RBI: देश के प्रमुख बैंकों ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से अनुरोध किया है कि वह दैनिक कैश रिजर्व अनुपात (CRR) के नियमों में उन्हे थोड़ी छूट दे, जिससे उन्हें अल्पकालिक नकदी की उपलब्धता में सुधार हो सके. बैंकों के अनुसार, वर्तमान में 4% के CRR में से 90% का दैनिक रखरखाव अनिवार्य है, जो कि मौजूदा लिक्विडिटी अस्थिरता की वजह से मुश्किल हो गया है.
डेपोसीटेड अमाउन्ट कम करने का सुझाव
कैश रिजर्व अनुपात वर्तमान में डेपोसीटेड अमाउन्ट का 4% है, जिसे बैंकों द्वारा हर 2 हफ्तों पर भारतीय रिजर्व बैंक को रिपोर्ट किया जाना आवश्यक है. वर्तमान में बैंक इस CRR रखरखाव आवश्यकता का 90% प्रतिदिन अलग रखते हैं. बुधवार को केंद्रीय बैंक के अधिकारियों से मिलने वाले कुछ बैंकर्स ने इसे घटाकर 80%-85% करने का सुझाव दिया है.
दूसरी बार मामले पर कि गई बैठाल
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, यह बैठक बैंकर्स और RBI के बीच दूसरी बार आयोजित की गई, क्योंकि प्राधिकरण डिजिटल बैंकिंग के दौर में अपने लिक्विडिटी प्रबंधन को बेहतर बनाने पर विचार कर रहा है. RBI की पैनल रिपोर्ट में बताया गया है कि 24×7 पेमेंट सिस्टम कि वजह से, बैंकों को अचानक धन निकासी की स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त लिक्विडिटी बनाए रखनी चाहिए, विशेष रूप से रात के समय जब मनी मार्केट बंद रहता है.
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बैंकों की चुनौतियाँ और मांगें
बैंकों ने RBI से अनुरोध किया है कि दैनिक CRR रखरखाव की आवश्यकता को 90% से घटाकर 80-85% किया जाए, जबकि कुछ व्यापारियों ने इसे 70% तक कम करने का सुझाव दिया है. इससे बैंकों को अधिक स्थिर फंडिंग प्राप्त होगी, जिससे वे डेट देने की क्षमता बढ़ा सकेंगे और आर्थिक विकास को समर्थन मिलेगा.
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