Retail Inflation: देश में खाने-पीने की चीजों और फल-सब्जियों की कीमतों में नरमी से मई के महीने में आम आदमी को बड़ी राहत मिली है. मई 2025 में खुदरा महंगाई दर गिरकर 2.82% पर आ गई है, जो पिछले छह वर्षों का सबसे निचला स्तर है. यह राहत उपभोक्ताओं के लिए उस समय आई है, जब खाद्य वस्तुओं की कीमतें लगातार स्थिर हो रही हैं. खासतौर पर फलों और सब्जियों के दाम में आई नरमी ने महंगाई को नीचे खींचने में अहम भूमिका निभाई है.
खाद्य मुद्रास्फीति में जबरदस्त गिरावट
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, मई में खाद्य मुद्रास्फीति सिर्फ 0.99% रही, जबकि एक साल पहले यानी मई 2024 में यह आंकड़ा 8.69% पर था. यह गिरावट अक्टूबर 2021 के बाद खाद्य महंगाई का सबसे निचला स्तर है. इस नरमी की वजह दालों, अनाज, चीनी, अंडे और घरेलू सेवाओं की कीमतों में आई गिरावट को माना जा रहा है.
आरबीआई के लक्ष्य से नीचे बनी रही महंगाई
यह लगातार चौथा महीना है, जब खुदरा महंगाई भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 4% के औसत लक्ष्य से नीचे रही है. इससे पहले अप्रैल 2025 में यह दर 3.16% और फरवरी 2019 में 2.57% थी, जो अब तक का निचला रिकॉर्ड था.
ग्रामीण-शहरी दोनों क्षेत्रों को राहत
ग्रामीण भारत में मई के दौरान खुदरा महंगाई 2.59% रही, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 3.07% पर दर्ज की गई. यह आंकड़े दर्शाते हैं कि महंगाई नियंत्रण सिर्फ एक क्षेत्र तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे देश में इसका असर दिखा.
राज्यवार आंकड़ों में भिन्नता
राज्यों की बात करें, तो मई में केरल में सबसे अधिक खुदरा महंगाई दर 6.46% दर्ज की गई. इसके बाद पंजाब (5.21%), जम्मू-कश्मीर (4.55%), हरियाणा (3.67%) और उत्तराखंड (3.47%) रहे. वहीं तेलंगाना सबसे कम महंगाई दर वाला राज्य रहा, जहां महज 0.55% मुद्रास्फीति रही.
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आरबीआई और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए खुदरा महंगाई औसतन 3.7% रहने का अनुमान जताया है. इसकी तिमाही दरों में क्रमशः 2.9%, 3.4%, 3.9% और 4.4% रहने का पूर्वानुमान है. रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि यह आंकड़ा आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति को नीतिगत दरों में राहत देने की अनुमति देता है. उन्होंने अगस्त में दरें यथावत रखने और अक्टूबर 2025 में 0.25% की कटौती की संभावना जताई है.
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