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रघुराम राजन की चेतावनी, रुपये की गिरावट में आरबीआई ने किया हस्तक्षेप तो होगा बड़ा नुकसान

Raghuram Rajan on Rupee Fall: रघुराम राजन ने रुपये की गिरावट पर आरबीआई को हस्तक्षेप न करने की सलाह दी है. जानें, क्यों रुपये को मजबूत करने से निर्यातकों को बड़ा नुकसान हो सकता है और बजट 2025 के लिए उनके सुझाव.

Raghuram Rajan on Rupee Fall: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने रुपये की गिरावट को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि रुपये की गिरावट अमेरिकी डॉलर की मजबूती का नतीजा है और इसमें आरबीआई के हस्तक्षेप से भारतीय निर्यातकों को बड़ा नुकसान हो सकता है.

डॉलर मजबूत होने के कारण

राजन ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति की नीतियों, जैसे आयात शुल्क बढ़ाना और अमेरिका को निवेश के लिए आकर्षक बनाना, डॉलर को मजबूत कर रही हैं. इसके अन्य कारण हैं.

  • शेयर बाजार में तेजी: अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश बढ़ रहा है.
  • अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूती: इसका असर अन्य वैश्विक मुद्राओं पर भी पड़ रहा है.

आरबीआई के हस्तक्षेप का खतरा

राजन ने कहा कि अगर आरबीआई रुपये को मजबूत करने के लिए हस्तक्षेप करता है, तो भारतीय मुद्रा अन्य उभरती मुद्राओं के मुकाबले मजबूत हो जाएगी. इससे निर्यात महंगा हो सकता है और भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए राजन के सुझाव

  • रोजगार और आय में सुधार: रघुराम राजन ने सुझाव दिया कि बजट 2025 में रोजगार सृजन और आय वृद्धि पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. घरेलू खपत बढ़ाने के लिए मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग की मांग में सुधार आवश्यक है.
  • निजी निवेश को बढ़ावा: उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में निवेश की कमी भारतीय अर्थव्यवस्था की गति को धीमा कर रही है. इसके लिए अनुकूल नीतियां आवश्यक हैं.
  • स्थिर आर्थिक नीति: राजन के अनुसार, रुपये की गिरावट से घबराने के बजाय आरबीआई को अस्थिरता को नियंत्रित करने पर ध्यान देना चाहिए.

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डॉलर मजबूत होने का वैश्विक असर

अमेरिका का आयात शुल्क बढ़ाने का उद्देश्य उत्पादन को वापस लाना है. इससे दूसरे देश खासकर भारत जैसे उभरते बाजारों, पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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