Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने संकेत दिए हैं कि रेपो रेट में आगे कोई भी बदलाव स्थिति की समीक्षा के बाद ही किया जाएगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि रेपो रेट में कटौती या उसे यथावत बनाए रखने का निर्णय मौजूदा आर्थिक आंकड़ों और भविष्य की परिस्थितियों को देखकर लिया जाएगा. फिलहाल, आरबीआई वेट एंड वाच के मोड में काम कर रहा है.
रेपो रेट में अबतक 1% तक कटौती
फरवरी 2025 से अब तक रेपो रेट में कुल 1% की कटौती हो चुकी है. इसके बावजूद मल्होत्रा ने कहा कि रेपो रेट में कटौती का असर अभी शुरुआती चरण में ही देखा जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि मई तक की रिपोर्ट में यह प्रभाव केवल 0.24% देखा गया है. जून के आंकड़े आने बाकी हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि इसमें सुधार हुआ होगा.
महंगाई और वृद्धि पर फोकस
गवर्नर संजय मल्होत्रा के अनुसार, मूल्य स्थिरता और आर्थिक वृद्धि दोनों ही समान रूप से अहम हैं. उन्होंने कहा, “हम यह नहीं कह सकते कि हम किसी एक आंकड़े को ज्यादा महत्व दे रहे हैं. हमारा प्राथमिक उद्देश्य मूल्य स्थिरता है, लेकिन हम वृद्धि दर को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते.”
महंगाई के आकलन के लिए मंथन जारी
संजय मल्होत्रा ने यह भी स्वीकार किया कि आरबीआई इस समय मुद्रास्फीति के भविष्य अनुमान पर भीतरी मूल्यांकन कर रहा है. उन्होंने कहा कि यह तय नहीं है कि मुद्रास्फीति 3% तक आएगी या नहीं, क्योंकि आकलन अभी जारी है.
अगस्त में एमपीसी बैठक होगी अहम
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अगली बैठक 4 से 6 अगस्त के बीच होनी तय है और उसी दिन यह पता चलेगा कि रेपो रेट में कटौती होगी या नहीं. फिलहाल, समिति ने तटस्थ रुख अपनाया है, जिसका अर्थ है कि वह आवश्यकता के अनुसार नीतिगत दरों में बदलाव कर सकती है.
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कटौती की संभावना बरकरार
संजय मल्होत्रा के अनुसार, अगर महंगाई और वृद्धि दर में कोई बड़ा बदलाव आता है, तो रेपो रेट में कटौती संभव है. लेकिन, इसका निर्णय तभी लिया जाएगा, जब सभी आंकड़े सामने होंगे और व्यापक आकलन पूरा होगा. अगस्त में रेपो रेट में बदलाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन यह पूरी तरह आरबीआई के गहन विश्लेषण और आर्थिक संकेतकों पर निर्भर करेगा. फिलहाल आरबीआई सतर्कता की नीति अपनाए हुए है.
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