Retail Inflation: भारत में खाने-पीने की चीजों की कीमतें आम आदमी की जेब पर सबसे ज्यादा असर डालती हैं. जून 2025 में एक राहतभरी खबर सामने आई जब शाकाहारी और मांसाहारी थाली की लागत में गिरावट दर्ज की गई. इसका प्रमुख कारण सब्जियों के दामों में गिरावट रहा, खासकर टमाटर की कीमतों में भारी कमी ने थाली को सस्ता बना दिया.
जून में थाली की लागत में राहत
टमाटर जैसी रोजमर्रा की सब्जियों की कीमतों में गिरावट के कारण जून में थाली की लागत कम रही. लगातार गिरती टमाटर की कीमतों के चलते उपभोक्ताओं को राहत मिली. तुअर दाल की कीमतों में भी गिरावट देखी गई .यह चौथा लगातार महीना था जब इसमें 10% से ज्यादा की गिरावट आई. यही नहीं, गुड़ और नमक जैसी आवश्यक वस्तुओं के दाम भी अप्रैल से अब तक स्थिर बने हुए हैं.
जुलाई से महंगाई फिर बढ़ने की आशंका
हालांकि जून ने थोड़ी राहत दी, लेकिन जुलाई के पहले हफ्ते में टमाटर की कीमतों में तीन गुना तक की वृद्धि दर्ज की गई है. मौसम में बदलाव और सप्लाई चेन की बाधाओं के कारण सब्जियों की कीमतें फिर चढ़ने लगी हैं. प्याज की ताजा आवक कम है, जबकि पुराने रबी स्टॉक का नियंत्रित रिलीज़ होने से इसके दामों में भी बढ़त देखी जा सकती है.
खुदरा महंगाई दर 2.6% रहने की उम्मीद
HDFC बैंक की इकोनॉमिस्ट दीपान्विता मजूमदार ने कहा कि जून में खुदरा महंगाई दर 2.6% रह सकती है. इसके पीछे मुख्य कारण है देश में खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में स्थिरता. खाद्य तेलों के दाम खासकर पाम ऑयल और सोया ऑयल अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्थिर बने हुए हैं, जिससे घरेलू बाजारों पर दबाव नहीं पड़ा है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार का असर (Retail Inflation)
दक्षिण अमेरिका से खाद्य तेल की आपूर्ति बढ़ने से भारत को राहत मिली है. इसके अलावा सनफ्लावर ऑयल की कीमतों में भी गिरावट आई है क्योंकि वैश्विक मांग में कमजोरी देखी गई है. इसी तरह, कच्चे तेल और मेटल की कीमतें भी या तो स्थिर हैं या गिरी हैं, जिससे महंगाई पर फिलहाल नियंत्रण बना हुआ है.
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