Rice Price: चावल की कीमत पिछले साल की तुलना में इस बार मई में 101.7% महंगा हुआ है. बताया जा रहा है ये पिछले 50 साल में सबसे बड़ी बढ़ोतरी है. अप्रैल में 98.4% और मार्च में 92.1% चावल के दामों में सालाना बढ़ोतरी हुई थी. तीन महीनें से लगातार तेजी ही देखी जा रही है.
हम भारत की बात नहीं कर रहे है जापान की कर रहे है. जापान सरकार ने चावल के बढ़ते दाम को काबू करने के लिए अपने इमरजेंसी भंडार से चावल जारी किया है, ताकि आम लोगों को कुछ राहत मिल सके.
जापान में चावल खूब खाया जाता है, चावल जापानी परिवारों की रसोई का अहम हिस्सा है. इसलिए हर किसी की जेब पर इसकी कीमत का असर दिखाई देता है. चावल के इस संकट ने राजनीति, बैंकिंग, कृषि नीति और अंतरराष्ट्रीय व्यापार हर पहलू को छुए हुए हैं.
भारत के लिए अच्छा मौका
ग्लोबल मार्केट में इसका क्या असर होगा ये तो पता नहीं लेकिन भारत के लिए ये अच्छा मौका हो सकता है. भारत राइस एक्सपोर्ट के मामले में ग्लोबल लीडर है.
महंगाई दर
मई में जापान की कोर इंफ्लेशन यानी बुनियादी महंगाई दर 3.7% रही, जो जनवरी 2023 के बाद सबसे ज्यादा थी. JP Morgan के मुताबिक, जापान में कोर महंगाई का करीब 50% हिस्सा सिर्फ चावल की कीमतों से आता है. इसका मतलब है चावल महंगा तो बाकी सारी चीजें भी महंगी.
सरकार की कोशिश की वजह से चावल और इससे बनी प्रोसेस्ड चीजें जैसे ब्रेड, स्नैक्स, रेस्टोरेंट खाना सस्ते होते हैं, तो लोगों की जेब पर थोड़ा कम भार पड़ेगा और खर्च बढ़ेगा. अगर खाने-पीने की चीजों के दाम काबू में आए तो महंगाई धीरे-धीरे कम हो सकती है.
चावल की कीमतें कैसे इतनी बढ़ीं?
2023 की गर्मी और 2024 में आए भूचकन ने चावल की कटाई को प्रभावित किया, जिससे आपूर्ति में भारी कमी आई. पैनिक खरीदारी “मेगा कायिक” अफवाहों और पर्यटकों की अचानक बढ़ोतरी से लोग और व्यापारी चावल जमा कर रहे हैं .
सरकारी रिजर्व जल्दी डिस्ट्रिब्यूट नहीं हो पाया और होलसेलर्स ने स्टॉक जमाकर भाव को ऊंचा रखा.
सरकार क्या कर रही है?
रिपोर्टस के मुताबिक, मार्च से अब तक करीब 600,000 टन चावल को इमरजेंसी स्टॉक से छोड़ा गया, जिसमें मई में 300,000 टन सीधे रिटेलर्स तक भेजे गए. जून में अतिरिक्त 200,000 टन सरकारी भंडार से छोड़ा गया, जिसमें 2020 और 2021 की फसलों का चावल शामिल है. वहां के कृषि मंत्री शिन्जिरो कोइजुमी ने संकेत दिया है कि अगर जरूरत पड़ी तो आयात भी करेंगे लू तटकों के बावजूद कारण यह है कि “किसी भी विकल्प पर विचार किया जा सकता है” .
आगे क्या होगा?
जून तक चावल की कीमतों में थोड़ी गिरावट दर्ज हो रही है, लेकिन फिर भी स्तर पिछले साल के मुकाबले लगभग डबल है .जापानी विश्लेषकों का कहना है कि बढ़ती मजदूरी और तेल कीमत की वजह से महंगाई वर्ष के उत्तरार्ध तक “चिपकी” रह सकती है, लेकिन 2026 की शुरुआत तक इसपे काबू पाया जा सकता है .
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