RBI Report: देश के किसानों को कृषि मंडियों में उनकी फसलों का दाम सरकार की ओर से तय किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और से भी कम मिल रहा है, जो चिंता का विषय है. इस बात का खुलासा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की रिपोर्ट में किया गया है. आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि खरीफ और रबी फसलों की भारी पैदावार से गेहूं को छोड़कर प्रमुख खाद्य फसलों की मंडी में औसत कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी कम हैं.
खाद्य पदार्थों की कीमतों में व्यापक नरमी
आरबीआई की रिपोर्ट में कहा किया मई महीने के अब तक (19 मई तक) खाद्य मूल्य आंकड़ों से अनाज और दालों दोनों की कीमतों में व्यापक आधार पर नरमी दिखी है. केंद्र सरकार 23 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है. 14 खरीफ, सात रबी और दो वाणिज्यिक फसलों को शामिल किया गया है. हालांकि, यह खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य से राशन दुकानों से वितरण के लिए कुछ वस्तुओं, खासकर गेहूं और चावल की खरीद करती है.
तेल-सब्जी की कीमतों में उछाल
आरबीआई के मई बुलेटिन में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि सोयाबीन, सूरजमुखी और सरसों तेल के दाम में बढ़ोतरी के कारण खाद्य तेल की कीमतों में बढ़ोतरी जारी रही है. हालांकि, पाम और मूंगफली तेल की कीमतों में नरमी आई. प्रमुख सब्जियों में प्याज की कीमतों में और सुधार हुआ, जबकि आलू तथा टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई.
खरीफ और रबी फसलों की भरपूर पैदावार
रिपोर्ट में कहा गया है कि खरीफ और रबी की प्रमुख फसलों की भरपूर पैदावार और खाद्य मुद्रास्फीति से निपटने के लिए नीतिगत उपायों के परिणामस्वरूप प्रमुख खाद्य फसलों (गेहूं को छोड़कर) की औसत मंडी कीमतें कम हुई हैं और वे अपने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी कम हैं जो देश की खाद्य सुरक्षा के लिए अच्छा संकेत है.’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि औसत मंडी कीमतों का आंकड़ा एक अप्रैल से 19 मई 2025 की अवधि से जुड़ा है. केंद्रीय बैंक के अनुसार, रिपोर्ट में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और ये भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं.
गेहूं पर बोनस देगी राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार
राजस्थान और मध्य प्रदेश ने गेहूं के लिए एमएसपी पर 150 रुपये प्रति क्विंटल और 175 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस देने की घोषणा की है. रिपोर्ट में कहा गया कि ग्रीष्मकालीन फसलों के मामले में विशेष रूप से दालों की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है. धान की बुवाई (कुल ग्रीष्मकालीन क्षेत्रफल का लगभग 43%) 16 मई 2025 तक पूरे सत्र के सामान्य क्षेत्रफल का 107.6% थी, जबकि मूंग (कुल सत्र के क्षेत्रफल का लगभग 27%) की बुवाई 108.2% थी. ग्रीष्मकालीन बुवाई का कुल क्षेत्रफल 80.7 लाख हेक्टेयर रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 11.9% अधिक है.
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इस साल सामान्य से अधिक होगी वर्षा
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून से सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान है और इसकी संभावित समय से पहले शुरुआत आगामी खरीफ सत्र के लिए शुभ संकेत है. इसमें कहा गया है कि प्रमुख खादों (फॉस्फेटिक को छोड़कर) की अनुमानित आवश्यकता भी पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है.
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