीपीओ) के जे श्रीनिवास ने हस्ताक्षर किए.

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1 करोड़ हो जाएगी पासपोर्ट बनाने वालों की संख्या

बयान में कहा गया है कि सरकार की इस पहल के तहत पासपोर्ट सेवा केंद्रों की संख्या को 2028-29 तक देश भर में 600 केंद्रों तक बढ़ाने की योजना है. इससे नागरिकों को अधिक पहुंच और सुविधा मिलेगी. अगले पांच वर्षों में वार्षिक आधार पासपोर्ट बनाने वालों की संख्या 35 लाख से बढ़कर 1 करोड़ हो जाएगी.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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