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राजस्थान ने रच दिया इतिहास, PM Kusum Yojana से बना दिया 1,000 मेगावाट सौर ऊर्जा

PM Kusum Yojana: राजस्थान ने पीएम कुसुम योजना के तहत 1,000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन कर ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. यह पहल राज्य को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना रही है और किसानों को दिन में सस्ती बिजली उपलब्ध करवा रही है. योजना के तहत लाखों किसानों को सौर ऊर्जा से लाभ मिल रहा है और भविष्य में 12,000 मेगावाट क्षमता का लक्ष्य तय किया गया है.

PM Kusum Yojana: राजस्थान ने प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत 1,000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता का नया कीर्तिमान स्थापित किया है. यह राज्य के लिए ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ी सफलता है. इस योजना के तहत सौर ऊर्जा का उपयोग करके राज्य के किसानों को सिंचाई के लिए बिजली उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे किसानों की जीवन गुणवत्ता में सुधार हो रहा है.

पीएम कुसुम योजना का महत्व

प्रधानमंत्री कुसुम योजना का उद्देश्य किसानों को कृषि के लिए सौर ऊर्जा से संचालित सिंचाई पंप उपलब्ध कराना है. इसके माध्यम से राजस्थान में कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. इस योजना के तहत, राज्य में अब 1,000 मेगावाट से अधिक सौर ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है, जो ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण उदाहरण है.

किसानों को सौर ऊर्जा से मिलने वाली राहत

राजस्थान में पीएम कुसुम योजना के तहत किसानों को दिन में बिजली सुलभ हो रही है. अब राज्य के एक लाख 70 हजार से अधिक किसानों को दिन के समय सौर ऊर्जा से चलने वाले सिंचाई पंपों के माध्यम से बिजली मिल रही है. इससे न केवल किसानों की सिंचाई प्रक्रिया में सुधार हुआ है, बल्कि ऊर्जा संकट का समाधान भी हुआ है. राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि सौर ऊर्जा के माध्यम से किसानों को अधिक स्थिर और सस्ती ऊर्जा प्राप्त हो.

राज्य में सौर ऊर्जा संयंत्रों की बढ़ती संख्या

राजस्थान में कुसुम योजना के तहत सौर ऊर्जा संयंत्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. पीएम कुसुम योजना के घटक-ए और घटक-सी के तहत अब तक 560 ग्रिड-संबद्ध विकेंद्रित सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए हैं, जिससे 70,000 से अधिक कृषि उपभोक्ताओं को दिन में बिजली मिल रही है. इसके अलावा, योजना के घटक-बी के तहत एक लाख किसानों के कृषि पंपों को सौर ऊर्जा से जोड़ा गया है.

भविष्य की योजनाएं और लक्ष्य

भारत सरकार ने इस योजना के तहत राजस्थान को अगले वित्त वर्ष 2024-25 में अतिरिक्त 6,000 मेगावाट क्षमता के सौर संयंत्रों के लिए मंजूरी दी है. इसके अलावा, घटक-सी में दो लाख सौर पंपों का और आवंटन किया गया है. इस तरह राजस्थान में अगले कुछ वर्षों में लगभग 12,000 मेगावाट क्षमता की सौर इकाइयों के स्थापित होने का लक्ष्य रखा गया है.

राज्य में सौर ऊर्जा संयंत्रों की तेज गति

राजस्थान में सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की गति में भी तेजी आई है. पिछले छह महीनों में घटक-ए में 183 मेगावाट क्षमता के 134 और घटक-सी में 514 मेगावाट क्षमता के 196 संयंत्र लगाए गए हैं. यह योजना अब प्रतिदिन औसतन चार-पांच मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता का उत्पादन कर रही है, जो राज्य की ऊर्जा स्थिति को मजबूत करने में मदद कर रहा है.

मुख्यमंत्री का संकल्प

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने वर्ष 2027 तक किसानों को कृषि कार्य के लिए दिन में बिजली उपलब्ध कराने का संकल्प लिया है. इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कुसुम योजना एक महत्वपूर्ण कदम है और राज्य सरकार ने इसे अपनी प्रमुख योजना के रूप में लागू किया है.

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सौर ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा राजस्थान

राजस्थान ने पीएम कुसुम योजना के तहत 1,000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का ऐतिहासिक लक्ष्य हासिल कर राज्य को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है. इस योजना के सफल क्रियान्वयन से राज्य के किसानों को लाभ मिल रहा है और भविष्य में इस योजना से राज्य की ऊर्जा स्थिति और सुदृढ़ होगी.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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